Blasphemy Explained : ईशनिंदा क्या है, जिसकी वजह से गयी उदयपुर के कन्हैयालाल की जान…

भारत एक लोकतांत्रिक देश है और यहां ईशनिंदा जैसा कोई कानून नहीं है. भारत में सभी धर्मों का सम्मान है. किसी भी व्यक्ति को यह अधिकार नहीं है कि वह दूसरे धर्म का अपमान करे या किसी व्यक्ति की धार्मिक भावनाओं को आहत करे.

By Rajneesh Anand | June 30, 2022 5:14 PM

उदयपुर में 28 तारीख को एक दर्जी कन्हैयालाल की पूर्व भाजपा नेता नुपूर शर्मा के पक्ष में सोशल मीडिया पोस्ट करने के आरोप में गला काटकर हत्या कर दी गयी. इस हत्याकांड से एक ओर जहां पूरे देश में आक्रोश है वहीं लोग यह जानने की कोशिश भी कर रहे हैं कि आखिर कन्हैयालाल ने ऐसी क्या बात कही, जिससे नाराज होकर कुछ लोगों ने उसका सिर धड़ से अलग कर दिया.

कन्हैया लाल पर लगे ईशनिंदा के आरोप

कन्हैया लाल पर यह आरोप है कि उसने भारत की पूर्व प्रवक्ता नुपूर शर्मा के समर्थन में सोशल मीडिया पर पोस्ट लिखा था. नुपूर शर्मा ने कुछ दिनों पहले एक टीवी कार्यक्रम के बहस में विवादित बयान दिया था,जिससे कुछ लोगों ने खासी नाराजगी जतायी थी और इसे भावनाएं आहत करने वाला बताया था. इस घटना के बाद भाजपा ने नुपूर शर्मा के खिलाफ कार्रवाई की और उन्हें पार्टी से निलंबित कर दिया गया. लेकिन यहां जिस बात को लेकर लोगों की उत्सुकता है वह यह है कि आखिर नुपूर शर्मा या कन्हैयालाल ने ऐसी कौन सी बात कही जिसकी उन्हें यह सजा मिली है. नुपूर शर्मा का बयान ईशनिंदा यानी BLASPHEMY कहलाता है.

ईशनिंदा कानून का इतिहास

ईशनिंदा यानी ईश्वर की निंदा की उत्पत्ति पुराने समय से ही मिलती है, जब शासक राजा खुद को ईश्वर की छाया मानकर खुद को अजेय मानते थे और उनकी शान में कोई गुस्ताखी करने पर सजा का प्रावधान था. ये लोग धर्म की रक्षा के लिए उसके शान में की जा रही गुस्ताखी को कतई बर्दाश्त नहीं करना चाहते थे. यही वजह था कि उन्होंने विरोधी आवाजों को कुचलने के लिए राजनीतिक शक्तियों और ईशनिंदा के आधार का इस्तेमाल किया.

पाकिस्तान में कठोर ईशनिंदा कानून

पाकिस्तान जैसे देश जहां धार्मिक कट्टरता बहुत ज्यादा है ईशनिंदा एक गंभीर अपराध है. यहां ईशनिंदा के लिए कठोर सजा का प्रावधान है, यहां तक की मौत की सजा भी हो सकती है. लेकिन देखा यह गया है कि ईशनिंदा का आरोप लगाकर लोगों को बेवजह प्रताड़ित किया जाता है, जिसकी निंदा संयुक्त राष्ट्र और कई मानवाधिकार संगठनों ने लगातार की है.

कट्टरता से बढ़ा ईशनिंदा कानून का दुरुपयोग

इस्लामिक स्टेट और इसके जैसे अन्य आतंकी संगठनों के विस्तार के बाद ईशनिंदा पर मध्ययुगीद दंड देने की घटनाओं में काफी वृद्धि देखी गयी. पाकिस्तान में भी कई ऐसे मामले सामने आये जब अल्पसंख्यकों को प्रताड़ित करने के लिए ईशनिंदा कानून का बेजा इस्तेमाल किया गया. विश्व के कई देशों में ईशनिंदा कानून हैं, लेकिन पाकिस्तान और ईरान जैसे देशों में इसके उल्लंघन पर कठोर सजा का प्रावधान है. संयुक्त अरब अमीरात जैसे देश ईशनिंदा के खिलाफ कोड़े मारने जैसी सजा देते हैं. वहीं सीरिया जैसे देशों में सिर कलम तक कर दिया जाता है.

भारत में क्या है स्थिति

भारत एक लोकतांत्रिक देश है और यहां ईशनिंदा जैसा कोई कानून नहीं है. भारत में सभी धर्मों का सम्मान है. किसी भी व्यक्ति को यह अधिकार नहीं है कि वह दूसरे धर्म का अपमान करे या किसी व्यक्ति की धार्मिक भावनाओं को आहत करे. अगर वह व्यक्ति ऐसा करता है तो संविधान के तहत उसके लिए सजा का प्रावधान है और उसे एक से तीन साल तक की सजा मिल सकती है.

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