मुंबई : बृहन्मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) ने शुक्रवार को बंबई हाईकोर्ट से कहा कि उसने महानगर में 13 मोबाइल क्लीनिक शुरू किये हैं और कोरोना वायरस संक्रमण के लक्षणों का पता लगाने के लिए स्वास्थ्य कर्मियों द्वारा घर-घर जाकर सर्वेक्षण करना भी शुरू किया गया है. बीएमसी ने हाईकोर्ट के पहले के एक आदेश पर जवाब देते हुए यह कहा. दरअसल, अदालत ने उसे यह निर्देश दिया था कि वह कोविड-19 के अलावा अन्य बीमारियों से ग्रसित रोगियों का उपचार सुनिश्चित करने के लिए कुछ याचिकाकर्ताओं और निजी संस्थानों द्वारा दिये गये सुझावों पर विचार करे.
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मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति एए सैयद की पीठ ने 16 मई को बीएमसी को सुझावों पर विचार करने का निर्देश दिया था. साथ ही, यह भी कहा था कि नगर निकाय इन सुझावों को तभी स्वीकार करें, जब वे यथार्थवादी और चिकित्सीय प्रक्रिया के दायरे में हों. अदालत ने एक वकील और सामाजिक कार्यकर्ता की याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की थी.
याचिकाओं में उन लोगों की दशा का जिक्र किया गया है, जो गंभीर बीमारियों से ग्रसित हैं, लेकिन उन्हें क्लीनिक एवं अस्पताल लौटा रहे हैं. साथ ही, मौजूदा समय में राज्य के महानगरपालिका के अस्पतालों के साथ ही निजी अस्पतालों में पर्याप्त सुविधाओं का अभाव है. शुक्रवार को हुई सुनवाई में बीएमसी की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता अनिल साखरे ने अदालत से कहा कि महानगरपालिका ने सुझावों का अध्ययन किया और उसे उन पर विचार करने के लिये कुछ और वक्त चाहिए.
अधिवक्ता ने कहा कि बीएमसी मोबाइल क्लीनिक और स्वास्थ्य कर्मियों द्वारा कुछ इलाकों में घर-घर जाकर कोविड-19 की जांच करने जैसी कुछ सेवाएं पहले से मुहैया कर रहा है. याचिकाकर्ताओं में एक के वकील अंकित कुलकर्णी ने कहा, ‘हालांकि, बीएमसी ने यह नहीं बताया कि ये मोबाइल क्लीनिक कहां हैं. वे क्या काम कर रहे हैं? क्या ये क्लीनिक जरूरतमंद रोगियों तक पहुंच रहे हैं, या वे किसी निर्धारित जगह पर हैं जहां रोगी जांच के लिए जा सकते हैं? क्या वे सिर्फ गैर-कोविड रोगियों के लिये हैं, या कोरोना वायरस संक्रमण जैसे लक्षण दिखने वाले लोगों के लिए भी हैं. अदालत मामले की अगली सुनवाई 26 मई को करेगी, जब याचिकाकर्ताओं के सुझावों और बीएमसी के जवाब पर विचार किया जाएगा.