बिलकिस बानो मामले में 11 दोषियों की रिहाई के खिलाफ आज सुनवाई करेगा सुप्रीम कोर्ट
2002 में गुजरात में दंगे के समय तमाम मुस्लिम दंगों से बचने के लिए अपना घर-बार छोड़कर पलायन करना चाहते थे. इन्हीं लोगों में बिलकिस बानो और उनका परिवार भी शामिल था. बिलकिस बानो गुजरात के दाहोद जिले के रंधिकपुर गांव की रहने वाली हैं. उनके परिवार में तीन साल की बेटी समेत 15 सदस्य थे.
नई दिल्ली : गुजरात 2002 के दंगों के समय बिलकिस बानो सामूहिक यौन उत्पीड़न मामले के 11 दोषियों की रिहाई के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट मंगलवार को सुनवाई करेगा. इससे पहले सर्वोच्च अदालत ने इस मामले में 9 मई 2023 को सुनवाई की थी. हालांकि, उस दिन की सुनवाई के दौरान एक दोषी अदालत में गैर-हाजिर रहा था. अदालत में गैर-हाजिर रहने वाले दोषी के वकील ने 9 मई की सुनवाई के दौरान अदालत को बताया कि उनके मुवक्किल को अभी तक कोर्ट का औपचारिक नोटिस नहीं मिला है, क्योंकि वह घर पर नहीं है. इस पर अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता एक बार फिर दोषी को नोटिस भेजने की कोशिश करें. कोर्ट दोषी को नोटिस न मिलने की वजह से बार-बार मामले की सुनवाई टाल नहीं सकता. अब अगली सुनवाई 11 जुलाई को होगी. इससे पहले 2 मई को भी दोषियों के वकील ने कोर्ट में एक दोषी को नोटिस न मिलने की बात कही थी. इसके बाद कोर्ट ने मामले की सुनवाई के लिए 9 मई की तारीख तय की थी.
गुजरात और केंद्र सरकार को फटकार
बिलकिस बानो केस के दोषियों की रिहाई के मामले की पिछली सुनवाई के दौरान कोर्ट ने केंद्र और गुजरात सरकार को फटकार लगाई थी. जस्टिस केएम जोसेफ ने कहा कि आप चाहते ही नहीं कि बेंच इस मामले पर सुनवाई करे. जस्टिस जोसेफ ने कहा कि आप केस जीत सकते हैं या हार हार सकते हैं, लेकिन कोर्ट के प्रति अपने कर्तव्य को मत भूलना. इसके बाद केंद्र और गुजरात सरकार ने 11 दोषियों की रिहाई से जुड़ी फाइलें कोर्ट में पेश करने पर सहमति जताई.
क्या है मामला
मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2002 में गुजरात में दंगे के समय तमाम मुस्लिम दंगों से बचने के लिए अपना घर-बार छोड़कर पलायन करना चाहते थे. इन्हीं लोगों में बिलकिस बानो और उनका परिवार भी शामिल था. बिलकिस बानो गुजरात के दाहोद जिले के रंधिकपुर गांव की रहने वाली हैं. उनके परिवार में तीन साल की बेटी समेत 15 सदस्य थे, जो किसी सुरक्षित स्थान पर जाने की कोशिश कर रहे थे. 2002 दंगों के समय बिलकिस पांच माह की गर्भवती भी थीं.
बिलकिस बानो मामले में दायर चार्जशीट के अनुसार, तीन मार्च को जब बिलकिस बानो अपने परिवार और अन्य कई परिवारों के साथ किसी सुरक्षित जगह की तलाश में छप्परबाड़ गांव पहुंची तो 20-30 लोगों ने उन पर हमला कर दिया. हमलावरों ने लाठी-डंडे और जंजीरों से पिटाई करने लगे. इस हमले में बिलकिस के परिवार के सात लोगों की मौत हो गई. मरने वालों में बिलकिस की तीन साल की बेटी भी शामिल थी. इतना ही नहीं, हमलावरों ने बिलकिस बानो और उनकी मां समेत चार महिलाओं का सामूहिक यौन उत्पीड़न की घटना को अंजाम दिया.
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कई बार बदलने पड़े घर
मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, इस मामले में बिलकिस बानो को कई धमकियां मिलीं. उन्हें कई बार घर बदलने पड़े. पोस्टमार्टम रिपोर्ट बदली गई, लेकिन उन्होंने न्याय की लड़ाई जारी रखी. यह मामला जब सीबीआई के हाथ में आया, तो जांच दोबारा शुरू की गई. 21 जनवरी 2008 में सीबीआई की विशेष अदालत ने 11 दोषियों को सामूहिक यौन उत्पीड़न और बिलकिस के परिवार के सात सदस्यों की हत्या का दोषी मानते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई. सीबीआई की विशेष अदालत के फैसलों को बंबई हाई कोर्ट ने भी बरकरार रखा. बिलकिस बानो और उनके परिवार की हत्या के दोषियों ने जेल में करीब 15 साल तक सजा काटी. 15 अगस्त, 2022 को बिलकिस बानो मामले के 11 दोषियों को रिहा कर दिया गया. दोषियों की रिहाई के खिलाफ दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हो रही है.