नयी दिल्ली: भारत बायोटेक (Bharat Biotech) ने डीजीसीआई (DGCI) के पास एक आवेदन दिया है, जिसमें कहा गया है कि उसने नाक से दिया जाने वाला वैक्सीन तैयार किया है, जिसे बूस्टर डोज (Booster Dose) के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है. सूत्रों ने बताया है कि भारत बायोटेक ने अपने वैक्सीन के फेज 3 क्लिनिकल ट्रायल के लिए भारत के औषधि महानियंत्रक (डीजीसीए) को आवेदन दिया है.
भारत बायोटेक ने कहा है कि नाक से दिया जाने वाला ये वैक्सीन उन दोनों लोगों को दिया जा सकेगा, जिन्होंने कोवैक्सीन और कोविशील्ड की वैक्सीन लगवायी है. देश की प्रमुख बायोटेक्नोलॉजी कंपनी भारत बायोटेक का यह आवेदन कोरोना वायरस के नये वैरिएंट ओमिक्रॉन की दस्तक के बीच बेहद महत्वपूर्ण मानी जा रही है. देश पर अभी बेहद संक्रामक ओमिक्रॉन वैरिएंट का खतरा मंडरा रहा है.
ओमिक्रॉन संक्रमण के मामले भारत में तेजी से बढ़ रहे हैं. कुछ ही दिनों में 161 केस सामने आ चुके हैं. सरकार इसे रोकने के लिए कदम उठा रही है. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ मनसुख मंडाविया को आज राज्यसभा में ओमिक्रॉन वैरिएंट (Omicron Variant) पर बयान देना पड़ा.
दक्षिण अफ्रीका और यूरोप में कहर बरपाने वाले ओमिक्रॉन वैरिएंट के बारे में कहा जा रहा है कि नये साल में इस वायरस का संक्रमण अपने शबाब पर होगा. इसलिए आशंका जतायी जा रही है कि फरवरी 2022 तक देश में कोरोना की तीसरी लहर आ सकती है. सूत्र बता रहे हैं कि भारत बायोटेक ने कहा है कि नाक से दिया जाने वाला टीका ओमिक्रॉन वैरिएंट से सुरक्षा देने में सक्षम है.
Bharat Biotech has submitted phase 3 clinical trial application to DCGI for its booster dose of their intranasal Covid vaccine that can be given to Covaxin and Covishield vaccinated people: Source pic.twitter.com/Sao0TMvMcj
— ANI (@ANI) December 20, 2021
भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) दिल्ली के निदेशक डॉ रणदीप गुलेरिया का कहना है कि कोरोना वायरस के अब तक के सभी वैरिएंट से ज्यादा तेजी से फैलने वाले ओमिक्रॉन वैरिएंट से लोगों को सुरक्षित बनाने के लिए मौजूदा वैक्सीन में कुछ बदलाव किये जा सकते हैं. डॉ गुलेरिया ने कहा कि हमारे पास दूसरी पीढ़ी के टीके होंगे. अभी जो वैक्सीन उपलब्ध हैं, वे प्रभावी हैं, लेकिन नये वैरिएंट के फैलने पर इम्युनिटी कम हो जाती है.
स्वास्थ्य विशेषज्ञ बताते हैं कि सार्स-सीओवी-2 जैसे कई वायरस आमतौर पर म्यूकोसा के जरिये से शरीर में प्रवेश करते हैं. म्यूकोसा नाक में मौजूद एक ऊतक होता है. कोरोना वायरस म्यूकोसल झिल्ली में मौजूद कोशिकाओं और अणुओं को संक्रमित कर देता है. यही वजह है कि नाक से टीका की खुराक देकर किसी वायरस को शरीर में प्रवेश करने से पहले ही खत्म करने की कोशिश की जा रही है.
विशेषज्ञ बता रहे हैं कि नाक से दिया जाने वाले वैक्सीन इम्युनोग्लोबुलिन ए (IgA) तैयार करते हैं. इससे नाक में ही मजबूत प्रतिरक्षा प्रणाली तैयार हो जाती है, जो वायरस को अंदर प्रवेश करने से रोकती है. संक्रमण से लड़ने में मदद करता है और उसके प्रसार को भी रोकता है.
एक ओर वैज्ञानिक नये-नये वैक्सीन की खोज कर रहे हैं, तो दूसरी ओर सुरक्षाकर्मियों की चिंता को दूर करने की भी कोशिशें हो रही हैं. भारत बायोटेक ने कहा है कि अब स्वास्थ्यकर्मियों को चिंता करने की जरूरत नहीं है. वैक्सीन की वायल खुलने और उसकी बर्बादी की परेशानी अब खत्म होगी.
28 days open vial policy: Health care workers do not have to worry about opening a vial and its wastage. If patients are not available, they can simply store the opened vial at 2 to 8°C, and use it the next day or store it up to 28 days: Bharat Biotech pic.twitter.com/1whoMuv3B1
— ANI (@ANI) December 20, 2021
कंपनी ने कहा है कि अगर वैक्सीन की डोज लेने वाले लोग उपलब्ध नहीं हैं, तो आप वायल को 2 से 8 डिग्री सेंटीग्रेड तापमान में स्टोर कर सकते हैं. इसे आप अगले दिन भी इस्तेमाल कर सकते हैं. अगर ऐसा नहीं होता है, तो आप 28 दिन तक इसे स्टोर करके रख सकते हैं.
सर गंगा राम हॉस्पिटल के सीनियर कंसल्टेंट डॉ धीरेन गुप्ता ने कहा है कि कई अध्ययन में यह साबित हो चुका है कि अंतिम वैक्सीन लेने के 6 महीने का चक्र समाप्त होने के बाद काम करना बंद कर देता है. इसलिए हमें बूस्टर डोज देने की जरूरत है. खासकर उन लोगों को, जिन्हें सिम्पटोमेटिक डेल्टा इन्फेक्शन नहीं हुआ. बच्चे कोरोना का आसान शिकार हो सकते हैं. इसलिए उनका जल्दी से टीकाकरण बेहद जरूरी है.
Posted By: Mithilesh Jha
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