बीजेपी ने राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्रियों के नाम की घोषणा कर दी है. भजनलाल शर्मा को राजस्थान की कमान सौंपी गई है, तो मोहन यादव को मध्य प्रदेश का कप्तान बनाया गया है. वहीं विष्णु देव साय को छत्तीसगढ़ का नया मुख्यमंत्री बनाया गया है. तीनों राज्यों में सरकार के बहाने बीजेपी ने लोकसभा चुनाव 2024 के लिए अपना एजेंडा सेट कर लिया है. बीजेपी ने तीनों राज्यों में जातिगत समीकरण को साधने की पूरी कोशिश की है. राजस्थान में ब्राह्मण को सत्ता पर बैठाया गया है, तो एमपी में ओबीसी को और छत्तीसगढ़ में आदिवासी को मुखिया बनाया गया है.
राजस्थान में 33 साल बाद ब्राह्मण को बनाया गया मुख्यमंत्री
राजस्थान की सत्ता में 33 साल बाद फिर से ब्राह्मण की वापसी हुई है. भजनलाल शर्मा ब्राह्मण जाति से आते हैं. भजनलाल को सीएम बनाकर बीजेपी ने ब्राह्मण वोट अपने पक्ष में करने की पूरी कोशिश की है. एक समय था, जब राजस्थान की सत्ता पर ब्राह्मणों का राज हुआ करता था. लेकिन धीरे-धीरे ब्राह्मण हासिए में चले गए. सत्ता से बाहर हो गए. लेकिन बीजेपी ने 33 साल बाद फिर से ब्राह्मण जाति के भजनलाल को सीएम बनाकर अपना एजेंडा साफ कर दिया है. राजस्थान में ब्राह्मणों की अच्छी आबादी है. कुल आबादी में ब्राह्मणों की संख्या 7 से 12 प्रतिशत है. राजस्थान में 89 प्रतिशत हिंदू हैं. चुनाव में ब्राह्मण वोट काफी अहम हो जाता है. राजस्थान में आखिरी बार हरिदेव जोशी मुख्यमंत्री बने थे.
एमपी में ओबीसी को मुख्यमंत्री बनाकर बीजेपी ने कांग्रेस को दिया करारा झटका
एमपी में ओबीसी कोटे से मुख्यमंत्री बनाकर बीजेपी ने अपना एजेंडा लोकसभा चुनाव को लेकर साफ कर दिया है. कांग्रेस ओबीसी के मुद्दे पर बीजेपी को हमेशा से घेरने की कोशिश कर रही थी, लेकिन मोहन यादव को मुख्यमंत्री बनाकर बीजेपी ने कांग्रेस को करारा जवाब दिया है. यूपी, बिहार और एमपी में ओबीसी वोट काफी अहम हैं. वैसे में बीजेपी ने तीनों राज्यों में ओबीसी को रिझाने की पूरी कोशिश की है.
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छत्तीसगढ़ में आदिवासी वोटरों पर बीजेपी की नजर
छत्तीसगढ़ में विष्णु देव साय को मुख्यमंत्री बनाकर बीजेपी ने आदिवासी वोटरों को अपने पक्ष में करने की पूरी कोशिश की है. इस राज्य में आदिवासी वोटरों को निर्णायक बताया जाता है. झारखंड, ओडिशा और छत्तीसगढ़ आदिवासी बहुल राज्य है. छत्तीसगढ़ में एक तिहाई आबादी आदिवासियों की है. यहां 90 विधानसभा में 29 सीटें अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हैं, तो 11 लोकसभा सीटों में 4 आदिवासी के आरक्षित हैं. वैसे में आदिवासी मुख्यमंत्री बनाकर बीजेपी ने एक साथ तीन राज्यों में आदिवासी वोटरों को अपने पक्ष में करने का प्रयास किया है.