Lok Sabha Polls: लोकसभा चुनाव 2024 के लिए भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने अभी से बूथ लेवल मैनेजमेंट करना शुरू कर दिया है. इसी कड़ी में बीजेपी ने 2024 के लोकसभा चुनाव के पहले एक लाख कमजोर बूथों को टारगेट करने का फैसला किया है. बताते चलें कि इससे पहले भारतीय जनता पार्टी ने 73,000 कमजोर बूथों की पहचान की थी और अपने आधार को मजबूत करने के लिए एक पैनल का गठन किया था. हालांकि, अब इसकी संख्या को एक लाख तक बढ़ाने का फैसला लिया गया है.
न्यूज एजेंसी एएनआई की रिपोर्ट के मुताबिक, बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने पार्टी उपाध्यक्ष बैजयंत पांडा के नेतृत्व में देश भर में 73 हजार कमजोर बूथों पर ध्यान केंद्रित करने के लिए एक समिति का गठन किया था. अब चिन्हित बूथों की संख्या में वृद्धि के साथ पार्टी को मजबूत करने के लिए बीजेपी की टीमों ने 90,000 बूथ का दौरा किया है. बूथों को मजबूत करने के लिए सांसदों और विधानसभा सदस्यों के अलावा 40,000 से अधिक पार्टी कार्यकर्ता जमीन पर काम कर रहे हैं. जहां सांसद और विधायक अपने निर्वाचन क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं. वहीं, एमएलसी और राज्यसभा सदस्यों को भी ध्यान केंद्रित करने के लिए निर्वाचन क्षेत्र दिए गए हैं.
प्राप्त आंकड़ों को पार्टी के नेताओं को भेजा जाएगा, ताकि पार्टी को कमजोर मानी जाने वाली सीटों पर तेजी से ध्यान केंद्रित करने में मदद मिल सके. निरंतर संचार और रीयल-टाइम फीडबैक के लिए एक एप्लिकेशन विकसित किया गया है, ताकि निर्धारित लक्ष्यों की जानकारी अपलोड की जा सके. इसके अलावा, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर कॉल सेंटर स्थापित किए गए हैं. जिससे जमीनी स्तर पर लोगों को कॉल किया जा सकता है और ऐप पर अपलोड किए गए डेटा को सत्यापित किया जा सके. सूत्रों के हवाले से न्यूज एजेंसी एएनआई की रिपोर्ट में बताया गया है कि जिन राज्यों में बीजेपी सत्ता में है, उन राज्यों से कई प्रतिक्रियाएं मिली हैं.
कुछ सीटों पर पार्टी को फीडबैक मिला है कि स्थानीय सांसद या विधायक लोगों के साथ पर्याप्त रूप से जुड़े नहीं हैं. सूत्रों ने कहा कि स्थानीय नेताओं के बीच मतभेद भी पार्टी को कुछ सीटों पर सफलता नहीं मिलने का एक कारण माना जाता है. एक और चुनौती केंद्र सरकार द्वारा संचालित योजनाओं और राज्य सरकार की योजनाओं के समान लगने वाले नामों की है. पार्टी के शीर्ष नेताओं के संज्ञान में लाया गया है कि कुछ गैर-भाजपा शासित राज्यों में केंद्र और राज्य की योजनाओं के समान लगने वाले नामों के कारण केंद्र द्वारा चलाई जा रही किसी लाभकारी योजना के स्वामित्व को लेकर लोगों में भ्रम की स्थिति है.
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एक ओर जहां कमजोर बूथों के पैनल का नेतृत्व पांडा कर रहे हैं. वहीं, 144 कमजोर लोकसभा सीटों की पहचान करने वाली एक अन्य समिति गृह मंत्री अमित शाह के मार्गदर्शन में काम कर रही है. इस समिति ने केंद्रीय मंत्रियों को 2024 के लोकसभा चुनाव तक उन्हें सौंपे गए निर्वाचन क्षेत्रों में महीने में कम से कम तीन रातें बिताने और जमीन से लगातार फीडबैक लेने और पार्टी के शीर्ष अधिकारियों के साथ साझा करने का निर्देश दिया है. इन कमजोर बूथों के साथ-साथ कमजोर लोकसभा सीटों की पहचान पार्टी ने 2014 और 2019 के चुनावों में अपने प्रदर्शन के आधार पर की है. इनमें से ज्यादातर सीटें देश के दक्षिणी और पूर्वी हिस्सों में हैं, जहां बीजेपी अपने पैर पसारने की कोशिश कर रही है. बीजेपी ने 2019 के लोकसभा चुनावों में 18 सीटें जीतकर पश्चिम बंगाल में सफलता हासिल की. बीजेपी के पास तमिलनाडु, केरल और आंध्र प्रदेश से कोई लोकसभा सांसद नहीं है.
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