Kisan Andolan : कौन है भूपिंदर सिंह मान जिन्होंने सुप्रीम कोर्ट की बनायी कमेटी से खुद को किया अलग
सुप्रीम कोर्ट की तरफ से बनायी गयी किसान आंदोलन को लेकर 4 सदस्यीय समिति से भूपिंदर सिंह मान ने अपना नाम वापस ले लिया है, उन्होंने खुद को अलग कर लिया. एक बयान जारी कर उन्होंने इस समीति में ना होने की वजह भी बता दी.
सुप्रीम कोर्ट की तरफ से बनायी गयी किसान आंदोलन को लेकर 4 सदस्यीय समिति से भूपिंदर सिंह मान ने अपना नाम वापस ले लिया है, उन्होंने खुद को अलग कर लिया. एक बयान जारी कर उन्होंने इस समीति में ना होने की वजह भी बता दी. उन्होंने कहा कि किसान हित से समझौना ना हो इसलिए यह फैसला लिया. किसान के साथ खड़े हैं इसलिए कमेटी से खुद को अलग कर रहे हैं.
कौन – कौन थे कमेटी में शामिल
सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय किसान यूनियन के भूपिंदर सिंह मान, शेतकारी संगठन के अनिल घनवंत, कृषि अर्थशास्त्री अशोक गुलाटी और अंतर्राष्ट्रीय खाद्य नीति अनुसंधान संस्थान के प्रमोद के. जोशी को कमेटी में शामिल किया था और इन्हें दो महीने का वक्त दिया था कि इस संबंध में एक रिपोर्ट तैयार कर सौंपी जाये. अब भूपिंदर ने इस समिति से खुद को अलग कर लिया तो उनकी खूब चर्चा हो रही है.
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आइये जानते हैं कौन है भूपिंदर सिंह मान, कैसा रहा है अबतक का सफर
भूपिंदर सिंह मान को किसानों का बड़ा नेता माना जाता है. उन्होंने कई संगठनों का निर्माण किया है, किसानों को एकजुट करने में उनकी अहम भूमिका मानी जाती है. भूपिंदर भारतीय किसान यूनियन (मान) के प्रमुख हैं. किसानों के हित में काम करने के लिए उन्हें साल 1990 में राज्यसभा का सदस्य भी मनोनीत किया गया है. भूपिंदर ऑल इंडिया किसान को-ऑर्डिनेशन कमिटी के भी प्रमुख हैं. इस कमेटी में कई किसान संगठन शामिल हैं.
करते रहें हैं किसानों के हित में आंदोलन
साल 1966 में उन्होंने खेतीबाड़ी यूनियन का निर्माण किया 1980 में यही संगठन भारतीय किसान यूनियन में बदल गया. इस संगठन में कई बार फूट पड़ी. उन्होंने गन्ना किसानों के लिए भी लड़ाई लड़ी. पंजाब में बिजली की कीमतों को कम करने के लिए भी इन्होंने आंदोलन किया.
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कृषि कानून को लेकर जतायी थी सहमति, संसोधन के लिए लिखी थी चिट्टी
कृषि कानून आने के बाद भूपिंदर सिंह मान ने केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को चिट्ठी लिखी थी. इसमें उन्होंने कानून का समर्थन किया था लेकिन कुछ बदलावों की मांग की थी, उन्होंने लिखा था कि एमएसपी खत्म नहीं होनी चाहिए और इसे लेकर लिखित गारंटी मिलनी चाहिए.