महाराष्ट्र में खतरनाक हो रहे हैं ब्लैक फंगस के मामले, दवाओं की किल्लत बढ़ी
मुंबई में दवावों की किल्लत ने डॉक्टरों को 350 रुपये की दवा पर समझौता करने पर मजबूर कर दिया है. एम्फोटेरिसिन बी इस दवा की पिछले 9 दिनों से सप्लाई नहीं हुई है. दूसरी तरफ मुंबई में ब्लैक फंगल के मामलों की संख्या काफी बढ़ रही है . बीएमसी के प्रमुख अस्पतालों में भर्ती मरीजों की संख्या का 95 फीसद हिस्सा मुंबई के बाहरी इलाकों के हैं.
महाराष्ट्र में ब्लैक फंगल के मामलो में तेजी आ रही है. तेजी से बढ़ते फंगल के मामलों के बीच दवा की उपलब्धि भी बड़ी समस्या बनकर सामने आयी है. 25 दिनों के कोर्स के हिसाब से 30 हजार रुपये का खर्च रोज का है.
मुंबई में दवावों की किल्लत ने डॉक्टरों को 350 रुपये की दवा पर समझौता करने पर मजबूर कर दिया है. एम्फोटेरिसिन बी इस दवा की पिछले 9 दिनों से सप्लाई नहीं हुई है. दूसरी तरफ मुंबई में ब्लैक फंगल के मामलों की संख्या काफी बढ़ रही है . बीएमसी के प्रमुख अस्पतालों में भर्ती मरीजों की संख्या का 95 फीसद हिस्सा मुंबई के बाहरी इलाकों के हैं.
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बीएमसी के नायर, सायन, केईएम और कूपर इन चार प्रमुख अस्पतालों में ब्लैक फंगस के 150 से अधिक मरीज भर्ती हैं. इलाज में कारगर एम्फोटेरोसिन इंजेक्शन की एक हजार वायल शुक्रवार को मिली हैं, जिन्हें सभी अस्पतालों में वितरित किया गया है। जैसे-जैसे इंजेक्शन आयात होंगे, वैसे-वैसे इन्हें अस्पतालो में वितरित किया जाएगा. केईएम अस्पताल में 60 से अधिक म्युकर मायकोसिस के मरीज भर्ती हैं, जिनमें सबसे ज्यादा मरीज नासिक, धुले और जलगांव जिले के हैं.