Bioeconomy: वैश्विक स्तर पर जैव-अर्थव्यवस्था में भारत को अग्रणी बनाने की पहल

भारत की जैव अर्थव्यवस्था वर्ष 2014 के 10 अरब डॉलर थी जो वर्ष 2024 में 130 अरब डॉलर हो गयी. वर्ष 2030 तक इसके 300 अरब डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है. इस क्षेत्र में भारत को वैश्विक तौर पर स्थापित करने के लिए सरकार ने जैवई3 नीति बनाई है.

By Anjani Kumar Singh | August 26, 2024 6:41 PM
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Bioeconomy: जैव-अर्थव्यवस्था के क्षेत्र में भारत को वैश्विक लीडर के तौर पर स्थापित करने को लेकर केंद्र सरकार ने नयी जैव-अर्थव्यवस्था नीति जारी की है. वर्ष 2014 में देश में जैव-अर्थव्यवस्था 10 अरब डॉलर थी, जो वर्ष 2024 में बढ़कर 130 अरब डॉलर से अधिक हो गयी है और वर्ष 2030 तक इसके 300 अरब डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है. सोमवार को इस नीति की जानकारी देते हुए केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री(स्वतंत्र प्रभार) ने कहा कि केंद्रीय कैबिनेट ने हाल ही में इस क्षेत्र में व्यापक बदलाव लाने के लिए महत्वाकांक्षी जैवई3 (अर्थव्यवस्था, रोजगार और पर्यावरण के लिये जैव प्रौद्योगिकी) नीति को मंजूरी दी है. आने वाले समय में भारत वैश्विक स्तर पर जैव प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में बड़ी ताकत बनकर उभरेगा. जैवई3 नीति भारत के विकास को गति देने के साथ ही न्यूनतम कार्बन उत्सर्जन वाले जैव आधारित उत्पादों के विकास को बढ़ावा देगी. इससे  ‘मेक इन इंडिया’ का दायरा भी व्यापक होगा. 

जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से निपटने में मिलेगी मदद


केंद्रीय मंत्री ने कहा कि इस नीति से जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से निपटने में मदद मिलेगी. इस नीति के तहत रसायन आधारित उद्योगों से टिकाऊ जैव-आधारित मॉडल अपनाने पर जोर दिया जायेगा. हरित गैसों, बायोमास और अन्य उपायों से शून्य कार्बन उत्सर्जन हासिल करने और जैव आधारित उत्पादों के विकास को प्रोत्साहन देने के साथ ही रोजगार सृजन को बढ़ावा दिया जायेगा. इस नीति के तहत जैव-एआई केंद्र की स्थापना होगा. इस केंद्र में डेटा का विश्लेषण कर आधुनिक तकनीक का प्रयोग कर उपचार के नये साधन और खाद्य प्रसंस्करण के क्षेत्र में नये उत्पादों को सामने लाने में मदद मिलेगी. साथ ही जैव कृषि को बढ़ावा देने का काम होगा. इससे खेती की लागत कम होने के साथ जमीन की उर्वरा शक्ति बढ़ाने में मदद मिलेगी.  

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