Gujarat Election 2022: गुजरात में होने वाले विधानसभा चुनाव पर पूरे देश की नजर टिकी हुई है. जहां कुछ महीने पहले ऐसा प्रतीत हो रहा था कि भाजपा आसानी से अपना गढ़ बचा लेगी. लेकिन आम आदमी पार्टी यानी ‘आप’ की एंट्री से चुनावी मुकाबला रोचक हो चला है. अब भाजपा को गुजरात में कांग्रेस के अलावा अरविंद केजरीवाल की पार्टी ‘आप’ से भी चुनौती मिलेगी. इस बीच मुस्लिम वोट को लेकर सभी के मन में सवाल आ रहा है कि आखिर ये वोट बैंक किस पार्टी की ओर जाएगा.
मुस्लिम वोट पर भाजपा भी सचेत हो गयी है. भाजपा के अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ ने गुजरात में मुसलमानों को जोड़ने की प्रक्रिया शुरू कर दी है. इस अभियान के तहत संबंधित समुदाय की अच्छी-खासी संख्या वाले विधानसभा क्षेत्रों में कम से कम 100 ‘अल्पसंख्यक मित्र’ बनाने का फैसला भाजपा ले लिया है.
इस संबंध में भाजपा नेता जमाल सिद्दीकी ने जानकारी दी है. यहां चर्चा कर दें कि गुजरात में इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव होना है. भाजपा के अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के प्रमुख की ओर से जो जानकारी दी गयी है, उसके अनुसार विधानसभा क्षेत्रों में अल्पसंख्यक समुदायों के लोगों, खासकर मुस्लिमों को पार्टी की बूथ समितियों में भी शामिल किया जाएगा.
भाजपा नेता जमाल सिद्दीकी की मानें तो भाजपा के अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ ने गैर-राजनीतिक पृष्ठभूमि के कम से कम 100 मुसलमानों को पार्टी से सहानुभूति रखने वालों के रूप में जोड़ने के लिए एक अभियान छेड़ दिया है. जिन्हें इस काम में लगाया जाएगा वो आध्यात्मिक नेता, पेशेवर, उद्यमी या फिर सरकार में काम करने वाले भी हो सकते हैं. पार्टी के ऐसे प्रत्येक अल्पसंख्यक मित्रों को अपने आसपास से भाजपा के लिए 50 अल्पसंख्यक वोट सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी सौंपी जागगी.
भाजपा नेता जमाल सिद्दीकी ने आगे जानकारी दी है कि अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के सदस्यों को 109 विधानसभा क्षेत्रों में भाजपा की बूथ समितियों में शामिल किया जाएगा, जहां मुस्लिम आबादी ज्यादा है. यहां उनके 25,000 से एक लाख तक वोट हैं. यहां चर्चा कर दें कि भाजपा की यह पहल ऐसे समय में हुई है, जब गुजरात में बिल्कीस बानो के साथ दुष्कर्म और उनके परिवार के सदस्यों की हत्या के मामले में सजा काट रहे 11 लोगों को रिहाई की वजह से पूरे देश में सवाल खड़े किये जा रहे हैं.
इस बारे में पूछे जाने पर सिद्दीकी ने अपनी पार्टी की सरकार का बचाव किया और कहा कि उसने ‘उच्च न्यायालय के निर्देशों का पालन करते हुए एक समिति बनाई थी और उस समिति ने दोषियों को रिहा करने का फैसला किया. यह केवल भाजपा सरकार थी, जिसने उन्हें दंडित किया और एक निश्चित सजा काटकर वे रिहा हो चुके हैं. आखिरकार, दया भारतीय संस्कृति का हिस्सा है.