गुजरात में रिकॉर्डतोड़ जीत के बाद मध्यप्रदेश, राजस्थान समेत इन राज्यों के चुनाव की तैयारी में जुटी भाजपा
Elections 2023: वर्ष 2023 में 9 राज्यों में विधानसभा के चुनाव होने हैं. इसमें पूर्वोत्तर के चार राज्यों के अलावा दक्षिण भारत के तीन राज्यों में भी चुनाव होंगे. राजस्थान, मध्यप्रदेश जैसे बड़े राज्यों में भी अगले साल ही चुनाव होंगे. मेघालय, नगालैंड और त्रिपुरा में मार्च में चुनाव कराये जायेंगे.
Elections 2023: भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने गुजरात विधानसभा चुनाव (Gujarat Assembly Election) में रिकॉर्डतोड़ जीत दर्ज की है. गुजरात चुनाव के इतिहास में पहली बार भाजपा (Bharatiya Janata Party) 150 से ज्यादा सीटें जीतने के करीब है. दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) और हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) में भले भाजपा को हार मिली हो, लेकिन उसने वर्ष 2023 में होने वाले 9 राज्यों के चुनावों की तैयारी अभी से शुरू कर दी है.
दक्षिण भारत के तीन राज्यों में अगले साल होंगे चुनाव
वर्ष 2023 में 9 राज्यों में विधानसभा के चुनाव (Vidhan Sabha Chunav) होने हैं. इसमें पूर्वोत्तर के चार राज्यों के अलावा दक्षिण भारत के तीन राज्यों में भी चुनाव होंगे. राजस्थान (Rajasthan Assembly Election), मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh Assembly Election) जैसे बड़े राज्यों में भी अगले साल ही चुनाव होंगे. मेघालय, नगालैंड और त्रिपुरा में मार्च में चुनाव कराये जायेंगे. इन तीनों राज्यों में विधानसभा की 60-60 सीटें हैं. इन तीनों राज्यों में भारतीय जनता पार्टी (BJP) सरकार में है.
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फरवरी-मार्च में पूर्वोत्तर के तीन राज्यों में होगा मतदान
चुनाव आयोग (Election Commission of India) के आंकड़े बताते हैं कि मेघालय (Meghalaya) और नगालैंड (Nagaland) में 5 मार्च 2023 के पहले विधानसभा चुनाव कराने होंगे, जबकि त्रिपुरा (Tripura) में 13 मार्च 2023 के पहले चुनाव संपन्न कराने होंगे. यानी इन तीनों राज्यों के विधानसभा का कार्यकाल क्रमश: 5 मार्च, 2023, 5 मार्च 2023 और 13 मार्च 2023 को समाप्त हो रहे हैं. इसलिए इन राज्यों में फरवरी-मार्च में चुनाव करा लेना होगा.
मई में करा लेने होंगे कर्नाटक के चुनाव
इन तीन राज्यों के बाद मई 2023 में कर्नाटक में चुनाव कराये जायेंगे. कर्नाटक में 29 मई 2018 को सरकार बनी थी और 28 मई 2023 को विधानसभा का कार्यकाल खत्म हो रहा है. दक्षिण भारत के इस राज्य में विधानसभा की 224 सीटें हैं. यहां इस वक्त भारतीय जनता पार्टी की सरकार है. भाजपा वर्ष 2023 में यहां अपनी सत्ता बरकरार रखने की कोशिश करेगी, जबकि कांग्रेस और जनता दल सेक्युलर (जेडीएस) एक बार फिर सरकार बनाने की कोशिश करेगी.
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मध्यप्रदेश, राजस्थान में भी अगले साल होंगे चुनाव
वर्ष 2023 के दिसंबर में मध्य भारत के दो राज्यों के साथ-साथ पश्चिमी भारत के राजस्थान, दक्षिण भारत के तेलंगाना और पूर्वोत्तर के मिजोरम में विधानसभा के चुनाव होंगे. इन राज्यों में मध्यप्रदेश सबसे बड़ा प्रदेश है. यहां विधानसभा की 230 सीटें हैं. इसके बाद राजस्थान का नंबर आता है, जहां 200 विधानसभा सीटों पर चुनाव होते हैं. तेलंगाना में 119 सीटें हैं, जबकि छत्तीसगढ़ में 90 और मिजोरम में 40 विधानसभा की सीटें हैं.
दिसंबर में खत्म हो रहा कई विधानसभा का कार्यकाल
छत्तीसगढ़ में 10 दिसंबर 2023 तक विधानसभा के चुनाव कराये जायेंगे, जबकि मिजोरम में 15 दिसंबर, मध्यप्रदेश में 7 दिसंबर, राजस्थान में 20 दिसंबर और तेलंगाना में 10 दिसंबर को विधानसभा का कार्यकाल खत्म हो रहा है.
उत्तर प्रदेश, गोवा, उत्तराखंड और मणिपुर में जीती थी भाजपा
बता दें कि वर्ष 2022 में उत्तर प्रदेश, पंजाब, उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर में चुनाव संपन्न हुए थे. पंजाब में कांग्रेस को सत्ता गंवानी पड़ी थी. यहां अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी (आप) ने कांग्रेस, अकाली दल (बादल) और भाजपा सबका सूपड़ा साफ कर दिया. वहीं, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर में भाजपा ने सरकार बना ली.
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हिमाचल में भाजपा के हाथ से निकल गयी सत्ता
पांच में से चार राज्यों में शानदार जीत दर्ज करने वाली भाजपा को उम्मीद थी कि गुजरात की तरह हिमाचल में भी उसकी सरकार बरकरार रहेगी. लेकिन, दिल्ली एमसीडी चुनाव के बाद हिमाचल प्रदेश में भी उसे तगड़ा झटका लगा है. एग्जिट पोल में भाजपा और कांग्रेस के बीच कड़ी टक्कर बतायी जा रही थी, लेकिन पहाड़ी राज्य में कांग्रेस ने भाजपा पर बहुत बड़ी बढ़त हासिल कर ली है.
गुजरात में भाजपा ने तोड़े सारे रिकॉर्ड
गुजरात और हिमाचल चुनाव के बाद ही भाजपा अगले वर्ष होने वाले विधानसभा चुनावों की तैयारियों में जुट गयी थी. सूत्र बताते हैं कि दिल्ली नगर निगम और हिमाचल प्रदेश में मिली पराजय के बाद पार्टी दोगुनी ताकत झोंक देगी. बता दें कि गुजरात में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चुनाव के दौरान दो-दो बड़े रोड शो किये. माना जा रहा है कि वोटिंग पैटर्न पर उसका भी असर पड़ा और भाजपा ने गुजरात में अपने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिये.