केपीए के समर्थन वापसी के बाद क्या मणिपुर में गिर जाएगी बिरेन सिंह की सरकार? जानें क्या है समीकरण
मणिपुर में जारी जातीय हिंसा के मद्देनजर 21 अगस्त से शुरू होने वाले विधानसभा सत्र में विभिन्न दलों के ज्यादातर कुकी विधायकों के शामिल होने की संभावना नहीं है. इस बीच केपीए ने सरकार से समर्थन वापसी की घोषणा की है. जानें इसका क्या पड़गा प्रभाव
मणिपुर में हिंसा का दौर जारी है. इस बीच एनडीए के सहयोगी दल कुकी पीपुल्स अलायंस (केपीए) ने मणिपुर में एन बिरेन सिंह सरकार से समर्थन वापस लेने की घोषणा कर दी है. राज्यपाल अनुसुइया उइके को लिखे एक पत्र में केपीए प्रमुख तोंगमांग हाओकिप ने सरकार से संबंध तोड़ने के पार्टी के फैसले की सूचना दी. हाओकिप ने पत्र में कहा है कि मणिपुर की मौजूदा स्थिति पर विचार-विमर्श करने के बाद यह निर्णय लिया गया है. विधानसभा में केपीए के दो विधायक हैं. इस घटनाक्रम के बाद लोगों के मन में सवाल उठ रहा है कि क्या इस समर्थन वापसी की घटना के बाद सरकार गिर जाएगी.
तो आपको बता दें कि एनडीए के सहयोगी दल कुकी पीपुल्स अलायंस (केपीए) के समर्थन वापसी से सरकार की स्थिरता पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा. ऐसा इसलिए क्योंकि 60 सदस्यीय विधानसभा में भाजपा के 37 सदस्य हैं. वहीं, एनपीपी के सात और एनपीएफ के पांच विधायक हैं. कांग्रेस के भी पांच विधायक हैं. वहीं, 21 अगस्त से शुरू होने वाले विधानसभा सत्र में विभिन्न दलों के ज्यादातर कुकी विधायकों के शामिल होने की संभावना नहीं है.
विधानसभा सत्र में कुकी विधायकों के भाग लेने की संभावना नहीं
खबरों की मानें तो मणिपुर में जारी जातीय हिंसा के मद्देनजर 21 अगस्त से शुरू होने वाले विधानसभा सत्र में विभिन्न दलों के ज्यादातर कुकी विधायकों के शामिल होने की संभावना नहीं है. कुकी समुदाय के नेताओं की ओर से इस बाबत जानकारी दी है. कुकी समुदाय के लोगों के लिए अलग प्रशासनिक इकाई की मांग ‘‘सर्वसम्मति’’ से खारिज करने के लिए जल्द विधानसभा सत्र बुलाए जाने की मांग का नेतृत्व कर रहे शीर्ष मेइती संगठन ‘सीओसीओएमआई’ ने हालांकि, यह दावा किया कि यदि ‘‘आदिवासी विधायक सत्र में भाग लेना चाहते हैं’’ तो वे उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करेगा.
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आपको बता दें कि मणिपुर की 60-सदस्यीय विधानसभा में कुकी-जोमी समुदाय के 10 विधायक हैं, जिनमें से सात भाजपा के, दो कुकी पीपुल्स एलायंस तथा एक निर्दलीय विधायक शामिल है. जानकारों की मानें तो कुकी विधायकों की गैर-मौजूदगी से पिछले तीन महीने से चल रहे जातीय संघर्ष पर कोई सार्थक चर्चा होने की संभावना नहीं है. इस हिंसा में 160 से अधिक लोगों की जान चली गयी है.
चार मई की घटना को लेकर पांच पुलिसकर्मी निलंबित
मणिपुर पुलिस ने उस क्षेत्र के थाना प्रभारी समेत पांच पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया है, जहां चार मई को कुछ लोगों द्वारा दो महिलाओं को निर्वस्त्र कर घुमाने की बर्बर घटना हुई थी.
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फिर भड़की हिंसा, 15 घर जलाये
मणिपुर के इंफाल वेस्ट जिले में फिर से हिंसा भड़क उठी है. इस दौरान 15 मकान जला दिये गये. अधिकारियों ने रविवार को बताया कि इस घटना के बाद लांगोल गेम्स गांव में आक्रोशित भीड़ सड़कों पर उतर आयी, जिसे तितर-बितर करने के लिए सुरक्षा बलों ने आंसू गैस के गोले दागे और स्थिति को काबू में किया. हिंसा के दौरान 45 वर्षीय एक व्यक्ति को गोली मारी गयी.
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हिंसा में 160 से ज्यादा लोगों की मौत
गौर हो कि मणिपुर में अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की मेइती समुदाय की मांग के विरोध में पर्वतीय जिलों में तीन मई को ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ के आयोजन के बाद प्रदेश में भड़की जातीय हिंसा अबतक जारी है. इस हिंसा में 160 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है. मणिपुर में मेइती समुदाय की आबादी करीब 53 प्रतिशत है और वे मुख्य रूप से इंफाल घाटी में निवास करते हैं. जबकि, नगा और कुकी जैसे आदिवासी समुदायों की आबादी 40 प्रतिशत है और वे अधिकतर पर्वतीय जिलों में रहते हैं.
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मणिपुर में हालात पर नजर रखने वाली विभिन्न सुरक्षा एजेंसियों के अधिकारियों की मानें तो हिंसा को बड़े पैमाने पर अफवाहों और फर्जी खबरों के कारण बढ़ावा मिला जिसकी वजह से मणिपुर के हालात खराब हो गये. यही वजह है कि राज्य में इंटरनेट पर तुरंत बैन लगने का फैसला सरकार की ओर से लिया गया.