सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बॉन्ड को असंवैधानिक बताकर किया रद्द, एसबीआई को देनी होगी रिपोर्ट
चुनावी बॉन्ड स्कीम की बात करें तो इसे सरकार ने दो जनवरी, 2018 को अधिसूचित किया था. चुनावी बॉन्ड को राजनीतिक दलों को मिलने वाले पैसे में पारदर्शिता लाने के प्रयासों के तहत राजनीतिक दलों को दिए जाने वाले दान के विकल्प के रूप में पेश किया गया था. जानें इसकी खास बातें
सुप्रीम कोर्ट में चुनावी बॉन्ड पर गुरुवार को सुनवाई हुई. सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बॉन्ड योजना को असंवैधानिक बताया और इसे रद्द कर दिया. कोर्ट ने एसबीआई 12 अप्रैल 2019 से अब तक खरीदे गए चुनावी बॉन्ड का ब्योरा निर्वाचन आयोग को सौंपने को कहा है. सुप्रीम कोर्ट का मानना है कि चुनावी बांड योजना अनुच्छेद 19(1) (ए) के तहत सूचना के अधिकार का उल्लंघन है. शीर्ष कोर्ट ने कहा कि राजनीतिक दल चुनावी प्रक्रिया में प्रासंगिक इकाइयां हैं. चुनावी विकल्पों के लिए राजनीतिक दलों की फंडिंग के बारे में जानकारी जरूरी है.
आगे कोर्ट ने कहा कि उसने केंद्र सरकार की चुनावी बॉन्ड योजना की कानूनी वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सर्वसम्मति से फैसला सुनाया है, जो राजनीतिक दलों को बिना नाम बताए फंडिंग की अनुमति देती है.
Supreme Court holds Electoral Bonds scheme is violative of Article 19(1)(a) and unconstitutional. Supreme Court strikes down Electoral Bonds scheme. Supreme Court says Electoral Bonds scheme has to be struck down as unconstitutional. https://t.co/T0X0RhXR1N pic.twitter.com/aMLKMM6p4M
— ANI (@ANI) February 15, 2024
क्या कहा कोर्ट ने
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चुनावी बॉन्ड योजना पर प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड ने कहा कि दो अलग-अलग लेकिन सर्वसम्मत फैसले हैं.
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काले धन पर अंकुश लगाने के लिए सूचना के अधिकार का उल्लंघन उचित नहीं है.
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चुनावी बांड के माध्यम से कॉर्पोरेट योगदानकर्ताओं के बारे में जानकारी का खुलासा किया जाना चाहिए.
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नागरिकों की निजता के मौलिक अधिकार में राजनीतिक गोपनीयता, संबद्धता का अधिकार भी शामिल है.
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बिना नाम के चुनावी बॉन्ड संविधान प्रदत्त सूचना के अधिकार, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का उल्लंघन है.
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सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि संबद्व बैंक चुनावी बॉन्ड को जारी करने से रोके.
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एसबीआई 12 अप्रैल 2019 से अब तक खरीदे गए चुनावी बॉन्ड का ब्योरा निर्वाचन आयोग को सौंपे.
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एसबीआई उन राजनीतिक दलों के विवरण निर्वाचन आयोग को दे जिन्हें 12 अप्रैल 2019 से अब चुनावी बॉन्ड के जरिए धनराशि मिली है.
Supreme Court says information about corporate contributors through Electoral Bonds must be disclosed as the donations by companies are purely for quid pro quo purposes.
— ANI (@ANI) February 15, 2024
आपको बता दें कि इलेक्टोरल बॉन्ड सरकार द्वारा 2 जनवरी 2018 में पेश किया गया था. चुनावी बॉन्ड को जारी हुए करीब पांच साल से ज्यादा हो चुके हैं, लेकिन अब भी इसके बारे में लोगों को ज्यादा जानकारी नहीं है. बहुत से लोग इसे इंवेस्टमेंट बॉन्ड समझते हैं. तो आइए जानते हैं कि आखिर चुनावी बॉन्ड होता क्या है ?
Supreme Court says it has delivered a unanimous verdict on a batch of pleas challenging the legal validity of the Central government’s Electoral Bond scheme which allows for anonymous funding to political parties. pic.twitter.com/HkBIrDJr9O
— ANI (@ANI) February 15, 2024
चुनावी बॉन्ड क्यों?
चुनावी बॉन्ड की बात करें तो इसे केंद्र सरकार ने चुनाव में राजनीतिक दलों के चंदे का ब्योरा रखने के लिए बनाया है. केंद्र की ओर से कहा गया था कि चुनावी बॉन्ड चंदे की पारदर्शिता के लिए लाया गया है. चुनावी बॉन्ड के तहत हर राजनीतिक दल को दिए जाने वाले एक-एक पैसे का हिसाब-किताब होगा.
कहां मिलता है चुनावी बॉन्ड?
चुनावी बॉन्ड जिसे अंग्रेजी में ‘इलेक्टोरल बॉन्ड्स स्कीम’ के नाम से भी जाना जाता है. यह भारतीय स्टेट बैंक की चुनिंदा शाखाओं से लोगों को मिलते हैं. नई दिल्ली, गांधीनगर, चंडीगढ़, बेंगलुरु, हैदराबाद, भुवनेश्वर, भोपाल, मुंबई, जयपुर, लखनऊ, चेन्नई, कोलकाता और गुवाहाटी सहित कई शहर में यह आपको मिल जाएंगे.
Supreme Court holds that anonymous Electoral Bonds scheme is violative of Right to Information under Article 19(1)(a).
— ANI (@ANI) February 15, 2024
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क्या आप भी खरीद सकते हैं चुनावी बॉन्ड जानें यहां?
यदि आपके मन में सवाल आ रहा है कि क्या मैं भी इसे खरीद सकता हूं…तो इसका जवाब हैं हां…इस चुनावी बॉन्ड को कोई भी खरीद सकता है. चुनावी बॉन्ड को भारत का कोई भी नागरिक, कंपनी या संस्था चुनावी चंदे के लिए खरीदने का काम कर सकता है. चुनावी बॉन्ड एक हजार, दस हजार, एक लाख और एक करोड़ रुपये तक के हो सकते हैं. यदि आप किसी भी राजनीतिक पार्टी को चंदा देना चाहते हैं तो एसबीआई से चुनावी बॉन्ड खरीदने में सक्षम हैं. बॉन्ड खरीदकर किसी भी पार्टी को आप दे सकते हैं.
दानकर्ता की पहचान नहीं की जाती है उजागर
चुनावी बॉन्ड की खास विशेषता यह है कि इसमें दानकर्ता की पहचान उजागर नहीं की जाती है. जब कोई व्यक्ति या संस्था इन चुनावी बॉन्ड को खरीदता है, तो उनकी पहचान जनता या धन प्राप्त करने वाले राजनीतिक दल के सामने प्रकट नहीं की जाती है. हालांकि, सरकार और बैंक फंडिंग स्रोतों की वैधता सुनिश्चित इसमें किया जाता है, और ऑडिटिंग के उद्देश्यों के लिए खरीदने वाले के विवरण का रिकॉर्ड रखा जाता है.