ब्लैक फंगस के इलाज में काम आने वाली दवा एम्फोटेरिसिन बी की कमी जल्द होगी दूर, पांच कंपनियों को मिली इजाजत

Black Fungus Curing Drug Amphotericin B Shortage कोरोना की दूसरी लहर के जारी कहर के बीच देशभर में ब्लैक फंगस या म्यूकोरमाइकोसिस के मामलों में तेजी से बढ़ोतरी दर्ज हो रही है. केन्द्र सरकार ने ब्लैक फंगस को नोटिफाइड बीमारी करार दिया है. इस बीमारी के इलाज में काम आने वाली दवा को लेकर एक बड़ी खबर सामने आ रही है. केंद्रीय रसायन व उर्वरक राज्यमंत्री मनसुख मंडाविया ने बृहस्पतिवार को बताया कि ब्लैक फंगस या म्यूकोरमाइकोसिस की दवा एम्फोटेरिसिन बी की देश में किल्लत जल्द दूर हो जाएगी.

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 20, 2021 9:41 PM
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Black Fungus Curing Drug Amphotericin B Shortage कोरोना की दूसरी लहर के जारी कहर के बीच देशभर में ब्लैक फंगस या म्यूकोरमाइकोसिस के मामलों में तेजी से बढ़ोतरी दर्ज हो रही है. केन्द्र सरकार ने ब्लैक फंगस को नोटिफाइड बीमारी करार दिया है. इस बीमारी के इलाज में काम आने वाली दवा को लेकर एक बड़ी खबर सामने आ रही है. केंद्रीय रसायन व उर्वरक राज्यमंत्री मनसुख मंडाविया ने बृहस्पतिवार को बताया कि ब्लैक फंगस या म्यूकोरमाइकोसिस की दवा एम्फोटेरिसिन बी की देश में किल्लत जल्द दूर हो जाएगी.

केंद्रीय रसायन व उर्वरक राज्यमंत्री मनसुख मंडाविया ने जानकारी देते हुए बताया कि ब्लैक फंगस के इलाज करने वाली दवा एम्फोटेरिसिन बी की कमी को दूर करने के लिए तीन दिनों में मौजूदा छह फार्मा कंपनियों के अलावा पांच और कंपनियों को भारत में इसके उत्पादन के लिए न्यू ड्रग स्वीकृति मिली है. उन्होंने कहा कि मौजूदा फार्मा कंपनियों ने पहले से ही उत्पादन बढ़ाना शुरू कर दिया है. भारतीय कंपनियों ने एम्फोटेरिसिन बी की छह लाख शीशियों के आयात के ऑर्डर भी दिए हैं.

वहीं, इससे पहले इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने पीएम मोदी को पत्र लिखकर देश की दवा कंपनियों को ब्लैक फंगस की दवा बनाने की इजाजत देने की मांग की है. आईएमए पीएम मोदी आग्रह किया कि डीसीआरजी को निर्देश दिया जाए कि वह देश में दवा के निर्माण के लिए योग्य फार्मास्यूटिकल्स कंपनियों को आपातकालीन या अल्पकालिक अनुमति दें. इससे बीमारी के इलाज में मदद मिल सकेगी.

बताया जा रहा है कि जिन लोगों की इम्युनिटी बहुत कम है या जो ट्रांसप्लांट के मरीज हैं, उनमें ब्लैक फंगल संक्रमण पाया जा रहा है. कोरोना की दूसरी लहर के दौरान ब्लैक फंगस के मामलों मे तेजी से इजाफा हुआ है. मरीज को अगर समय पर इलाज नहीं मिला तो अस्सी फीसदी मामलों में मौत की संभावना रहती है. जानकारी के मुताबिक, ब्लैक फंगस छूत की बीमारी नहीं और यह कोरोना की तरह नहीं एक दूसरे को फैलता है. बताया जा रहा है कि स्टोरॉयड लिए लोगों और डायबिटीक मरीजों में ब्लैक फंगस के मामले ज्यादा देखने को मिल रहे हैं.

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