भाजपा ने तमिलनाडु विधानसभा चुनाव के लिए अपने घोषणापत्र में सोमवार को वादा किया कि यदि उसका गठबंधन राज्य की सत्ता में आता है, तो विधानपरिषद को बहाल कर दिया जाएगा.
भाजपा के वरिष्ठ नेता एवं केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने पार्टी का घोषणापत्र जारी किया. गौरतलब है कि दशकों पहले राज्य विधानमंडल के उच्च सदन (विधान परिषद) को खत्म कर दिया गया था . उस समय अन्नाद्रमुक के संस्थापक एम जी रामचंद्रन मुख्यमंत्री थे. राज्य में छह अप्रैल को होने जा रहे विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा ने यहां अपना घोषणापत्र जारी किया.
इसमें कहा गया है, ‘‘विधानमंडल के उच्च सदन को बहाल किया जाएगा, ताकि विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञ विधायी प्रक्रिया में चर्चा कर सकें और भाग ले सकें. ” द्रमुक ने 2010 में सत्ता में रहने के दौरान विधान परिषद बहाल करने की कोशिश की थी, लेकिन वह इसमें कामयाब नहीं हो पाई.
हालांकि, समय गुजरने के साथ इस पर अन्य लोगों का कब्जा होते चला गया. घोषणापत्र जारी करने के अवसर पर केंद्रीय मंत्री वी के सिंह, प्रदेश भाजपा प्रमुख एल मुरूगन और पार्टी के अन्य वरिष्ठ नेता भी मौजूद थे. भाजपा ने हिंदू मंदिरों को राज्य सरकार के नियंत्रण से मुक्त करने का भी वादा करते हुए कहा, ‘‘ मंदिरों का प्रशासन हिंदू विद्वानों एवं संतों के एक अलग बोर्ड को सौंपा जाएगा.”
द्रमुक ने भी अपने चुनाव घोषणापत्र में उच्च सदन को बहाल करने का वादा किया है. भाजपा के घोषणापत्र में कहा गया है कि 12 लाख एकड़ पंचमी भूमि अनुसूचित जाति को सौंपी जाएगी. यह भूमि ब्रिटिश शासन काल में मूल रूप से दलितों के रहन सहन को बेहतर करने के लिए उन्हें दी गई थी.
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दशकों से तमिलनाडु में संघ परिवार के संगठन पहले तो हिूंदी मुन्नानी और फिर भाजपा 30,000 से अधिक मंदिरों को राज्य सरकार के नियंत्रण से मुक्त किये जाने तथा संतों एवं श्रद्धालुओं के एक बोर्ड को सौंपने की मांग करती आ रही है. पार्टी ने रोजगार के 50 लाख नये अवसर सृजित करने और 18 से 23 वर्ष आयु समूह की महिलाओं को मुफ्त दोपहिया वाहन लाइसेंस देने का भी वादा किया.