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Lockdown: लॉकडाउन में धरती को हुए बड़े फायदे, जो शायद ही कभी संभव होता

कोरोना वायरस की वजह से हुए लॉकडाउन के कारण जहां एक तरफ देश दुनिया को कई तरह के नुकसान का सामना करना पड़ रहा है. वहीं दूसरी तरफ इस लॉकडाउन से कुछ फायदे भी निकलकर सामने आए हैं.

कोरोना वायरस की वजह से हुए लॉकडाउन के कारण जहां एक तरफ देश दुनिया को कई तरह के नुकसान का सामना करना पड़ रहा है. वहीं दूसरी तरफ इस लॉकडाउन से कुछ फायदे भी निकलकर सामने आए हैं. पूरी दुनिया जब कोरोना के डर से अपने घरों में बैठी है तब धरती के चेहरे पर मुस्कान खिली है. पेड़ों की डालियां इठला रही हैं और उन पर चिड़ियों के गीत गूंजने लगे हैं और उन्हें गाने के लिए धरती से लेकर आसमान तक मिल गया है. हवा साफ हो गई है और शहरों का माथा दमक रहा है. प्रकृती का यह नजारा भारत समेत पूरी दुनिया में देखी जा सकती है. आइये जानते है कि इस लॉकडाउन से हमें क्या फयदा हुआ है –

प्रदूषण का स्तर : गाड़ियों से निकलने वाले धुएं बंद हैं, फैक्ट्रियों से निकलने वाला धुआं बंद, वर्क फ्रॉम होम होने के बाद ऑफिस में लगे भारी संख्या में एसी बंद हैं जिसका साफ असर हवा और हमारे पर्यावरण पर दिख रहा है. हवा पूरी तरह से साफ हो गई है. सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट के प्रदूषण को लेकर रोजाना विश्लेषण में सामने आया कि लॉकडाउन की वजह से अब तक दिल्ली, मुंबई, कोलकाता और बैंगलुरु की हवा में प्रदूषण का स्तर कुछ कम हुआ है. मुंबई में शहर दूसरे शहरों से पहले लॉकडाउन हुआ था. इसकी वजह से रोज का औसत पीएम 2.5 स्तर जनता कर्फ्यू के दिन 22 मार्च को 61 प्रतिशत कम रहा.

साफ हो गयी नदियां : लॉकडाउन की वजह से फैक्ट्रियां बंद पड़ी है तो उनसे निकलने वाले वेस्टेज भी इस समय नदियों में नहीं जा रहे हैं. लोगों का नदियों के किनारे आना जाना भी बंद है जिसकी वजह प्लास्टिक व अन्य कचरों में भारी कमी आई है. अब देश की प्रत्येक नदियां निर्मल होकर अविरल बह रही है. गंगा और यमुना के जल में कई जगहों पर 40 से 50 फीसद का सुधार दिख रहा है. जो काम सरकारें दशकों में न कर पाईं वह 21 दिन के लॉकडाउन ने कर दिया.

धरती का कंपन 30% तक कम : कोरोना संकट के बीच अधिकांश देशों में या तो लॉकडाउन है अथवा लोगों को घरों से बाहर नहीं निकलने के आदेश हैं। ऐसे में करीब चार अरब की आबादी वाली आधी दुनिया घरों में बंद है. परिवहन व उद्योग धंधों की रफ्तार भी थमी है. इन सबके चलते धरती का कंपन 30 से 50% तक कम हुआ. यातायत, मशीन, ध्वनि प्रदूषण और तमाम तरह की मानवीय गतिविधियों के चलते धरती कंपकंपाती रहती थी. अब भूकंप विज्ञानी बेहद छोटे स्तर के भूकंपों को भी भांप ले रहे हैं। बेल्जियम में रॉयल ऑब्जर्वेटरी के अनुसार, ये कंपन बसों, कारों, ट्रेनों या फैक्ट्रियों के चलने से पैदा होते हैं. अकेले ब्रुसेल्स में ही मार्च में धरती का कंपन 30 से 50% तक कम दर्ज हुआ.

ओजोन परत में सुधार : इस लॉकडाउन से पृथ्वी का रक्षाकवच कहे जाने वाले ओजोन परत में सकारात्मक बदलाव देखने को मिल रहा है. ओजोन परत को सबसे ज्यादा नुकसान अंटार्कटिका के ऊपर हो रहा था वैज्ञानिकों ने पाया है कि इस परत में अब उल्लेखनीय सुधार आ रहा है. बता दें कि ब्रिटेन की प्रमुख वैज्ञानिक पत्रिका नेचर में प्रकाशित ताजा शोध के अनुसार जो केमिकल ओजोन परत के नुकसान के लिए जिम्मेदार हैं, उनके उत्सर्जन में कमी होने के कारण यह सुधार हो रहा है.

जाहिर है यह लॉकडाउन ज्यादा समय तक तो कायम नहीं रह सकता, इसके खत्म होने के बाद हमसब फिर जिंदगी के आपाधापी में शामिल हो जायेंगे पर इस लॉकडाउन से हुए बदलाव हमारे जिंदगी जीने के नजरिये में परिवर्तन जरूर लायेंगी.

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