बॉम्बे हाईकोर्ट (Bombay High Court) ने पॉक्सो के आरोपी को जमानत देते हुए कहा कि होठों को चूमना और प्यार से किसी को छूना भारतीय दंड संहिता की धारा 377 के तहत अप्राकृतिक यौन अपराध नहीं है. वहीं, कोर्ट ने कहा कि मेडिकल रिपोर्ट से यौन शोषण का आरोप साबित नहीं होता, जिसके आधार पर आरोपी जमानत का हकदार है. पुलिस ने आरोपी को पिछले साल लड़के के पिता की शिकायत पर गिरफ्तार किया था.
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ऑनलाइन गेम ‘ओला पार्टी’ का रिचार्ज कराने के लिए 14 वर्षीय बच्चा आरोपी शख्स की दुकान पर जाता था. नाबालिग बच्चे ने दुकान संचालक पर आरोप लगाया कि जब वह रिचार्ज कराने दुकान गया, तो दुकानदार ने उसके होठों को चूमा तथा उसके निजी अंगों को छूआ. वहीं, मामले की जानकारी मिलते ही पिता ने थाने पहुंचकर आरोपी दुकानदार के खिलाफ यौन अपराध संरक्षण के तहत मामला दर्ज करायी.
अदालत ने कहा कि मौजूदा मामले में अप्राकृतिक यौन संबंध की बात प्रथमदृष्टया लागू नहीं होती. न्यायमूर्ति प्रभुदेसाई ने आरोपी को जमानत देते हुए कहा कि लड़के की मेडिकल जांच में यौन शोषण के आरोप साबित नहीं होते. उन्होंने कहा कि पॉक्सो की धाराओं के तहत अधिकतम पांच साल की सजा हो सकती है, इसलिए उसे जमानत का अधिकार है. उच्च न्यायालय ने कहा कि उपरोक्त तथ्यों और परिस्थितियों पर विचार करते हुए आवेदक जमानत का हकदार है. इसके बाद अदालत ने आरोपी को 30 हजार रुपये के निजी मुचकले पर जमानत दे दी.
धारा 377 के तहत शारीरिक संभोग या कोई अन्य अप्राकृतिक कृत्य दंडनीय अपराध के दायरे में आता है. इसके तहत अधिकतम उम्रकैद की सजा हो सकती है और जमानत मिलना मुश्किल हो जाता है. हाल में मोदी सरकार ने पॉक्सो एक्ट में बदलाव किए जाने का प्रस्ताव रखा है, जिसके मुताबिक 12 साल से कम उम्र के बच्चों के बलात्कार के दोषी को मौत की सजा होगी. इस प्रस्ताव पर कैबिनेट ने मुहर भी लगा दी है.