मुंबईः पर्सनल वाट्सएप पर अभद्र संदेश भेजना अपराध की श्रेणी में नहीं आता है. यह फैसला बॉम्बे हाईकोर्ट की औरंगाबाद बेंच ने शनिवार को एक मामले की सुनवाई के दौरान दिया. न्यायमूर्ति तानाजी वी नलवाडे और मुकुंद जी सेविकल्कर की खंडपीठ ने मार्च 2018 के एक मामले की सुनवाई के दौरान यह फैसला सुनाया. बार एंड बेंच नामक पोर्टल पर छपी एक खबर के मुताबिक, कोर्ट ने यहा फैसला एक दंपति के विवाद में सुनाया. दरअसल, एक शख्स ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर एफआईआर खारिज करने की मांग की थी जिसमें उसकी पत्नी ने आईपीसी 294 के तहत उसके खिलाफ नांदेड़ पुलिस से शिकायत दर्ज कराई थी.
कोर्ट ने माना कि पर्सनल अकाउंट पर भेजे गए व्हाट्सएप संदेश व्यक्तिगत हैं और सेंडर और रिसीवर के अलावा कोई इन्हें नहीं देख सकता. कोर्ट ने कहा कि व्हाट्सएप मैसेंजर प्रोवाइडर भी यह मैसेज नहीं पढ़ सकता है. पत्नी ने ये आरोप लगाया था कि उसके पति ने पर्सनल वाट्सएप पर गालीगलौज की थी.
बॉम्बे हाईकोर्ट ने शनिवार को कहा कि कोरोना वायरस प्रकोप के मद्देनजर अदालत का कामकाज 16 मार्च से एक सप्ताह तक जरूरी मामलों की सुनवाई तक ही सीमित होगा. कोर्ट ने कहा कि इस अवधि के दौरान अस्थायी एवं अंतरिम राहत आदेश देना जारी रहेगा. रजिस्ट्रार जनरल की ओर से जारी एक परिपत्र में कहा गया कि केंद्र एवं महाराष्ट्र सरकार ने जारी परामर्श में लोगों से एक स्थान पर नहीं जुटने को कहा गया है. परिपत्र में कहा गया, कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश ने निर्देश दिया है कि उच्च न्यायालय की अदालतों के साथ ही नागपुर, औरंगाबाद और गोवा में बम्बई उच्च न्यायालय की बेंचों का 16 मार्च, 2020 से कामकाज एक सप्ताह तक केवल जरूरी मामलों तक ही सीमित होगा.