धरती आबा भगवान बिरसा मुंडा की जयंती के दिन झारखंड अपना स्थापना दिवस मनाता है. 15 नवंबर 2022 को झारखंड 22 साल का हो जाएगा और 23 साल में प्रवेश कर जाएगा. झारखंड अलग राज्य के लिए लंबी लड़ाई लड़ी गयी. यह गवाह रहा है कि जब भी झारखंड की धरती पर जोर जुल्म हुआ है, यहां बड़ा उलगुलान हुआ है. बिरसा आंदोलन उसका जीता-जागता प्रमाण है. भगवान बिरसा मुंडा ने अपने कुछ अनुयायियों के साथ पारंपरिक हथियारों के साथ अंग्रेजों के गोली-बंदूक और तोप का सामना किया. धरती आबा बिरसा मुंडा के बारे में अधिक से अधिक जानकारी हर कोई लेना चाहता है. हम यहां आपको उनके वंशजों के बारे में पूरी जानकारी देने वाले हैं. प्रभातखबर डॉट कॉम की टीम खूंटी जिला के उलिहातू गांव पहुंची जहां बिरसा का जन्म हुआ था. वहां अब भी धरती आबा के वंशज रहते हैं.
उलिहातू में अब भी रहते हैं भगवान बिरसा मुंडा के वंशज
उलिहातू में भगवान बिरसा मुंडा के वंशज अब भी रहते हैं. इस समय उनके पौत्र और उनका पूरा परिवार उलिहातू में एक छोटे से मकान में रहता है. बिरसा ने जिस मकान में जन्म लिया था, उसे जन्मस्थली के रूप पर्यटक स्थल के रूप में आज विकसित कर दिया गया है, लेकिन उसके ठीक बगल में उनके वंशज जिस घर में रहते हैं, आज भी कच्चा मकान है. उन्हें अबतक पक्के घर नहीं मिल पाये हैं.
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धरती आबा भगवान बिरसा मुंडा की वंशावली की बात करें तो, उलिहातू में उनका पांचवां पुश्त रह रहा है. बिरसा की वंशावली में सबसे पहला नाम लकरी मुंडा का नाम आता है. लकरी मुंडा के पुत्र हुए सुगना मुंडा और पसना मुंडा हुए. उसके बाद सुगना मुंडा के तीन पुत्र हुए, एक कोन्ता मुंडा, बिरसा भगवान और कानु मुंडा. कोन्ता और भगवान बिरसा के कोई पुत्र नहीं हुए और उनका वंश उनके भाई कानु मुंडा से चला. कानु के एक पुत्र हुए मोंगल मुंडा, जिनके दो पुत्र सुखराम मुंडा और बुधराम मुंडा. बुधराम के एक पुत्र हुए रवि मुंडा और उसके बाद उनका वंश वहीं खत्म हो गया. दूसरी ओर सुखराम मुंडा के चार पुत्र मोंगल मुंडा, जंगल सिंह मुंडा, कानु मुंडा और राम मुंडा. कानु मुंडा के दो पुत्र हैं, बिरसा मुंडा और नारायण मुंडा.
उलिहातू में इस समय रहते हैं बिरसा भगवान के पौत्र सुखराम मुंडा और उनके परिवार वाले
उलिहातू में इस समय भगवान बिरसा मुंडा के पौत्र सुखराम मुंडा और उनके तीन बेटे और उनकी बहू रहती हैं. पुत्र कानु मुंडा के एक पुत्र का नाम बिरसा मुंडा रखा गया है. आदिवासी समाज में अपने बच्चे का नाम पूर्वजों के नाम पर रखने की परंपरा रही है. इसी लिए भगवान बिरसा के नाम पर कानु मुंडा ने अपने पुत्र का नाम रखा है.