Birsa Munda Jayanti:भगवान बिरसा मुंडा का जीवन और आदर्श हमें सदैव प्रेरित करते रहेंगे

भगवान बिरसा मुंडा का नेतृत्व राष्ट्रीय जागरण का कारण बना और उनके योगदान को सम्मान के साथ याद किया जाता है. कला, परंपराओं के संरक्षण तथा विरासत और विकास के समन्वय के साथ-साथ देश के आगे बढ़ाने में आदिवासी समाज की सदा से ही महत्वपूर्ण भूमिका रही है.

By Anjani Kumar Singh | November 15, 2024 7:03 PM
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Birsa Munda Jayanti:राष्ट्रपति  द्रौपदी मुर्मू ने संसद भवन परिसर में स्थित प्रेरणा स्थल पर भगवान बिरसा मुंडा की प्रतिमा पर उनकी 150वीं जयंती और जनजातीय गौरव दिवस के अवसर पर पुष्पांजलि अर्पित की. इस अवसर पर उप राष्ट्रपति एवं राज्य सभा अध्यक्ष जगदीप धनखड़, लोक सभा अध्यक्ष ओम बिरला तथा राज्य सभा के उपसभापति हरिवंश सहित अन्य गणमान्य व्यक्तियों ने भी श्रद्धांजलि अर्पित की. लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने अपने संदेश में कहा कि आदिवासी अस्मिता और संस्कृति के गौरव, उलगुलान के प्रणेता, धरती आबा भगवान बिरसा मुंडा जी की जयंती पर सविनय नमन. भगवान बिरसा मुंडा का 150 वां जन्म जयंती वर्ष आज से शुरू हो रहा है.

जनजातीय गौरव दिवस के इस उपलक्ष्य पर सभी देशवासियों को शुभकामनाएं. भगवान बिरसा देश, समाज और संस्कृति के लिए अपना सर्वस्व समर्पण कर देने वाले महानायक थे. उनके जीवन आदर्श हमें सदैव प्रेरित करते रहेंगे. जननायक बिरसा मुंडा भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन के महान प्रतीक हैं. हमारी समृद्ध संस्कृति और सभ्यता के संवाहक हैं और जनजातीय समाज सहित संपूर्ण राष्ट्र के गौरव हैं.

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बिरसा मुंडा का नेतृत्व राष्ट्रीय जागरण का कारण बना


गौरतलब है कि 2021 से 15 नवम्बर को जनजातीय गौरव दिवस के रूप में मनाया जाता है, ताकि जनजातीय स्वतंत्रता सेनानियों की बलिदान को सम्मानित किया जा सके. जनजातीय समुदायों ने भारत के स्वतंत्रता संग्राम में कई क्रांतिकारी आंदोलनों के माध्यम से महत्वपूर्ण भूमिका निभायी है. यह दिवस जनजातीय समुदायों के इतिहास, संस्कृति और धरोहर को सम्मानित करता है, एवं देशभर में एकता, गर्व और जनजातियों का देश की स्वतंत्रता और प्रगति में योगदान के कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं. बिरला ने कहा, भगवान बिरसा मुंडा, जिन्होंने ब्रिटिश शासन के खिलाफ उलगुलान (क्रांति) का नेतृत्व किया, प्रतिरोध का प्रतीक बन गए.

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भगवान बिरसा मुंडा का नेतृत्व राष्ट्रीय जागरण का कारण बना. कला, परंपराओं के संरक्षण तथा विरासत और विकास के समन्वय के साथ-साथ देश के आगे बढ़ाने में आदिवासी समाज की सदा से ही महत्वपूर्ण भूमिका रही है. निश्चय ही वर्ष 2047 तक विकसित भारत के प्रण को सिद्ध करने में भगवान बिरसा के जीवन आदर्श पथ प्रदर्शक रहेंगे.इस अवसर पर, विभिन्न राज्यों से आए जनजातीय लोक कलाकारों ने संसद भवन परिसर के प्रेरणा स्थल पर सांस्कृतिक प्रस्तुतियां दीं.

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