Bengaluru Water Crisis: बेंगलुरू में इन दिनों पानी की भारी किल्लत है. तीन-चार दिन पर लोग नहाने को मजबूर है. पीने का पानी खरीदना पड़ रहा है. इस आपदा वाली स्थिति पर कर्नाटक के उप-मुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने कहा है कि राज्य में पिछले चार दशकों से ऐसी सूखे की स्थिति नहीं दिखी थी जैसी आज देखने को मिल रही है. साथ ही उन्होंने लोगों को आगाह करते हुए कहा है कि आने वाले दो महीने भी राज्य विशेषतौर पर बेंगलुरू के लिए बहुत महत्वपूर्ण रहने वाले है.
Bengaluru Water Crisis: पिछले 30-40 साल में ऐसा सूखा नहीं देखा
उन्होंने कहा कि इस संकट से कैसे उभरा जाए और संकट को निपटाया जाए इसका प्रयास प्रशासन की ओर से किया जा रहा है. साथ ही शहर में मौजूद जल माफियाओं पर नकेल कसने की कोशिश भी की जा रही है. मीडिया को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि हमने पिछले 30-40 साल में ऐसा सूखा नहीं देखा. सूखा पहले भी पड़ा था लेकिन हमने कभी इतनी बड़ी संख्या में तालुकाओं को सूखा-प्रभावित घोषित नहीं किया.
Bengaluru Water Crisis: लगभग 6,900 बोरवेल काम नहीं कर रहे
राज्य की राजधानी बेंगलुरू के विकास प्रभारी और राज्य के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने कहा है कि शहर में जहां भी कावेरी नदी से पानी की आपूर्ति की जा सकती है वहां की जा रही है लेकिन, सबसे बड़ी परेशानी ये है कि जिले के करीब 13,900 बोरवेल में से लगभग 6,900 बोरवेल काम नहीं कर रहे है. उन्होंने यह भी बताया कि जलापूर्ति के लिए भारी मात्र में टैंकर की व्यवस्था की जा रही है.
Bengaluru Water Crisis: 240 तालुकाओं में से 223 को सूखा प्रभावित घोषित किया
समाचार एजेंसी पीटीआई की मानें तो, कर्नाटक ने 240 तालुकाओं में से 223 को सूखा प्रभावित घोषित किया है, जिनमें से 196 को गंभीर रूप से सूखा प्रभावित के रूप में वर्गीकृत किया गया है. शिवकुमार ने विपक्ष (भारतीय जनता पार्टी एवं जनता दल-सेक्युलर) पर इस मुद्दे को लेकर राजनीति करने की कोशिश का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि प्रशासन ने जल माफिया को नियंत्रित करने और निजी बोरवेल से पानी लेकर उपलब्ध कराने के प्रयास किए हैं तथा पानी के टैंकर द्वारा तय की जाने वाली दूरी के आधार पर दरें तय की गई हैं.