सीमा पर चीन की ताकत को जवाब देगा भारत, इन्फैंट्री कॉम्बैट व्हीकल और टैंक खरीदने की तैयारी, जानिए कितनी मजबूत होगी भारतीय सेना
चीन और पाक सीमा पर बार-बार बननेवाले हालात और भविष्य की चुनौतियों का सामना करने के लिए भारतीय सेना आधुनिक साजोसामान की खरीद कर रही है. 1980 के दशक में रूस से खरीदे गये बीएमपी 2 (सारथ) बख्तरबंद वाहनों को हटा कर उनकी जगह अब फ्यूचरिस्टिक इन्फैंट्री कॉम्बैट व्हीकल (एफआइसीवी) लाने की योजना पर काम हो रहा है.
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चीन सीमा पर भारतीय सेना बढ़ा रही ताकत
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विदेशी कंपनियों से होगी साझेदारी
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हटेंगे पुराने बख्तरबंद वाहन
चीन और पाक सीमा पर बार-बार बननेवाले हालात और भविष्य की चुनौतियों का सामना करने के लिए भारतीय सेना आधुनिक साजोसामान की खरीद कर रही है. 1980 के दशक में रूस से खरीदे गये बीएमपी 2 (सारथ) बख्तरबंद वाहनों को हटा कर उनकी जगह अब फ्यूचरिस्टिक इन्फैंट्री कॉम्बैट व्हीकल (एफआइसीवी) लाने की योजना पर काम हो रहा है.
इसके लिए सेना ने रिक्वेस्ट फॉर इनफॉर्मेशन जारी किया है. एफआइसीवी भारी हथियारों से लैस होते हैं और जंग के दौरान पैदल सिपाहियों को दुश्मनों के हमले से बचाने में मददगार होते हैं. फिलहाल, सेना की योजना 1750 एफआइसीवी खरीदने की है. इसके बाद 350 टैंक की भी खरीद प्रक्रिया शुरू होगी. रक्षा मंत्रालय ने 2009 में ही इन्फैंट्री के लिए जरूरी खरीद को मंजूरी दी थी, लेकिन 12 साल तक फाइल धूल फांकती रही. अब यह प्रक्रिया फिर शुरू हुई है.
खास बातें
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न कोई मौसम रोक सकेगा, न ही दुर्गम इलाके
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चाहे पाकिस्तान सीमा के रेगिस्तानी इलाके हों या चीन सीमा पर स्थित दुर्गम पहाड़, एफआइसीवी हर जगह काम करने में सक्षम होंगे.
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धूल-रेत और ऊंचे-नीचे इलाकों में भी ये सरपट दौड़ेंगे. रात भी इनकी रफ्तार नहीं रोक पायेगी.
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45 डिग्री सेल्सियस की गर्मी और माइनस तापमान वाली हाड़ कंपाती ठंड में भी ये बखूबी काम करेंगे.
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एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल से भी लैस होंगे
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भारी मशीन गन के साथ एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल से भी एफआइसीवी लैस होंगे. इनमें अत्याधुनिक संचार प्रणाली की व्यवस्था रहेगी.
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लगभग एक दर्जन सैनिक अपने हथियार के साथ बैठ सकेंगे.
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चीन सीमा पर इनकी भूमिका अहम होगी.
मेक इन इंडिया के तहत की जायेगी खरीदः ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ के तहत भारतीय सेना 1750 एफआइसीवी की खरीद करेगी. सेना ने इसके लिए 23 जून को सूचना पत्र जारी किया है और इच्छुक कंपनी को सात दिनों में जानकारी देनी होगी. चयन के बाद भारतीय कंपनी को विदेशी कंपनी के साथ मिलकर इसे बनाना होगा. सेना को उम्मीद है कि अगले दो साल में हर साल उसे 75 से 100 एफआइसीवी मिलने लगेंगी. सेना की जरूरतों पर खरा उतरनेवाली कंपनी को ही इसका ठेका दिया जायेगा. साथ ही हर तरह के मौसम में इसे परखा जायेगा.
लद्दाख में हल्के टैंकों की जरूरत महसूस हुईः बीते दिनों लद्दाख में चीन के साथ हुए संघर्ष के दौरान एफआइसीवी के साथ-साथ हल्के टैंक की जरूरत महसूस की गयी. इसे देखते हुए 350 हल्के टैंक हासिल करने की संभावना तलाशी जा रही है. ये टैंक 25 टन से कम वजन के होंगे, ताकि चीन सीमा पर अत्यधिक ऊंचाई वाले क्षेत्रों में इनका संचालन हो सके.
Posted by: Pritish Sahay