BJP MLA On Manipur Violence : मणिपुर में जातीय हिंसा के दौरान सुर्खियों में आए कुकी समुदाय के नेता व भारतीय जनता पार्टी के विधायक पाओलिनलाल हाओकिप का कहना है कि राज्य में जातीय हिंसा का समाधान तीन अलग-अलग संघ शासित प्रदेशों का गठन है. पीटीआई-भाषा के साथ साक्षात्कार में हाओकिप ने राज्य में ‘‘जातीय अलगाव को राजनीतिक और प्रशासनिक मान्यता’ देने की पैरवी करने के साथ ही कुकी समुदाय के नेताओं द्वारा कुकी इलाकों के ‘पृथक प्रशासन’ की अस्पष्ट मांग को सही ठहराया.
मैतेई समूहों ने जताया विरोध
हालांकि, मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह और इंफाल के विभिन्न संगठनों के मुखौटा संगठन सीओसीओएमआई (कॉर्डिनेटिंग कमेटी ऑन मणिपुर इंटेग्रिटी) के नेतृत्व वाले मैतेई समूहों ने राज्य को बांटने के किसी भी कदम के खिलाफ स्पष्ट अनिच्छा जतायी है. विश्लेषकों का कहना है कि कुकी समूहों… कुकी नेशनल ऑर्गेनाइजेशन और यूनाइटेड पीपुल्स फ्रंट… के साथ बातचीत कर रही केन्द्र सरकार भी ऐसे बंटवारे के खिलाफ है.
‘मणिपुर का तीन संघ शासित प्रदेशों के रूप में पुनर्गठन’
लेकिन भाजपा नेता हाओकिप ने पीटीआई-भाषा से कहा, ‘‘जहां तक मुझे नजर आ रहा है… केन्द्र सरकार के लिए आगे का रास्ता है कि वह राज्य में जातीय अलगाव को राजनीतिक और प्रशासनिक पहचान दे और मणिपुर का तीन संघ शासित प्रदेशों के रूप में पुनर्गठन करे.’’ आलोचकों ने स्पष्ट किया है कि तीन संघ शासित प्रदेशों के गठन से मणिपुर में अलग-अलग नगा, कुकी और मेइती क्षेत्र होंगे और कई जिलों और गांवों में मिश्रित आबादी होने के कारण इससे बहुत परेशानी होगी.
”दीर्घकालीक शांति सुनिश्चित करने के लिए सर्वोत्तम”
विधायक ने दलील दी कि यह कदम ‘‘दीर्घकालीक शांति सुनिश्चित करने के लिए सर्वोत्तम है और सभी समुदायों के लिए सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने का मार्ग प्रशस्त करेगा.’’ मणिपुर में मई के पहले सप्ताह से शुरू हुई मेइती और कुकी समुदायों के बीच हिंसा में अभी तक 160 से ज्यादा लोगों की मौत हुई है. मणिपुर में मेइती समुदाय के लोगों की आबादी करीब 53 प्रतिशत है और वे ज्यादातर इंफाल घाटी में रहते हैं. वहीं, नगा और कुकी आदिवासियों की आबादी करीब 40 प्रतिशत है और वे मुख्य रूप से पहाड़ी जिलों में रहते हैं.
”केन्द्र सरकार की बातचीत फिर से शुरू होना सकारात्मक प्रगति”
चूड़ाचांदपुर जिले के साइकोर्ट विधानसभा क्षेत्र से निर्वाचित भाजपा विधायक हाओकिप ने कहा, ‘‘कुकी ज़ो चरमपंथी समूहों के साथ द्विपक्षीय मंच पर केन्द्र सरकार की बातचीत फिर से शुरू होना सकारात्मक प्रगति है, खास तौर से ऐसे समय में जब राज्य सरकार अपने बहुसंख्यकवाद और अहंकार भरे व्यवहार से चीजों को बिगाड़ रही है.’’ हाओकिप और अन्य कुकी नेता मानते हैं कि उन्होंने घाटे का सौदा किया है क्योंकि राज्य से मिलने वाले संसाधनों पर बहुसंख्यकों का नियंत्रण है और इतना ही नहीं उन पर नजर रखने के लिए मणिपुर विधानसभा में ‘हिल एरियाज कमेटी’ गठित की गई है.
आदिवासी क्षेत्रों को आरक्षित क्षेत्र घोषित करने से नाखुश
वे इस बात से भी नाखुश हैं कि आदिवासी क्षेत्रों को आरक्षित और संरक्षित वन क्षेत्र घोषित कर दिया गया और आदिवासियों को इन क्षेत्रों पर उनके पुराने अधिकारों का दावा करने का अवसर भी नहीं दिया गया. इस साल की शुरूआत में मणिपुर सरकार ने संरक्षित वन क्षेत्र में स्थित कुकी समुदाय के पूरे गांव में बुलडोजर चलवा दिया था और दावा किया था कि वे वन अधिनियम का उल्लंघन कर रहे थे. आदिवासी समुदाय परिसीमन आयोग की रिपोर्ट को सार्वजनिक करने में हो रही देरी को लेकर भी नाराज है और उनका दावा है कि आयोग की रिपोर्ट में राज्य में समुदाय की जनसंख्या बढ़ने के आधार पर उन्हें ज्यादा सीटें देने की सिफारिश की गई है.
कुकी-जोमी समुदाय पर अफीम की खेती करने का आरोप
वहीं दूसरी ओर कुकी समुदाय के साथ हो रही बातचीत के विरोध में शनिवार को इंफाल में हजारों की संख्या में जमा होकर प्रदर्शन करने वाले सीओसीओएमआई जैसे संगठनों ने इन समूहों को ‘‘नार्को आतंकवादी’’ करार दिया है और कुकी-जोमी समुदाय पर अफीम की खेती करने और अपनी आबादी बढ़ाने के लिए ‘‘म्यामां से अवैध आव्रजन को बढ़ावा’’ देने का आरोप लगाया है. जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय के छात्र रहे हाओकिप ने इन दावों को खारिज किया और कहा, ‘‘सीओसीओएमआई संगठन बहुसंख्यकवाद की अहंकार भरी राजनीति को दोहरा रहा है, जो मणिपुर का शासन चलाने वाले संवैधानिक प्रावधानों को चुनौती दे रही है.’’
”आजाद हिंद फौज में बड़ी संख्या में कुकियों की भागीदारी”
भाजपा विधायक ने कहा, ‘अवैध आव्रजन और अफीम की खेती, जानबूझकर फैलायी गई अफवाहें हैं ताकि वर्तमान में जारी राज्य समर्थित जातीय सफाया हिंसा को भड़काया जा सके.’ उन्होंने देश की आजादी की लड़ाई में शामिल रहे कुकी समुदाय के लंबे इतिहास को भी दोहराया. उन्होंने कहा, ‘कुकियों ने ब्रिटेन के साथ सबसे लंबी लड़ाई लड़ी, और संभवत: उन्होंने ब्रिटिश सेना को सबसे ज्यादा नुकसान भी पहुंचाया. एंग्लो-कुकी युद्ध, 1917-19 को ब्रिटिश इतिहासकार कुकी विद्रोह का नाम देते हैं जो तीन साल तक चला था.’ उन्होंने ‘नेताजी (सुभाष चन्द्र बोस) के नेतृत्व में आजाद हिंद फौज में बड़ी संख्या में कुकियों की भागीदारी’’ को भी रेखांकित किया.