मुंबई : कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाव के लिए सीरम इंस्टीट्यूट (SII) द्वारा निर्मित टीका कोविशील्ड से महाराष्ट्र में एक महिला की मौत के मामले में बंबई हाईकोर्ट ने दवा निर्माता कंपनी समेत अन्य से जवाब तलब किया है. याचिकाकर्ता ने अपनी बेटी की मौत के लिए कोरोनारोधी टीका कोविशील्ड को दोषी ठहराते हुए 1000 करोड़ रुपये के मुआवजे की मांग की है. इस मामले में याचिकाकर्ता ने माइक्रोसॉफ्ट कंपनी के संस्थापक बिल गेट्स, केंद्र सरकार, महाराष्ट्र सरकार और भारत के औषधि महानियंत्रक को भी पक्ष बनाया है.
मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, बंबई हाईकोर्ट ने दिलीप लुनावत द्वारा दायर उस याचिका पर सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (एसआईआई) और अन्य से जवाब मांगा है, जिसमें उन्होंने अपनी बेटी की मौत के लिए कोविशील्ड टीका को दोषी ठहराया और टीका कंपनी से 1,000 करोड़ रुपये के मुआवजे की मांग की है. याचिकाकर्ता दिलीप लुनावत ने माइक्रोसॉफ्ट कंपनी के संस्थापक बिल गेट्स, केंद्र सरकार, महाराष्ट्र सरकार और भारत के औषधि महानियंत्रक को भी पक्षका बनाया है. गेट्स के फाउंडेशन ने एसआईआई कंपनी के साथ भागीदारी की थी.
जस्टिस एसवी गंगापुरवाला और जस्टिस माधव जामदार की खंडपीठ ने 26 अगस्त को याचिका पर सभी प्रतिवादियों को नोटिस जारी किया. मामले की सुनवाई 17 नवंबर को होगी. याचिकाकर्ता ने दावा किया कि उसकी बेटी स्नेहल लुनावत मेडिकल छात्रा थी और उसे 28 जनवरी, 2021 को नासिक में अपने कॉलेज में एसआईआई द्वारा तैयार कोविड टीका कोविशील्ड लेने के लिए मजबूर किया गया, क्योंकि वह स्वास्थ्य कार्यकर्ता थी.
याचिका के अनुसार, कोविशील्ड का टीका लगवाने के कुछ दिनों बाद स्नेहल को तेज सिरदर्द और उल्टी हुई और उसे अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने कहा कि उनके दिमाग में क्लाउटिंग हो रहा है. एक मार्च, 2021 को स्नेहल की मौत हो गई. इसमें दावा किया गया है कि मौत का कारण कारण टीका का दुष्प्रभाव था.
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याचिका में दो अक्टूबर, 2021 को टीकाकरण के बाद प्रतिकूल घटनाएं (एईएफआई) संबंधी केंद्र सरकार की समिति द्वारा पेश एक रिपोर्ट को आधार बनाया गया है, जिसमें कथित तौर पर स्वीकार किया गया था कि उनकी बेटी की मौत कोविशील्ड टीका के दुष्प्रभावों के कारण हुई थी. याचिका में एसआईआई से 1,000 करोड़ रुपये के मुआवजे की मांग की गई है.