सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात में 2002 के दंगों के दौरान बिलकिस बानो से सामूहिक दुष्कर्म और उनके परिवार के सात सदस्यों की हत्या के मामले में 11 दोषियों को सजा से छूट देने के राज्य सरकार के फैसले को सोमवार को रद्द कर दिया है जिसके बाद से राजनीतिक प्रतिक्रिया आ रही है. मामले पर कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर लिखा कि अंततः न्याय की जीत हुई है..सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात दंगों के दौरान गैंगरेप की शिकार बिलकिस बानो के आरोपियों की रिहाई रद्द करने का काम किया है. इस आदेश के बाद बीजेपी की महिला विरोधी नीतियों पर पड़ा हुआ पर्दा हट गया है. इस आदेश के बाद जनता का न्याय व्यवस्था के प्रति विश्वास और मजबूत होगा. बहादुरी के साथ अपनी लड़ाई को जारी रखने के लिए बिल्किस बानो को बधाई.
अंततः न्याय की जीत हुई है। सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात दंगों के दौरान गैंगरेप की शिकार #BilkisBano के आरोपियों की रिहाई रद्द कर दी है। इस आदेश से भारतीय जनता पार्टी की महिला विरोधी नीतियों पर पड़ा हुआ पर्दा हट गया है। इस आदेश के बाद जनता का न्याय व्यवस्था के प्रति विश्वास और मजबूत…
— Priyanka Gandhi Vadra (@priyankagandhi) January 8, 2024
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मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने क्या कहा
न्यायमूर्ति बी वी नागरत्न और न्यायमूर्ति उज्ज्वल भूइयां की पीठ ने सजा में छूट को चुनौती देने वाली जनहित याचिकाओं को सुनवाई योग्य करार दिया और कहा कि गुजरात सरकार सजा में छ्रट का आदेश देने के लिए उचित सरकार नहीं है. सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार से दोषियों की सजा माफी की याचिका पर विचार करने संबंधी एक अन्य पीठ के 13 मई, 2022 के आदेश को ‘अमान्य’ माना है. आपको बता दें कि घटना के वक्त बिनकिस बानो 21 साल की थीं, साथ हीं पांच माह की गर्भवती थीं. बानो से गोधरा ट्रेन में आग लगाए जाने की घटना के बाद भड़के दंगों के दौरान दुष्कर्म किया गया था जिसपर पूरे देश में चर्चा हुई थी. दंगों में मारे गए उनके परिवार के सात सदस्यों में उनकी तीन साल की बेटी भी शामिल थी.
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सुप्रीम कोर्ट में याचिका डाली गई
उल्लेखनीय है कि गुजरात सरकार ने सभी 11 दोषियों को 15 अगस्त 2022 को सजा में छूट दे दी थी और उन्हें रिहा कर दिया था. इसे बाद सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी.