देश में एक तरफ कोरोना संक्रमण का खतरा है तो दूसरी तरफ किसान आंदोलन कर रहे हैं. इस बीच जब खाद की कीमतों में बढोतरी की खबर आयी तो सरकार ने तुरंत उच्चस्तरीय बैठक बुलाकर खाद की कीमतों पर नियंत्रण की कोशिश की.
सोशल मीडिया पर वायरल हो रही खाद की कीमतों को लेकर इफको ने सफाई दी कि सोशल मीडिया पर जो रेट वायरल हो रहे हैं वो किसानों के लिए नहीं है. हमारे पास 11.26 लाख टन कॉम्प्लेक्स फर्टिलाइजर (डीएपी,एनपीके) मौजूद है. किसानों को पुरानी कीमत पर ही मिलेगा.
देश में कोरोना संक्रमण को देखते हुए भारत सरकार ने किसानों को बड़ी राहत दी है. सरकार ने खाद कपंनी और गैर यूरिया कंपनियों से अनुरोध किया है कि वह एमआरपी पर ही खाद की बिक्री करें, कीमत ना बढ़ायें.
सरकार ने यह फैसला मौजूदा हालात को देखते हुए लिया है. सरकार ने रिटेल कीमतों में हो रही बढोतरी पर संज्ञान लेते हुए यह फैसला लिया है. बढ़ी हुई कीमत की खबर के बाद एक उच्च स्तरीय बैठक बुलायी गयी जिसके बाद यह निर्देश दिया गया है. डीएपी,एमओपी और एनपीके जैसे गैर- यूरिया कंपनियां खुदरा कीमते खुद तय करती है. केंद्र सरकार हर साल उन्हें तय सब्सिडी देती है.
उर्वरक एवं रसायन राज्यमंत्री मनसुख मंडाविया ने खाद की कीमतों पर कहा, हमने बैठक बुलाकर खाद कंपनियों दाम ना बढ़ाने के लिए कहा है , खाद कंपनियों ने इस पर सहमति जतायी है. सरकार ने कॉम्पैल्क्स फर्टिलाइजर पुराने दाम पर बेचने के लिए कहा है. इस फैसले से किसानों को बड़ी राहत मिली है उन्हें पुराने दामों पर ही कीमत मिलती है.