Bilkis Bano Case से जस्टिस बेला एम त्रिवेदी ने खुद को किया अलग, 11 दोषियों की रिहाई का मामला
Bilkis Bano Case: सुप्रीम कोर्ट की जज न्यायामूर्ति बेला एम त्रिवेदी ने दुष्कर्म और हत्या मामले के 11 दोषियों की समय से पहले रिहाई के फैसले को चुनौती देने वाली बिलकिस बानो की याचिका पर सुनवाई से खुद को अलग कर लिया है.
Bilkis Bano Case: गुजरात दंगों की पीड़िता बिलकिस बानो ने सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर की है. बिलकिस बानो ने 13 मई को आए कोर्ट के आदेश पर दोबारा विचार की मांग की है. वहीं, सुप्रीम कोर्ट की जज न्यायामूर्ति बेला एम त्रिवेदी ने दुष्कर्म और हत्या मामले के 11 दोषियों की समय से पहले रिहाई के फैसले को चुनौती देने वाली बिलकिस बानो की याचिका पर सुनवाई से खुद को अलग कर लिया है.
त्रिवेदी के मामले से अलग होने का कोई कारण नहीं आया सामने
जानकारी के मुताबिक, मंगलवार को न्यायामूर्ति अजय रस्तोगी और न्यायामूर्ति बेला एम त्रिवेदी (Justice Bela Trivedi) की पीठ में मामले की सुनवाई शुरू होते ही न्यायामूर्ति रस्तोगी ने कहा कि उनकी बहन न्यायामूर्ति त्रिवेदी इस मामले की सुनवाई नहीं करना चाहती हैं. इसके साथ ही, न्यायमूर्ति रस्तोगी की अध्यक्षता वाली पीठ ने मामले को एक ऐसी पीठ के समक्ष सूचीबद्ध करने का आदेश दिया, जिसमें दोनों में से कोई जज न हो. हालांकि, पीठ ने न्यायमूर्ति त्रिवेदी के मामले से अलग होने का कोई कारण नहीं बताया.
बिलकिस बानो ने सुप्रीम कोर्ट में दायर की है दो याचिकाएं
उल्लेखनीय है कि बिलकिस बानो ने सुप्रीम कोर्ट में दो याचिकाएं दायर की हैं. पहली याचिका में उन्होंने एक दोषी की याचिका पर शीर्ष अदालत के 13 मई, 2022 के आदेश की समीक्षा की मांग की है. कोर्ट में अपने आदेश में गुजरात सरकार से 9 जुलाई, 1992 की एक नीति के तहत दोषियों की समय से पहले रिहाई की याचिका पर विचार करने को कहा था. वहीं, दूसरी याचिका में बिलकिस बानो ने गुजरात सरकार के दोषियों के रिहा करने के फैसले को चुनौती है. जिस पर आज न्यायामूर्ति अजय रस्तोगी और न्यायामूर्ति बेला एम त्रिवेदी की पीठ में सुनवाई होनी थी, लेकिन न्यायामूर्ति त्रिवेदी ने खुद को सुनवाई से अलग कर लिया.
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