नयी दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट से बृहस्पतिवार को महाराष्ट्र (Maharashtra News) की उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackaray) सरकार को तगड़ा झटका लगा. शीर्ष अदालत ने मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह (Parambir Singh) के खिलाफ कदाचार और भ्रष्टाचार के आरोपों पर विभिन्न मामलों की जांच केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को स्थानांतरित कर दी.
जस्टिस एसके कौल और जस्टिस एमएम सुंदरेश की पीठ ने कहा कि इस मामले की जांच किसे करनी चाहिए, इस पर सत्ता के शीर्ष स्तर के बीच एक बहुत ही अस्पष्ट स्थिति जारी है. पीठ ने कहा, ‘न्याय के सिद्धांत को आगे बढ़ाने के मद्देनजर जांच सीबीआई को स्थानांतरित करने की आवश्यकता है. हम यह नहीं कह रहे कि अपीलकर्ता (सिंह) व्हिसल-ब्लोअर हैं या इस मामले में शामिल कोई भी व्यक्ति दूध से धुला है.’
पीठ ने परबीर सिंह का निलंबन रद्द करने से भी इंकार कर दिया. कहा कि भविष्य की सभी प्राथमिकी भी सीबीआई को स्थानांतरित की जायेंगी. शीर्ष अदालत ने कहा कि राज्य पुलिस में लोगों का विश्वास फिर से बहाल करने के लिए गहन जांच की जरूरत है. पीठ ने कहा, ‘हम इस दलील को स्वीकार करने में असमर्थ हैं कि याचिकाकर्ता के खिलाफ शिकायत करने वालों द्वारा प्राथमिकी दर्ज करायी गयी है. हमारा विचार है कि राज्य को ही सीबीआई को जांच करने की अनुमति देनी चाहिए थी.’
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पीठ ने कहा, ‘प्रथमदृष्टया हमारा विचार है कि कुछ मामलों में सीबीआई द्वारा जांच की आवश्यकता है. सच्चाई क्या है, किसकी गलती है, इस तरह का परिदृश्य कैसे बना, इसकी जरूर जांच होनी चाहिए. सीबीआई को इन सभी पहलुओं की निष्पक्ष जांच करनी चाहिए.’ शीर्ष अदालत ने कहा कि वह आरोपों के गुण-दोष पर टिप्पणी नहीं कर रही है, क्योंकि वह नहीं चाहती कि जांच किसी भी तरह से प्रभावित हो.
पीठ ने कहा, ‘हम नहीं चाहते कि जांच इस अदालत की टिप्पणी से प्रभावित हो. (बंबई) हाईकोर्ट ने इसे एक सेवा विवाद के रूप में माना है, जो यह नहीं है और इस प्रकार हम हाईकोर्ट के फैसले को खारिज करते हैं. हम अपील की अनुमति देते हैं और निर्देश देते हैं कि पांच प्राथमिकियों की जांच सभी रिकॉर्ड के साथ सीबीआई को स्थानांतरित की जाये.’
पीठ ने कहा, ‘इस तरह के स्थानांतरण को एक सप्ताह के भीतर पूरा किया जाना है और सभी अधिकारी सच्चाई तक पहुंचने के लिए सीबीआई को पूरा सहयोग देंगे.’ परमबीर सिंह जबरन वसूली, भ्रष्टाचार और कदाचार के कई मामलों का सामना कर रहे हैं. उन्हें एंटीलिया बम मामले को कथित रूप से सही तरीके से संभाल नहीं पाने के लिए मुंबई पुलिस प्रमुख के पद से हटा दिया गया था.
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शीर्ष अदालत ने सिंह को 22 नवंबर को एक बड़ी राहत दी थी, जब उसने महाराष्ट्र पुलिस को उनके खिलाफ दर्ज आपराधिक मामलों में उन्हें गिरफ्तार नहीं करने का निर्देश दिया था. न्यायालय ने हैरानी जतायी थी कि अगर उन्हें पुलिस अधिकारियों और जबरन वसूली करने वालों के खिलाफ मामला दर्ज करने के लिए परेशान किया जा रहा है, तो किसी आम आदमी का क्या होगा.
महाराष्ट्र पुलिस ने पूर्व में शीर्ष अदालत को बताया था कि सिंह को कानून के तहत ‘व्हिसल-ब्लोअर’ नहीं माना जा सकता है, क्योंकि उन्होंने राज्य के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख से जुड़े कथित भ्रष्टाचार के खिलाफ बोलने का फैसला तब किया, जब उनका तबादला हो गया. इससे पहले, बंबई उच्च न्यायालय ने सिंह की एक याचिका खारिज कर दी थी. इस याचिका में महाराष्ट्र सरकार द्वारा उनके खिलाफ शुरू की गयी जांच रद्द करने का अनुरोध किया गया था. हाईकोर्ट ने इसे सेवा का मामला मानते हुए कहा था कि परमबीर सिंह केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण से संपर्क कर सकते हैं.
Posted By: Mithilesh Jha