covishield and covaxin vaccines देशभर में कोरोना वायरस संक्रमण को रोकने के लिए मार्च से कोविड-19 वैक्सीनेशन ड्राइव का दूसरा चरण शुरू हो चुका है. भारत में सभी लोगों को कोविशील्ड और कोवैक्सीन की खुराकें लगाई जा रही हैं. हालांकि, मिल रही जानकारी के मुताबिक, इससे जुड़े साइड-इफेक्ट्स और मिथक से जुड़ी अफवाहों की वजह से लोग वैक्सीन लेने से झिझक रहे हैं. इस बीच, स्वास्थ्य मंत्रालय ने मंगलवार को जानकारी देते हुए बताया है कि कोवैक्सीन और कोविशील्ड टीके ब्रिटेन तथा ब्राजील में मिले सार्स-कोव-2 के नए स्वरूप के खिलाफ प्रभावी है. स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा है कि वायरस के दक्षिण अफ्रीकी स्वरूप के खिलाफ कार्य जारी है.
इससे पहले केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन और उनकी पत्नी ने मंगलवार को दिल्ली के हार्ट एंड लंग इंस्टीट्यूट में कोविड-19 रोधी टीके की दूसरी खुराक ली. डॉ. हर्षवर्द्धन की पत्नी नूतन गोयल ने पहले टीका लगवाया. उन्हें कोवैक्सीन टीके की दूसरी खुराक दी गई. इसके बाद स्वास्थ्य मंत्री ने भी टीके की खुराक ली. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने दो मार्च को टीके की पहली खुराक ली थी. उन्होंने कोविड-19 रोधी टीके के पात्र सभी लोगों से टीका लगवाने की अपील की करते हुए कहा कि लोगों से टीके को लेकर कोई भी संशय नहीं करने करनी चाहिए. कोवैक्सीन और कोविशील्ड दोनों ही टीके सुरक्षित हैं.
बता दें कि भारत में वरिष्ठ नागरिकों और पहले से किसी रोग से पीड़ित 45 से 59 साल से अधिक उम्र के लोगों के एक मार्च से कोविड-19 रोधी टीकाकरण की शुरुआत की गई थी. जानकारी के मुताबिक, दोनों ही वैक्सीन शरीर में एंटीबॉडी के काउंट को बढ़ाने का काम करती हैं, जो भविष्य वायरस के हमले का संदेह होने पर सुरक्षात्मक बचाव करने के लिए शरीर को सचेत करेंगी. भारत में कोरोना वायरस के खिलाफ तैयार की गई कोवैक्सीन और कोविशील्ड दुनिया के 50 से ज्यादा देशों को भी उपलब्ध करायी गयी है.
इससे पहले केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने शुक्रवार को कहा कि कोवैक्सीन और कोविशील्ड दोनों पूरी तरह से सुरक्षित और प्रतिरोधक हैं तथा देश में इस्तेमाल किए जा रहे इन टीकों की सुरक्षा को लेकर अभी तक कोई चिंता नहीं है. उन्होंने इंडिया इकोनॉमिक कॉन्क्लेव में कोविशील्ड को लेकर बढ़ती चिंताओं का जवाब देते हुए यह टिप्पणी की थी. ऐसी खबरें हैं कि टीके के कारण रक्त के थक्के बन रहे हैं. इस पर हर्षवर्धन ने कहा कि जहां ऐसे मामले सामने आए हैं, उन देशों की सरकारों द्वारा ऐसे मामलों की जांच की जा रही है.
उन्होंने कहा कि भारत में टीकाकरण के बाद प्रतिकूल प्रभाव (एईएफआई) के सभी मामलों की निगरानी एक सुव्यवस्थित और मजबूत निगरानी प्रणाली के जरिए की जाती है. उन्होंने कहा कि सभी गंभीर एईएफआई का कारण मूल्यांकन एईएफआई समिति द्वारा यह निर्धारित करने के लिए किया जाता है कि क्या यह घटना टीका या टीकाकरण प्रक्रिया से संबंधित है या नहीं. मौजूदा प्रमाण के अनुसार, अब तक भारत में टीकाकरण के बाद कोई महत्वपूर्ण प्रतिकूल घटना की सूचना नहीं है.
हर्षवर्धन ने कहा, मैं दोहराना चाहूंगा कि हमारे देश में उपयोग किए जा रहे दोनों टीके पूरी तरह से सुरक्षित और प्रतिरोधक हैं. अभी भारत में इस्तेमाल किए जा रहे टीकों की सुरक्षा को लेकर कोई चिंता नहीं है. टीकों से संबंधित दुष्प्रभावों के बारे में हर्षवर्धन ने कहा कि देश में गंभीर एईएफआई की सूचना देने वालों का प्रतिशत 0.0002 है, जो काफी कम है. स्वास्थ्य मंत्री ने जोर दिया कि टीके सार्स-सीओपी-2 और इसके मौजूदा स्वरूप के खिलाफ प्रभावी हैं और सरकार बढ़ते परिदृश्य पर नजर रख रही है. उन्होंने कहा कि उपलब्ध वैज्ञानिक साक्ष्यों के अनुसार, टीकाकरण कार्यक्रम को और मजबूत किया जाएगा. उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य कर्मियों के बीच टीकों की दूसरी खुराक का कवरेज 76.88 प्रतिशत है, जबकि अग्रिम पंक्ति के कार्यकर्ताओं के बीच यह 71.94 प्रतिशत है, जो पर्याप्त है.
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