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Bilkis Bano case: क्या है 2002 बिलकिस बानो केस, 11 दोषियों को क्यों किया गया रिहा?

गुजरात में गोधरा कांड के बाद 2002 में बिलकिस बानो सामूहिक बलात्कार मामले में उम्रकैद की सजा पाए सभी 11 दोषी सोमवार को गोधरा उप कारागार से रिहा हो गए. अब जानिए क्या है बिलकिस बानो केस और क्यो दोषियों को किया गया रिहा...

Bilkis Bano case: जब बिलकिस बानो ने अपने घर पर यह खबर देखी तो वह स्तब्ध रह गईं, ऐसा लग रहा था कि समय ठहर सा गया है. वह बुरी तरह टूट गई थी. ऐसा इसलिए क्योंकि 2002 के गुजरात दंगों के दौरान उसके साथ सामूहिक बलात्कार और उसके परिवार के सदस्यों की हत्या के लिए उम्रकैद की सजा पाने वाले 11 लोगों को गुजरात सरकार ने रिहा कर दिया था. गुजरात सरकार ने अपनी क्षमा नीति के तहत इनकी रिहाई की मंजूरी दी.

बिलकिस बानो के पति के पति ने कही ये बात

बिलकिस बानो के पति, याकूब रसूल ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया, “हम स्तब्ध और हिल गए हैं. इतने सालों तक हमने जो लड़ाई लड़ी, वह एक पल में सिमट गई है. कोर्ट की ओर से दी गई आजीवन कारावास की सजा में इस तरह कटौती की गई है… हमने कभी ‘छूट’ शब्द तक नहीं सुना था. हमें यह भी नहीं पता था कि ऐसी प्रक्रिया मौजूद है.” बिलकिस के लिए यह भयावहता और भी बढ़ गई है, क्योंकि जेल से बाहर आने पर दोषियों का जेल के बाहर मिठाई और माला पहनाकर स्वागत किया गया है.

बिलकिस बानो केस क्या है?

  • 27 फरवरी 2002 को गोधरा में साबरमती ट्रेन में आग लगने के बाद गुजरात हिंसक हो गया था. ट्रेन में 59 कारसेवक मारे गए थे.

  • हिंसा फैलने के डर से तत्कालीन पांच माह की गर्भवती बिलकिस बानो अपनी साढ़े तीन साल की बेटी और परिवार के 15 अन्य सदस्यों के साथ अपने गांव रंधिकपुर से भाग गई थी.

  • उन्होंने छपरवाड़ जिले में शरण ली. हालांकि, 3 मार्च को उन पर हंसिया, तलवार और लाठियों से लैस करीब 20-30 लोगों ने हमला किया था. हमलावरों में 11 आरोपी युवक थे.

  • इस दौरान बिलकिस, उनकी मां और तीन अन्य महिलाओं के साथ बलात्कार किया गया और उन्हें बेरहमी से पीटा गया. जिस समय ये घटना हुई, उस समय बिलकिस 5 महीने की गर्भवती थीं. इतना ही नहीं, उनके परिवार के 7 सदस्यों की हत्या भी कर दी थी. बाकी 6 सदस्य वहां से भाग गए थे.

  • कई रिपोर्टों के अनुसार, बिलकिस को घटना के तीन घंटे बाद होश आया और एक आदिवासी महिला से कपड़े उधार लेने के बाद वह शिकायत दर्ज कराने के लिए लिमखेड़ा पुलिस स्टेशन गई.

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11 दोषियों को क्यों किया गया रिहा?

  • संविधान का आर्टिकल 161 कहता है कि अगर किसी व्यक्ति को किसी मामले में दोषी पाया जाता है, तो वही राज्यों की रिमिजन पॉलिसी के तहत सजा माफी के लिए आवेदन कर सकता है. जिन व्यक्तियों पर मुकदमा चल रहा है, उन पर आर्टिकल 161 लागू नहीं होता.

  • ऐसे में दोषियों में से एक, राधेश्याम शाह ने दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 432 और 433 के तहत सजा को माफ करने के लिए गुजरात उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था. उच्च न्यायालय ने यह कहते हुए उनकी याचिका खारिज कर दी कि उनकी छूट के बारे में निर्णय लेने के लिए “उपयुक्त सरकार” महाराष्ट्र है, न कि गुजरात.

  • इन दोषियों को गुजरात सरकार की रिमिजन पॉलिसी के तहत रिहा किया गया है. रिमिजन पॉलिसी के मुताबिक सीआरपीसी की धारा 432 के तहत दोषी को सजा में छूट दी जा सकती है. सजा में छूट के लिए दोषी को खुद ही आवेदन करना पड़ता है. राज्य सरकार अपने आप किसी दोषी को छूट या सजा माफी नहीं दे सकती है.

  • उम्रकैद की सजा पाए दोषी को अपनी मौत तक जेल में ही रहता पड़ता है, ऐसे में अगर किसी के मन में यह गलतफहमी है कि दोषी 14 या फिर 20 साल तक जेल में रहकर रिहा हो सकता है, तो ऐसा बिल्कुल भी नहीं है. हां ये जरूर होता है कि 14 साल पूरे होने के बाद दोषी सजा माफी या सजा में छूट के लिए आवेदन कर सकता है.

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