भीमा कोरेगांव मामला: गौतम नवलखा को कोर्ट से ‘सुप्रीम’ राहत, घर में ही किये जाएंगे नजरबंद, मगर ये है शर्त

वलखा ने शीर्ष अदालत से अनुरोध किया कि उन्हें तलोजा जेल, महाराष्ट्र में न्यायिक हिरासत के बजाय घर में नजरबंद रखा जाए जिसपर आज यह निर्णय आया है. सर्वोच्च न्यायालय ने कहा है कि नवलखा को मुंबई/नवी मुंबई छोड़ने की अनुमति नहीं दी जाएगी. उनके आवास के प्रवेश द्वार, निकास और कमरों के बाहर सीसीटीवी लगेंगे.

By Aditya kumar | November 10, 2022 2:40 PM

भीमा कोरेगांव मामला: भीमा कोरेगांव मामले में सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई हुई. इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में आरोपी गौतम नवलखा को उसके स्वास्थ्य स्थिति को ध्यान में रखते हुए राहत दिया है. गौतम नवलखा को उनकी स्वास्थ्य स्थिति और बुढ़ापे को देखते हुए घर में नजरबंद रखने की अनुमति दी है. जानकारी हो की नवलखा ने सुप्रीम कोर्ट से यह अनुरोध किया था कि उन्हें महाराष्ट्र के तलोजा जेल में न्यायिक हिरासत के बजाय घर में ही नजरबंद रखा जाए. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने उनके अनुरोध को स्वीकार करते हुए घर में ही नजरबंद रखने का आदेश दे दिया है.

तलोजा जेल में न्यायिक हिरासत के बजाय घर में नजरबंद रखा जाए

नवलखा ने शीर्ष अदालत से अनुरोध किया कि उन्हें तलोजा जेल, महाराष्ट्र में न्यायिक हिरासत के बजाय घर में नजरबंद रखा जाए जिसपर आज यह निर्णय आया है. सर्वोच्च न्यायालय ने कहा है कि नवलखा को मुंबई/नवी मुंबई छोड़ने की अनुमति नहीं दी जाएगी. उनके आवास के प्रवेश द्वार, निकास और कमरों के बाहर सीसीटीवी लगाए जाएंगे. साथ ही सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि किसी भी ई-गैजेट की अनुमति नहीं होगी, बिना इंटरनेट के टीवी और समाचार पत्रों की अनुमति होगी. उसे अपने वकीलों से मिलने की अनुमति दी जाएगी.

एजेंसियां आवास का निरीक्षण करने के लिए स्वतंत्र

सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि इस मामले में जांच कर रही एजेंसियां आवास का निरीक्षण करने के लिए स्वतंत्र हैं. हालांकि, उनका मानना है कि यह याचिकाकर्ता को परेशान करने का एक बहाना नहीं होना चाहिए. पीठ ने अपने आदेश में कहा है कि आरोपी के उम्र को देखते हुए उसे नजरबंद करना उचित है. साथ ही हमारा ध्यान याचिकाकर्ता के सामने आने वाली कई चिकित्सा समस्याओं की ओर है.

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कई तरह की शर्तें भी रखी गयी

नजरबंदी के इस निर्णय पर कोर्ट की ओर से कई तरह की शर्तें भी रखी गयी है. नजरबंदी के दौरान मोबाइल, इंटरनेट, लैपटॉप, अन्य संचार उपकरण का उपयोग नहीं कर सकेंगे. साथ ही पुलिस की मौजूदगी में दिन में एक बार 10 मिनट के लिए ड्यूटी पर तैनात पुलिसकर्मियों द्वारा उपलब्ध कराए गए मोबाइल फोन का उपयोग करने की अनुमति है. जानकारी हो कि 70 वर्षीय नवलखा ने कोर्ट में कहा कि वह त्वचा की एलर्जी और दंत समस्याओं से पीड़ित हैं और वह संदिग्ध कैंसर के लिए एक कोलोनोस्कोपी कराना चाहते हैं.

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