Bharat Bandh: GST तथा ई-कॉमर्स के मुद्दे पर व्यापारियों के संगठन कनफेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने शुक्रवार को राष्ट्रव्यापी बंद का आह्वान किया है. ऑल इंडिया ट्रांसपोर्ट वेलफेयर एसोसिएशन (AITWA) ने भी बंद का समर्थन किया है. कैट का दावा है कि भारत व्यापार बंद में 40,000 से अधिक व्यापारिक संगठनों के आठ करोड़ व्यापारी शामिल होंगे. वहीं कुछ अन्य व्यापारी संगठनों ने कहा कि वे बंद का समर्थन नहीं कर रहे हैं.
Confederation of All India Traders has called for a nationwide strike today in protest against rise in fuel prices & new e-way bill & GST.
Lastest visuals from Bhubaneswar, Odisha. pic.twitter.com/BahRGdRVTR
— ANI (@ANI) February 26, 2021
ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस(AIMTC) कोर कमेटी के चेयरमैन मलकीत सिंह ने कहा किआज का बंद व्यापारियों ने बुलाया है, कुछ संस्थाओं ने इसका समर्थन किया है. ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस इसका समर्थन नहीं करती है, ये बंद सिर्फ कागजों में है जमीनी स्तर पर नहीं. वहीं AITWA के राष्ट्रीय अध्यक्ष महेंद्र आर्य ने बताया ‘सभी राज्य स्तरीय ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन एकदिवसीय बंद में पूरी तरह सहयोग देंगे. AITWA का प्रदर्शन ईंधन के दाम बढ़ने और ई-वे बिल के खिलाफ होगा.
देशभर में 1,500 जगहों पर धरना प्रदर्शन
कैट के महासचिव प्रवीण खंडेलवाल ने कहा- शुक्रवार को देशभर में 1,500 स्थानों पर धरना दिया जाएगा. सभी बाजार बंद रहेंगे. 40 हजार से ज्यादा व्यापारिक संगठनों से जुड़े करीब 8 करोड़ कारोबारी बंद को समर्थन दे रहे हैं.
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सड़क सेवाएं आज सुबह 6 से 8 बजे तक प्रभावित रहेंगी क्योंकि परिवहन कंपनियों ने बंद का समर्थन करने का फैसला किया है.
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देश के कई हिस्सों में वाणिज्यिक बाजार बंद रहने की संभावना है.
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चार्टर्ड एकाउंटेंट और कर अधिवक्ताओं ने भी बंद का समर्थन किया है और उनकी सेवाओं की संभावना नहीं होगी.
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व्यापारी अपने जीएसटी पोर्टल्स में प्रवेश नहीं करेंगे
कौन सी सेवाएं प्रभावित नहीं होंगी?
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सभी आवश्यक सेवाएं – चिकित्सा दुकानें, दूध, सब्जी की दुकानें, आदि – अपनी सेवाएं जारी रखेंगी.
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बैंक सेवाएं बंद से अप्रभावित रहेंगी.
प्रदर्शनकारी चाहते हैं कि केंद्र सरकार जीएसटी के प्रावधानों की समीक्षा करे और भारत में कर प्रणाली को सरल बनाए. उनका दावा है कि जीएसटी “सबसे जटिल कराधान प्रणालियों” में से एक है और इससे व्यापारियों को बुरी तरह प्रभावित हुआ है और इसे फिर से बनाने की जरूरत है. कैट के मुताबिक, पिछले साल 22 दिसंबर और उसके बाद GST नियमों में कई बदलाव किए गए. इसमें अधिकारियों को बहुत ज्यादा अधिकार दिए गए.