BJP: जल्द तय होगा दिल्ली का मुख्यमंत्री, भाजपा में जारी है मंथन का दौर

भाजपा अगले कुछ दिनों में मुख्यमंत्री के चेहरे पर फैसला कर सकती है. पार्टी की ओर से मुख्यमंत्री के चेहरे के चयन में सामाजिक समीकरण के अलावा भावी चुनौतियों पर मंथन किया जा रहा है और नेतृत्व किसी ऐसे नेता को सौंपा जायेगा जो पार्टी के शीर्ष नेतृत्व के उम्मीदों पर खरा उतर सके.

By Anjani Kumar Singh | February 11, 2025 7:43 PM

BJP: दिल्ली की सत्ता पर 27 साल बाद काबिज होने वाली भारतीय जनता पार्टी की ओर से मुख्यमंत्री के चेहरे पर मंथन का दौर जारी है. भाजपा अगले कुछ दिनों में मुख्यमंत्री के चेहरे पर फैसला कर सकती है. पार्टी की ओर से मुख्यमंत्री के चेहरे के चयन में सामाजिक समीकरण के अलावा भावी चुनौतियों पर मंथन किया जा रहा है और नेतृत्व किसी ऐसे नेता को सौंपा जायेगा जो पार्टी के शीर्ष नेतृत्व के उम्मीदों पर खरा उतर सके. इस बाबत पार्टी में मंथन का दौर जारी है. इस हफ्ते के अंत तक पार्टी के विधायक दल की बैठक हो सकती है, जिसमें तय होगा कि अगला मुख्यमंत्री कौन होगा. इस बीच शीर्ष नेतृत्व जीते हुए विधायकों से लगातार सलाह-मशविरा कर रहा है.

पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा दिल्ली के विधायकों से मुलाकात कर रहे हैं. मंगलवार को विधायक अनिल शर्मा, शिखा रॉय, सतीश उपाध्याय, अरविंदर सिंह लवली, विजेंद्र गुप्ता, अजय महावर, रेखा गुप्ता, कपिल मिश्रा, कुलवंत राणा और अनिल गोयल ने राष्ट्रीय अध्यक्ष से मुलाकात की. देर शाम कई अन्य विधायकों के भी नड्डा से मुलाकात की संभावना है. विधायकों से मुलाकात का सिलसिला बुधवार को भी जारी रहेगा. पार्टी का शीर्ष नेतृत्व विधायकों से मुलाकात कर उनसे फीडबैक ले रहा है. इस फीडबैक के आधार पर भी तय होगा कि दिल्ली का अगला मुख्यमंत्री कौन होगा. 


सामाजिक समीकरण में फिट होने वाला ही होगा मुख्यमंत्री

दिल्ली में लंबे इंतजार के बाद भाजपा का मुख्यमंत्री होगा. ऐसे में पार्टी की ओर से ऐसे चेहरे की तलाश की जा रही है, जो आने वाले समय में दिल्ली के अलावा दूसरे राज्यों में भी पार्टी की रणनीति को आगे बढ़ाने में मददगार साबित हो सके. एक बात तय है कि विधायकों में से ही कोई मुख्यमंत्री बनेगा. पार्टी आलाकमान दिल्ली की कमान ऐसे व्यक्ति को सौंपना चाहता है जो दिल्ली की जरूरतों को पूरा करने के साथ ही पार्टी की भावी रणनीति के लिए पूरी तरह फिट हो. फिलहाल इस कसौटी पर नयी दिल्ली विधानसभा सीट से जीते प्रवेश वर्मा का पलड़ा भारी दिखता है. वर्मा युवा होने के साथ ही जाट समुदाय से आते हैं. इस बार दिल्ली के अधिकांश जाट बहुल सीटों पर भाजपा को जीत हासिल हुई है. यही नहीं वर्मा को मुख्यमंत्री बनाने का असर पश्चिमी उत्तर प्रदेश, हरियाणा और राजस्थान पर भी पड़ सकता है. इन राज्यों में जाटों की आबादी काफी है और किसान आंदोलन के कारण इस वर्ग की नाराजगी भाजपा से रही है.

ऐसे में प्रवेश वर्मा को मुख्यमंत्री बनाकर भाजपा जाट समुदाय को संदेश दे सकती है, वह उसकी सबसे बड़ी हितैषी है. वर्मा के पक्ष में सबसे बड़ी बात यह है कि वे युवा हैं और पूर्व में एक बार विधायक और दो बार सांसद रह चुके है. भाजपा ऐसे नेताओं को कई राज्यों में मौका दे चुकी है. ऐसे में मौजूदा समय में वर्मा मुख्यमंत्री पद के सबसे प्रबल दावेदार है. 

पूर्वाचली चेहरे पर भी किया जा रहा है विचार

किसी पूर्वांचली चेहरा को मुख्यमंत्री बनाये जाने पर भी पार्टी गंभीरता से विचार कर रही है. इसका कारण इसी साल बिहार में होने वाले विधानसभा के चुनाव और अगले साल उत्तर प्रदेश का चुनाव शामिल है. चूंकि दिल्ली में लगभग 30 फीसदी पूर्वाचलियों की संख्या हो चुकी है इस कारण से भी पार्टी का एक धड़ा बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश से ताल्लुक रखने वाले नेताओं को सीएम बनाने की मांग कर रहे है. पर्वांचलियों में कुल चार नामों की चर्चा जोरों पर है. करावल नगर से कपिल मिश्रा, घोंडा से अजय महावर, लक्षमीनगर से अभय वर्मा और संगम बिहार से चंदन चौधरी का नाम लिया जा रहा है. चूंकि कपिल मिश्रा आम आदमी पार्टी से भाजपा में आये हैं, इसलिए उनकी संभावना थोड़ी कम दिखती है. 

घोंडा से अजय महावर ने दूसरी बार जीत दर्ज कर भाजपा का परचम फहराया है. वह पार्टी के सांगठनिक विस्तार से भी जुड़े रहे हैं तथा केंद्रीय नेत‍‍्त्व के भी पसंद बताये जा रहे हैं. यदि पूर्वांचलियों में से किसी एक को सीएम बनाने का फैसला लिया जाता है इन तीनों की दावेदारी बनती दिख रही है. लेकिन भाजपा हैरान करने वाले फैसले के लिए जानी जाती है और किसी ऐसे चेहरे को भी मौका मिल सकता है, जिसकी चर्चा अभी हो नहीं रही है.

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