UAPA के तहत प्रतिबंधित संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) को सोमवार को सुप्रीम कोर्ट से झटका लगा है. शीर्ष न्यायालय ने पीएफआई की याचिका सुनने से इनकार कर दिया है. PFI ने याचिका में बैन को चुनौती देने का काम किया था. सुप्रीम कोर्ट ने याचिका को सुनने से इनकार करते हुए कहा कि यह मामला पहले हाई कोर्ट में जाना चाहिए था.
पीएफआई को हाई कोर्ट जाने की अनुमति
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र द्वारा ‘पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया’ (पीएफआई) पर लगाए गए प्रतिबंध की पुष्टि करने संबंधी गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) न्यायाधिकरण के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दी है. न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस और न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी की पीठ ने कहा कि न्यायाधिकरण के आदेश के खिलाफ पहले हाई कोर्ट जाना पीएफआई के लिए उचित होगा. पीएफआई की ओर से पेश वरिष्ठ वकील श्याम दीवान ने कोर्ट के इस विचार से सहमति व्यक्त की कि संगठन को पहले होई कोर्ट का रुख करना चाहिए था और फिर शीर्ष अदालत के पास आना चाहिए था. इसके बाद पीठ ने याचिका खारिज कर दी, लेकिन पीएफआई को हाई कोर्ट जाने की अनुमति दे दी.
आपको बता दें कि पीएफआई ने अपनी याचिका में यूएपीए न्यायाधिकरण के 21 मार्च के उस आदेश को चुनौती दी थी जिसमें उसने केंद्र के 27 सितंबर, 2022 के फैसले की पुष्टि की थी. केंद्र ने इस्लामिक स्टेट (आईएसआईएस) जैसे वैश्विक आतंकवादी संगठनों के साथ कथित संबंधों और देश में सांप्रदायिक नफरत फैलाने की कोशिश के लिए पीएफआई पर पांच साल के लिए प्रतिबंध लगा दिया है.
भाषा इनपुट के साथ