नयी दिल्ली : पूर्व मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई के राज्यसभा में मनोयन के खिलाफ भाजपा समर्थक मधु किश्वर सुप्रीम कोर्ट पहुंच गयी है. मधु ने याचिका दायर करते हुए कोर्ट से मांग की है कि रिटायर होने के बाद जजों के पद को लेकर एक नियम बनें.
मधु किश्वर ने अपनी याचिका में कहा है कि न्याय के इतने बड़े पदों पर बैठे लोग जब रिटायरमेंट क बाद किसी पद पर जाते हैं तो, इससे न्यायपालिका की गरिमा को नुकसान पहुंचता है. इससे आम लोगों को न्यायपालिका के प्रति अविश्वास पैदा होती है.
That was fast:
— MadhuPurnima Kishwar (@madhukishwar) March 18, 2020
Full text of my petition filed in SCthis afternoon challanging the nomination of #ChiefJusticeGogoi to Rajya Sabha
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किश्वर ने अपनी याचिका में आगे कहा है, भारत के राष्ट्रपति द्वारा राज्यसभा सदस्य के रूप में उनका (गोगोई का) मनयोन एक राजनीतिक नियुक्ति का रंग देता है और इसलिए सर्वोच्च न्यायालय के प्रमुख पद के तहत दिए गये निर्णयों की विश्वसनीयता पर संदेह की छाया डालता है.
किश्वर ने गोगोई के मनोयन पर उठ रहे सवालों को भी अपनी याचिका में रखते हुए कहा है, गोगोई का मनोयन ने भारत के बाहरी शत्रुओं के साथ-साथ देश की सर्वोच्च न्यायपालिका पर आक्षेपों और बदनाम करने वालों की संख्या बढ़ गयी है. राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मीडिया में इस नियुक्ति के प्रति हो रहे कवरेज से यह स्पष्ट है.
आज लेंगे शपथ– पूर्व मुख्य न्यायधीश रंजन गोगोई आज पद और गोपनीयता की शपथ लेंगे, जिसके बाद वे मीडिया से बात भी करेंगे. माना जा रहा है कि गोगोई राज्यसभा पद ग्रहण करने का कारण भी बतायेंगे.
कांग्रेस कर चुकी है विरोध- कांग्रेस ने पूर्व प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई को राज्यसभा के लिए मनोनीत किए जाने के संबंध में आरोप लगाया कि यह न्यायपालिका की स्वतंत्रता से समझौते का पुरस्कार है. पार्टी के वरिष्ठ प्रवक्ता आनंद शर्मा ने ट्वीट किया, न्यायमूर्ति गोगोई को मनोनीत किया जाना न्यायपालिका की स्वतंत्रता से समझौता करने और सरकार को खुश करने के लिए अहम संवैधानिक मामलों की सुनवाई में देरी का इनाम है. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने ट्वीट करके कहा, हमें मिलीभगत नहीं चाहिए. हमें संवैधानिक सिद्धांतों और प्रावधानों को बरकरार रखने के लिए निर्भीकता और स्वतंत्रता की जरूरत है