Border पर नहीं चलेगी China की गीदड़भभकी, जानिए 59 पोस्ट की निगरानी की क्या है मेगा योजना
ITBP के पास अभी 88000 जवान हैं. वह India-China Border पर 3500 किमी एरिया की रखवाली करते हैं. यह इलाका Ladakh के Karokoram Pass से शुरू होकर Arunachal Pradesh के Jachep La तक का है. अगर फोर्स में 9400 जवान और भर्ती होते हैं तो इससे सरहद की निगरानी और मुस्तैदी से हो सकेगी.
China से हाथोंहाथ करने के लिए मोदी सरकार ने मेगा प्लान तैयार किया है. इसके लिए वाइब्रेंट विलेज कार्यक्रम (VVP) और भारत-चीन सीमा की सुरक्षा करने वाली भारत तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) की सात नई बटालियन तैयार होगी. यानि बॉर्डर पर बसे गांवों की स्थिति सुधारकर और साथ ही वहां तैनात फोर्स की ताकत बढ़ाकर चीन से निपटने की तैयारी है.
ITBP के पास अभी 88000 जवान: जानकार बताते हैं कि ITBP के पास अभी 88000 जवान हैं. वह India-China Border पर 3500 किमी एरिया की रखवाली करते हैं. यह इलाका Ladakh के Karokoram Pass से शुरू होकर Arunachal Pradesh के Jachep La तक का है. अगर फोर्स में 9400 जवान और भर्ती होते हैं तो इससे सरहद की निगरानी और मुस्तैदी से हो सकेगी. 7 बटालियन में होने वाली इन जवानों की तैनाती से करीब 47 बॉर्डर पोस्ट और 12 कैंपों पर निगरानी बढ़ जाएगी. फिर चीनी सैनिक कोई हिमाकत नहीं कर पाएंगे.
47 सीमा चौकी और 12 कैम्प स्थापित करने को मंजूरी: बता दें कि जनवरी 2020 में मंत्रिमंडल ने ITBP की 47 सीमा चौकी और 12 कैम्प स्थापित करने को मंजूरी दी थी. इसके लिये अतिरिक्त बलों की जरूरत है. इन बटालियन के निरीक्षण के लिये एक अतिरिक्त क्षेत्रीय हेडक्वार्टर का गठन किया जायेगा. यह काम वर्ष 2025-26 तक पूरा कर लिया जायेगा. इसमें कार्यालय, आवासीय पारिसर के निर्माण आदि कार्यों पर 1808 करोड़ रुपये का खर्च आयेगा. साथ ही वेतन, राशन आदि पर प्रति वर्ष लगभग 963 करोड़ रुपये का खर्च आयेगा.
वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम को मंजूरी: इसके साथ ही केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 4,800 करोड़ रुपये के वित्तीय आवंटन के साथ चालू वित्त वर्ष से 2025-26 तक के लिए केंद्र सरकार द्वारा वित्त पोषित योजना- वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम को मंजूरी दी है. इन क्षेत्रों में हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश और केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख शामिल हैं. पीएम मोदी ने एक ट्वीट में कहा, वाइब्रेंट विलेज कार्यक्रम पर मंत्रिमंडल का निर्णय दूरदराज के क्षेत्रों और सीमावर्ती क्षेत्रों में रहने वाले कई लोगों के लिए फायदेमंद होगा. पर्यटन, कौशल विकास, उद्यमिता जैसे क्षेत्र कई प्रमुख फोकस क्षेत्रों में से होंगे.