नयी दिल्ली : कोरोना वायरस का संक्रमण देश में अब विकराल रूप ले चुका है. पूरी दुनिया में संक्रमण के मामले में भारत ने अब इटली को भी पीछे छोड़ दिया है और 6 नंबर पर पहुंच चुका है. इस बीच COVID-19 को लेकर एक राहत भरी खबर अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के डायरेक्टर ने दी है.
एम्स डायरेक्टर डॉ रणदीप गुलेरिया ने उम्मीद जतायी है कि अगले दो से तीन महीने में कोरोना वायरस की दवा आ जाएगी. उन्होंने कहा, अगर इस साल के आखिर तक नहीं बनी, तो अगले साल की शुरुआत में तो जरूर कोरोना की दवा तैयार हो जाएगी.
एम्स डायरेक्टर डॉ रणदीप गुलेरिया ने लोगों से कहा कि जब से अनलॉक 1 आया है लोग सोशल डिस्टेंसिंग भूलते जा रहे हैं. उन्होंने कहा, याद रखें कोरोना अभी भी है और तेजी से हमारे देश में फैलता जा रहा है. अगर हमें इस महामारी को रोकना है और मरने वालों की संख्या को घटाना है तो फिर संभलकर रहना होगा. उन्होंने नाराजगी जताते हुए कहा कि कोरोना का अभी बहुत महत्वपूर्ण चरण है और देशभर में लोग अचानक घरों से बाहर निकल रहे हैं, ये बहुत चिंता की बात है.
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डॉ रणदीप गुलेरिया ने देश में कोरोना संक्रमितों में अचानक आयी तेजी के बारे में कहा, हमारे देश की जनसंख्या काफी है, इसलिए केस तो आएंगे. हमें मौतों की संख्या पर अधिक फोकस करना है. डेथ रेट अगर हम रोकने में कामयाब होते हैं तो ये बड़ी सफलता होगी. अगर देश में डेथ रेट कम हो और संक्रमितों की संख्या अधिक भी हो तो ये चिंता की बात नहीं है.
डॉ रणदीप गुलेरिया ने साफ किया है कि गर्मी का कोविड-19 से कोई लेना-देना नहीं है. हालांकि उन्होंने कहा कि गर्मी के कारण कोरोना वायरस हवा में 10 से 15 मिनट से अधिक देर नहीं रह सकता है. कोरोना वायरस कुछ देर हवा में रहता है और फिर सरफेस में बैठ जाता है. इसलिए बार-बार कहा जाता है सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने के लिए. अगर कोरोना वायरस एक बार हवा से सरफेस में बैठ जाता है तो फिर छूने से भी फैलने का खतरा बन जाता है. कोरोना संक्रमण से जुड़ी हर Latest News in Hindi से अपडेट रहने के लिए बने रहें हमारे साथ.
इससे पहले अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के निदेशक डॉ रणदीप गुलेरिया ने कहा था कि एचसीक्यू का क्लिनिकल ट्रायल पुनः शुरू करने का डब्ल्यूएचओ का निर्णय लोगों के वृहद हित में सही दिशा में उठाया गया कदम है. उन्होंने कहा कि भारत में एम्स और आईसीएमआर से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार यह दवा सुरक्षित है. उन्होंने कहा कि इस दवा से हृदय पर कोई गंभीर विपरीत प्रभाव नहीं देखा गया इसलिए यह सुखद समाचार है कि डब्ल्यूएचओ ने अपने आंकड़ों की समीक्षा करने के बाद इसका क्लिनिकल ट्रायल पुनः शुरू कर दिया है. उन्होंने कहा, यह दवा सस्ती है, सरलता से उपलब्ध है, और काफी समय से सुरक्षित इस्तेमाल की जा रही है. कोविड-19 के उपचार में यह लाभकारी सिद्ध होती है तो यह अच्छा होगा.