Government Of National Capital Territory Of Delhi Amendment Bill 2021 दिल्ली में उपराज्यपाल को ज्यादा शक्तियां देने वाले राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) विधेयक 2021 (GNCTD Bill 2021) बिल को पेश करने के दौरान मंगलवार को राज्यसभा में विपक्षी पार्टियों ने जोरदार हंगामा किया. विपक्षी सदस्यों के हंगामे के मद्देनजर सदन की कार्रवाई शाम 5 बजकर 24 मिनट तक स्थगित करनी पड़ी. बता दे कि राजधानी दिल्ली में उपराज्यपाल की शक्तियों को परिभाषित करने के लिए पेश किए गए बिल को लेकर राजनीतिक घमासान मचा हुआ है. जानिए इस बिल में क्या है और इस पर क्यों बवाल मचा है.
Ruckus by Opposition in Rajya Sabha as the Government of National Capital Territory of Delhi (Amendment) Bill, 2021 is introduced in the House
— ANI (@ANI) March 23, 2021
House adjourned till 5.24pm pic.twitter.com/4tE2HTTaRM
GNCTD Bill 2021 के अनुसार दिल्ली में सरकार का मतलब उपराज्यपाल (LG) होगा और विधानसभा से पारित किसी भी विधेयक को मंजूरी देने की ताकत उसी के पास होगी. राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) विधेयक 2021 बिल में यह भी प्रवाधान किया गया है कि दिल्ली सरकार को शहर से जुड़ा कोई भी निर्णय लेने से पहले उपराज्यपाल से सलाह लेनी होगी. साथ ही दिल्ली सरकार अपनी ओर से कोई कानून खुद नहीं बना सकेगी. इसके उद्देश्यों में कहा गया है कि विधेयक विधान मंडल और कार्यपालिका के बीच सौहार्दपूर्ण संबंधों का बढ़ाएगा. साथ ही निर्वाचित सरकार और राज्यपालों के उत्तरदायित्वों को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली के शासन की संवैधानिक योजना के अनुरूप परिभाषित करेगा.
राजधानी दिल्ली में एलजी की शक्तियों को बढ़ाने से संबंधित विधेयक को लेकर सियासी घमासान तेज हो गया है. भाजपा पर आरोप लगाते हुए मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा है कि वह लोकसभा में एक नया विधेयक लाकर उनकी चुनी हुई सरकार की शक्तियों को बहुत कम करना चाहती है. यह विधेयक संविधान पीठ के फैसले के विपरीत है.
दिल्ली में उपराज्यपाल और केजरीवाल सरकार के बीच शक्तियों को लेकर पहले भी टकराव हो चुका है. पूर्व में मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया था. शीर्ष अदालत की संवैधानिक पीछ ने 4 जुलाई 2018 को फैसला सुनाते हुए कहा था कि सरकार के दैनिक कामकाज में राज्यपाल दखल नहीं दे सकता. इस फैसले के बाद मामला सुलझता दिखा रहा था, लेकिन अब इस बिल के संसद में आने के बाद एक फिर मामला गर्माता हुआ दिखाई दे रहा है.
इस विधेयक के प्रावधानों का दिल्ली में सत्ताधारी आप खुलकर विरोध कर रही है. सीएम अरविंद केजरीवाल ने इसके विरोध की कमान खुद संभाल रखी है. वहीं, भारतीय जनता पार्टी (BJP) का दावा है कि दिल्ली केंद्र शासित प्रदेश है और कार्य सरलता के साथ हो, इसी नीयत के साथ यह विधेयक लाया गया है. जबकि, कांग्रेस इस मुद्दे को ज्यादा गंभीरता से लेने के मूड में नहीं दिख रही है. उधर, नैशनल कॉन्फ्रेंस नेता उमर अब्दुल्ला ने इस बिल का विरोध करते हुए आम आदमी पार्टी का समर्थन किया है.
गौर हो कि अरविंद केजरीवाल की पार्टी आप लंबे वक्त से राजधानी दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा देने की मांग करती रही है. सीएम केजरीवाल अकसर दिल्ली सरकार के कामकाज में केंद्र और एलजी के दखल का आरोप लगाते रहे हैं. अब नए बिल में एलजी की शक्तियां बढ़ाने की बात कही गई है, ऐसे में बिल के पेश होने के बाद विवाद और बढ़ने की आशंका जताई जा रही है.
लोकसभा ने दिल्ली में उपराज्यपाल को ज्यादा शक्तियां प्रदान करने वाला दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी राज्यक्षेत्र शासन (संशोधन) विधेयक, 2021 सोमवार को ध्वनिमत से पारित कर दिया था. इस बिल में उपराज्यपाल की कुछ भूमिकाओं और अधिकारों को परिभाषित किया गया है. बिल पर चर्चा का जवाब देते हुए गृह राज्य मंत्री जी किशन रेड्डी ने कहा था कि संविधान के अनुसार, दिल्ली विधानसभा से युक्त सीमित अधिकारों वाला एक केंद्र शासित राज्य है. सुप्रीम कोर्ट ने भी अपने फैसले में कहा है कि यह केंद्र शासित राज्य है. सभी संशोधन न्यायालय के निर्णय के अनुरूप हैं.
गृह राज्य मंत्री जी किशन रेड्डी ने कहा था कि कुछ स्पष्टताओं के लिए यह बिल लाया गया है. जिससे दिल्ली के लोगों को फायदा होगा और पारदर्शिता आएगी. उन्होंने आगे कहा कि इसे राजनीतिक दृष्टिकोण से नहीं लाया गया और तकनीकी कारणों से लाया गया है ताकि भ्रम की स्थिति नहीं रहे. मंत्री के जवाब के बाद लोकसभा ने ध्वनिमत से राष्ट्रीय राजधानी राज्यक्षेत्र शासन (संशोधन) विधेयक 2021 को मंजूरी प्रदान कर दी.
गृह राज्य मंत्री जी किशन रेड्डी ने कहा था कि इस बिल के जरिये किसी से कोई अधिकार नहीं छीना जा रहा है. पहले से ही स्पष्ट है कि राष्ट्रपति केंद्र शासित प्रदेश के प्रशासक के रूप में दिल्ली के उपराज्यपाल को नियुक्त करते हैं. अगर कोई मतभेद की स्थित हो तब विषय को राष्ट्रपति के पास भेजा जा सकता है. बिल के उद्देश्यों एवं कारणों के अनुसार, इस विधेयक में दिल्ली विधानसभा में पारित विधान के परिप्रेक्ष्य में सरकार का आशय राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली के उपराज्यपाल से होगा. इसमें दिल्ली की स्थिति संघ राज्य क्षेत्र की होगी जिससे विधायी उपबंधों के निर्वाचन में अस्पष्टताओं पर ध्यान दिया जा सके. इस संबंध में धारा 21 में एक उपधारा जोड़ी जाएगी.
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