हरीश रावत कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हैं. अगर राहुल गांधी की रैली में देवेंद्र यादव की उपस्थिति में उनके पोस्टर हटाये गये तो इसका अर्थ यह है कि वे इस षडयंत्र में शामिल हैं. उनकी भूमिका विवादों के घेरे में आ जाती है. उक्त बातें हरीश रावत के सलाहकार सुरेंद्र अग्रवाल ने तब कही जब उनसे हरीश रावत के ट्वीट के बारे में पूछा गया.
उन्होंने कहा कि प्रदेश में हरीश रावत का कोई विकल्प नहीं है. प्रदेश में कांग्रेस की सरकार ना बने इसके लिए भाजपा साजिश कर रही है. उन्होंने कहा कि हरीश रावत और हमारे सदस्यों के बीच मतभेद पैदा करने के अपने मकसद को पूरा करने के लिए हमारे सहयोगी को गुमराह किया होगा. यह बीजेपी की साजिश हो सकती है वह पहले भी ऐसा कर चुकी है और उनके लिए यह छोटा सा काम है.
BJP may have used ED or CBI to threaten any of our members. They may have misguided our colleague to fulfill their motive of creating differences between Harish Rawat and our members. BJP has done this before and it is a small task for them: Surinder Aggarwal pic.twitter.com/D2L3EjUiKW
— ANI (@ANI) December 22, 2021
गौरतलब है कि कांग्रेस की राजनीति में आज तब हड़कंप मच गया जब उत्तराखंड के प्रदेश कांग्रेस चुनाव प्रचार समिति के अध्यक्ष हरीश रावत ने यह ट्वीट कर दिया कि पार्टी संगठन उनके साथ असहयोग कर रहा है और उनका मन अब राजनीति से अलग होने का कर रहा है.
पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने ट्वीट किया, है न अजीब सी बात, चुनाव रूपी समुद्र को तैरना है, संगठन का ढांचा अधिकांश स्थानों पर सहयोग का हाथ आगे बढ़ाने की बजाय या तो मुंह फेर करके खड़ा हो जा रहा है या नकारात्मक भूमिका निभा रहा है. उन्होंने कहा, सत्ता ने वहां कई मगरमच्छ छोड़ रखे हैं और जिनके आदेश पर तैरना है, उनके नुमाइंदे मेरे हाथ-पांव बांध रहे हैं. मन में बहुत बार विचार आ रहा है कि हरीश रावत, अब बहुत हो गया, बहुत तैर लिए, अब विश्राम का समय है .
हरीश रावत के उत्तराखंड विधानसभा चुनाव से पूर्व किये गये इस ट्वीट से राजनीतिक गलियारों में हड़कंप मच गया है. बताया जा रहा है कि हरीश रावत नये साल में कोई नयी और बड़ी घोषणा कर सकते हैं. कयास लगाने वाले तो यहां तक कह रहा है कि शायद पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह की तरह हरीश रावत भी पार्टी छोड़ सकते हैं.
अगर हरीश रावत ने पार्टी छोड़ी तो कांग्रेस के लिए यह बड़ा झटका होगा क्योंकि अगले साल पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री और कद्दावर नेता कैप्टन अमरिंदर सिंह भी पार्टी छोड़ चुके हैं.