Bharat Rang Mahotsav: विश्व के सबसे बड़ा नाट्य महोत्सव का दूसरा दिन, लोक कलाकारों ने मोहा मन

Bharat Rang Mahotsav: भारत के सबसे बड़े रंगमंच महोत्सव, भारत रंग महोत्सव का दूसरा दिन कला और संस्कृति के रंगों से सराबोर रहा. इस दिन देश के विभिन्न कोनों से आई लोक कलाओं ने दर्शकों का मन मोह लिया. दिन के कार्यक्रमों में भारत की लोक कला शैलियों की प्रस्तुति, रूसी लेखक एंटोन चेखव की 165वीं जयंती का स्मरण, और रंगमंच की बारीकियां सिखाने वाले व्याख्यान-प्रदर्शन का विशेष आयोजन शामिल था.

By Pritish Sahay | January 30, 2025 10:32 PM

Bharat Rang Mahotsav: भारत के सबसे बड़े रंगमंच महोत्सव, भारत रंग महोत्सव का दूसरा दिन कला और संस्कृति के रंगों से सराबोर रहा. इस दिन देश के विभिन्न कोनों से आई लोक कलाओं ने दर्शकों का मन मोह लिया. दिन के कार्यक्रमों में भारत की लोक कला शैलियों की प्रस्तुति, रूसी लेखक एंटोन चेखव की 165वीं जयंती का स्मरण, और रंगमंच की बारीकियां सिखाने वाले व्याख्यान-प्रदर्शन का विशेष आयोजन शामिल था. राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय (एनएसडी ) ने हाउसिंग एंड अर्बन डेवलपमेंट कॉरपोरेशन (हुड्को) के साथ लोक और शास्त्रीय नाट्य कला के संरक्षण एवं संवर्धन के लिए एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए. यह समझौता राजीव गर्ग (क्षेत्रीय प्रमुख, हुड्को) और चित्तरंजन त्रिपाठी (निदेशक, एनएसडी) की ओर से हस्ताक्षरित किया गया.

इस महत्वपूर्ण अवसर पर संजय कुलश्रेष्ठ (सीएमडी हुडको), एम नागराज (निदेशक, कॉर्पोरेट प्लानिंग,हुडको ), राजीव शर्मा (कार्यकारी निदेशक, हुडको),पीके महांती (रजिस्ट्रार, एनएसडी) तथा हुडको की सक्रिय सीएसआर टीम की उपस्थिति रही. ‘लोकरंगम’ एक विशेष मंच है, जो भारत की समृद्ध कलात्मक विरासत और लोक कला की जीवंतता को संरक्षित एवं बढ़ावा देने की प्रतिबद्धता को दर्शाता है. इस खंड का उद्घाटन मुख्य अतिथि, पद्म मालिनी अवस्थी, प्रसिद्ध लोक गायिका, द्वारा किया गया. उन्होंने इस अवसर पर लोक नाटकों की शक्ति पर प्रकाश डालते हुए कहा कि लोक कला एक ही कथा के माध्यम से विभिन्न रसों को जागृत करने की क्षमता रखती है.

भोजपुरी के शेक्सपियर’ कहे जाने वाले भिखारी ठाकुर के प्रसिद्ध नाटक ‘बिदेसिया’ का मंचन किया गया. यह नाटक प्रवासन की त्रासदी और पीछे छूट गए लोगों की व्यथा को मार्मिक रूप से प्रस्तुत करता है. इसका मंचन संजय उपाध्याय के कुशल निर्देशन में प्रस्तुत किया.
संबद्ध आयोजन भारंगम के समांतर प्रस्तुतियों का एक अभिन्न हिस्सा हैं, जिनमें सेमिनार, कार्यशालाएँ, छात्र प्रस्तुतियाँ और अन्य शैक्षणिक आदान-प्रदान शामिल होते हैं. ये कार्यक्रम रंगमंच के विविध आयामों को समझने और सीखने के अवसर प्रदान करते हैं. आज, राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय (एनएसडी ) ने रूसी विज्ञान और संस्कृति केंद्र के सहयोग से महान रूसी लेखक एंटोन चेखव की 165वीं जयंती पर एक संगोष्ठी का आयोजन किया. “चेखव की विरासत: कल, आज और कल” शीर्षक वाली इस संगोष्ठी में चेखव के जीवन, कृति और उनकी समकालीन प्रासंगिकता पर चर्चा की गई.

संगोष्ठी में प्रख्यात विद्वानों, लेखकों और नाट्य कलाकारों ने भाग लिया. मीता वशिष्ठ, निहारिका सिंह, और विक्रम शर्मा जैसे अनुभवी रंगकर्मियों ने चेखव के नाटकों में यथार्थवादी अभिनय तकनीकों के उपयोग पर प्रकाश डाला और अपने अनुभव साझा किए. वक्ताओं ने चेखव की कहानियों, नाटकों, और उनके लेखन शैली का विस्तृत विश्लेषण किया, साथ ही उन्होंने चेखव की रचनाओं का आज के समय में क्या महत्व है, इस पर भी चर्चा की.संगोष्ठी की शुरुआत और समापन संबोधन शांतनु बोस,( अकादमिक डीन), एनएसडी ने दिए. इस चर्चा सत्र में स्वानंद किरकिरे भी उत्साही प्रतिभागी के रूप में शामिल हुए. पैनल ने चेखव के यथार्थवाद में योगदान और उनकी समकालीन कहानी कहने की प्रासंगिकता पर विचार किए. एक प्रमुख आकर्षण रही मीता वशिष्ठ की “थ्री सिस्टर्स” के निर्देशन और आधुनिक दर्शकों के लिए चेखव की थीम्स को रूपांतरित करने पर उनके विचार, जिन्होंने इस नाटक को नई दृष्टि से प्रस्तुत किया.

भारत रंग महोत्सव 2025 के तहत, राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय (एनएसडी) ने थिएटर एप्रिशिएशन कोर्स (TAC) के 14वें संस्करण का उद्घाटन किया. इस ओरिएंटेशन समारोह में श्री चित्तरंजन त्रिपाठी (निर्देशक, एनएसडी ), श्री शांतनु बोस(अकादमिक डीन) और श्री अमितेश ग्रोवर (कोर्स क्यूरेटर) ने 28 जनवरी 2025 को अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई. TAC 2025 के हिस्से के रूप में, आसिफ अली हैदर ने नाटक लेखन, अनुवाद और रूपांतरण पर एक सत्र का नेतृत्व किया, जिसमें स्क्रिप्ट विकास और मंच के लिए पाठों को बदलने पर चर्चा की. अजय कुमार ने ‘परफॉर्मर एज़ स्टोरीटेलर’वर्कशॉप का संचालन किया, जिसमें आवाज, शारीरिक अभिव्यक्ति और एकल प्रदर्शन पर ध्यान केंद्रित किया. इन सत्रों ने प्रतिभागियों को रंगमंच लेखन और प्रदर्शन में आवश्यक कौशल प्रदान किए.

अद्वितीय के दूसरे दिन जो छात्रों द्वारा संचालित समानांतर उत्सव था, दो प्रभावशाली स्ट्रीट प्ले दिखाए गए,देशबंधु कॉलेज, दिल्ली द्वारा ‘अंदेखी अनसुनी’, जो विकलांग व्यक्तियों के संघर्ष और संकल्प को उजागर करता है, और दिल्ली टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी द्वारा ‘ख्वाहिश-ए-नूर’, जो एक गहरी और मार्मिक कहानी प्रस्तुत करता है. अद्वितीय ओपन स्टेज पर प्रदर्शन की एक जीवंत श्रृंखला देखी गई, जिसमें स्टैंड-अप कॉमेडी, एकल और समूह शास्त्रीय नृत्य शामिल थे, जिन्होंने अपनी कलात्मक चमक से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया. इस कार्यक्रम का समापन राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय (एनएसडी ) के रजिस्ट्रार, प्रदीप के मोहंती द्वारा प्रतिभागियों को प्रमाणपत्र देकर किया गया, जिससे उनके समर्पण और प्रदर्शन कला में उनके प्रतिभा की सराहना की गई.

अंकल वान्या , जिसका निर्देशन नॉशद मोहम्मद कुंजू ने किया है और जिसे प्रसिद्ध रूसी नाटककार एंटन चेखव ने लिखा है, एक मार्मिक त्रासद-व्यंग्य है जो नपुंसक प्रेम, अस्तित्वगत निराशा और समय के बीतने के विषयों को छूता है. यह विश्व साहित्य का एक उत्कृष्ट काव्य है, जो अपनी ग्रामीण रूसी संपत्ति में सेट होने के बावजूद मानव स्थिति पर एक सार्वभौमिक प्रतिबिंब प्रस्तुत करता है. यह शो अभिमंच ऑडिटोरियम, एनएसडी परिसर में प्रदर्शित हुआ और इसे हैदराबाद विश्वविद्यालय के थिएटर आर्ट्स विभाग के कुशल छात्रों ने प्रस्तुत किया. प्रदर्शन के बाद, निर्देशक नॉशद मोहम्मद कुंजू ने नाटक के शोध और रचनात्मक प्रक्रिया पर अपने विचार साझा किए.

तीसरे दिन, भारंगम में समानांतर कार्यक्रमों के तहत श्रुति नामक साहित्यिक सत्र का आयोजन किया गया. इस दौरान थिएटर कलाकार और प्रसिद्ध अभिनेता श्री अखिलेंद्र मिश्रा द्वारा लिखित पुस्तक ‘अभिनय, अभिनेता और आध्यात्म’ का विमोचन समारोह हुआ, जिसके बाद एक चर्चा का आयोजन किया गया. इस चर्चा में श्री अनिल गोयल ने लेखक के साथ संवाद किया. अलाइड इवेंट्स सेक्शन में, ‘ख्वाब-ए-हस्ती’, जो अगा हश्र कश्मीरी की एक उत्कृष्ट कृति है, का मंचन किया गया. इस नाटक को हेमा सिंह ने पारसी अभिनय शैली में राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय के दूसरे वर्ष के छात्रों के साथ तैयार किया था. यह नाटक दर्शकों को अपनी जटिल कथा के माध्यम से मानवीय भावनाओं, सामाजिक समस्याओं और परंपरा व आधुनिकता के संघर्ष को उजागर करता हुआ मंत्रमुग्ध कर गया.

सूर्य की अंतिम किरण से सूर्य की पहली किरण तक’, उपासना स्कूल ऑफ परफॉर्मिंग आर्ट्स, गुजरात विश्वविद्यालय द्वारा प्रस्तुत किया गया. यह नाटक, जो सुरेंद्र वर्मा के क्लासिक ड्रामा का आकर्षक चित्रण था, सत्येंद्र परमार द्वारा निर्देशित था. यह नाटक नियोग की प्राचीन प्रथा पर आधारित था और कर्तव्य, व्यक्तिगत स्वतंत्रता और सामाजिक मानदंडों जैसे विषयों पर प्रकाश डालता है. अद्वितीय’ के तीसरे दिन, जो छात्रों द्वारा संचालित एक सत्र था, टू स्ट्रीट प्ले प्रस्तुत किए गए. ‘एक ख्वाहिश’ नाटक का मंचन मृदंग थिएटर ग्रुप, टेक्निया इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस्ड स्टडीज द्वारा किया गया, जो कचरा उठाने वालों के जीवन पर आधारित था. वहीं, ‘नॉट द डे जीरो’ नाटक का प्रदर्शन थिएटर ग्रुप जीजीविषा, लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज ने किया, जो पानी की संकट की समस्या को उजागर करता है.

थिएटर एप्रिशिएशन कोर्स के तीसरे दिन, थिएटर के लिए लाइटिंग और संगीत रचना के विज्ञान और कला पर विचार-विमर्श सत्र आयोजित किए गए. सौति चक्रवर्ती ने ‘हाउ टू लाइट अ प्ले’ सत्र का संचालन किया, जिसमें उन्होंने नाटक पर प्रकाश के परिवर्तनकारी प्रभाव के बारे में बात की. वहीं, अंजना पुरी ने थिएटर के लिए संगीत रचनाओं की कला पर चर्चा की, जो प्रदर्शन को आकर्षक बनाने में सहायक होती है. भारत रंग महोत्सव 2025 में सभी प्रस्तुतियों के बाद एक ओपन इंटरएक्शन सत्र आयोजित किया जाता है, जिसमें दर्शक नाटक के निर्देशक, कलाकारों और क्रू से प्रदर्शन के बाद संवाद कर सकते हैं. भारत रंग महोत्सव में आयोजित ‘मीट द डायरेक्टर’ सत्र रंगमंच प्रेमियों के लिए एक खास आकर्षण रहा. इस सत्र में दर्शकों को नाटक के निर्देशक, कलाकारों, और तकनीकी टीम से सीधे संवाद करने का मौका मिला.

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