भीमा कोरेगांव मामले के आरोपी 80 वर्षीय वरवर राव कोरोना पॉजिटिव, हालत बिगड़ी, सोशल मीडिया पर रिहाई की मांग

Bhima Koregaon case, accused, 80-year-old, varavara rao, Corona positive, condition deteriorated, Demand for release on social media एल्गार परिषद-माओवादी संबंधों के मामले में गिरफ्तार कवि एवं कार्यकर्ता वरवर राव कोरोना पॉजिटिव पाये गये हैं. 80 वर्षीय वरवर राव के पॉजिटव होने की पुष्टि जे जे अस्पताल ने की.

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 16, 2020 10:35 PM

मुंबई : एल्गार परिषद-माओवादी संबंधों के मामले में गिरफ्तार कवि एवं कार्यकर्ता वरवर राव कोरोना पॉजिटिव पाये गये हैं. 80 वर्षीय वरवर राव के पॉजिटव होने की पुष्टि जे जे अस्पताल ने की. बताया जा रहा है कि उनकी हालत ठीक नहीं है. लगातार स्वास्थ्य बिगड़ता जा रहा है.

मामूल हो चक्कर आने की शिकायत के बाद उन्हें मंगलवार को जे जे अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां वो कोरोना से पॉजिटिव पाये गये. राव (80) पिछले करीब दो साल से नवी मुंबई की तलोजा जेल में बंद हैं. जे जे अस्पताल के डीन डॉ रणजीत मानकेश्वर के मुताबिक, राव को सोमवार की रात जेल से अस्पताल लाए जाने के बाद उन्हें न्यूरोलॉजी विभाग में भर्ती किया गया था.

कार्यकर्ता और उनके परिवार के सदस्यों ने दावा किया है कि वह कुछ समय से अस्वस्थ हैं और उन्होंने जेल प्राधिकारियों से उन्हें तत्काल चिकित्सकीय सेवा मुहैया कराए जाने की मांग की थी. राकांपा नेता और मंत्री जितेन्द्र अवहद ने भी मांग की थी कि राव को अस्पताल में भर्ती किया जाए. अतिरिक्त महानिदेशक (जेल) सुनील रामानंदन ने कहा, उन्हें न्यूरोलॉजी संबंधी समस्याएं हैं,

राव ने अस्थायी जमानत का अनुरोध करते हुए सोमवार को बंबई उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था और इसके लिए उन्होंने अपने बिगड़ते स्वास्थ्य एवं वर्तमान कोविड-19 महामारी का हवाला दिया था. राव ने अपने वकील आर सत्यनारायण अय्यर के माध्यम से उच्च न्यायालय में दो याचिकाएं दायर की थीं. एक में विशेष एनआईए अदालत द्वारा 26 जून को उनकी जमानत याचिका खारिज किये जाने को चुनौती दी गयी थी, जबकि दूसरी याचिका में नवी मुम्बई की तलोजा जेल के अधिकारियों को उनका मेडिकल रिकार्ड पेश करने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया.

गौरतबल है कि राव और नौ अन्य कार्यकर्ताओं को एल्गार परिषद-माओवादी संपर्क मामले में गिरफ्तार किया गया है. इस मामले की प्रारंभ में पुणे पुलिस ने जांच की थी लेकिन इस साल जनवरी में इसे राष्ट्रीय जांच एजेंसी को सौंप दिया. यह मामला 31 दिसंबर, 2017 में पुणे के एल्गार परिषद सम्मेलन में कथित उत्तेजक भाषण देने से जुड़ा है. पुलिस के अनुसार इसी के बाद अगले दिन कोरेगांव भीमा युद्ध स्मारक के पास हिंसा हुई थी. पुलिस ने यह भी दावा किया था कि इस सम्मेलन का जिन लोगों ने आयोजन किया था, उनका कथित रूप से माओवादियों से संबंध था.

Posted By – Arbind kumar mishra

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