जातीय भेदभाव की दीवारों को तोड़ना जरूरी, विहिप की सामाजिक समरसता बैठक में बोले देवजी रावत
हिंदू समाज एवं संस्कृति की रक्षा में सहयोग करने का आग्रह किया. मुख्य वक्ता विश्व हिंदू परिषद के क्षेत्रीय समरसता प्रमुख गौतम सरकार ने 1964 में परिषद के गठन का उद्देश्य के बारे में विस्तार से बताया. वहीं हिंदू समाज व संस्कृति की सुरक्षा के लिए तन, मन व धन अर्पण के साथ सहभागी होने का निवेदन किया.
विश्व हिंदू परिषद सुंदरगढ़ जिला संगठन की ओर से शनिवार को भोजपुर के वनवासी कल्याण आश्रम प्रांगण में सामाजिक समरसता बैठक आयोजित की गयी. सर्वप्रथम भारत माता की तस्वीर की पूजा-अर्चना कर अतिथियों का अभिनंदन किया गया. इसके बाद एक धार्मिक सभा आयोजित हुई. मुख्य अतिथि विश्व हिंदू परिषद के राष्ट्रीय सचिव देवजी रावत ने छुआछूत व भेदभाव जैसी कुप्रथा के कारण एक-दूसरे के बीच पैदा हुई दूरियों पर चर्चा की. जातीय भेदभाव के कारण हिंदू समाज और संस्कृति पर आने वाले संकट के बारे में विस्तार से बताया. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि ईश्वर की रचना में सभी समान हैं. साथ ही उपस्थित प्रतिनिधियों से हिंदू समाज में जाति के नाम पर खड़ी भेदभाव की दीवार को तोड़ने के लिए आगे आने का आह्वान किया. हिंदू समाज एवं संस्कृति की रक्षा में सहयोग करने का आग्रह किया. मुख्य वक्ता विश्व हिंदू परिषद के क्षेत्रीय समरसता प्रमुख गौतम सरकार ने 1964 में परिषद के गठन का उद्देश्य के बारे में विस्तार से बताया. वहीं हिंदू समाज व संस्कृति की सुरक्षा के लिए तन, मन व धन अर्पण के साथ सहभागी होने का निवेदन किया.
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अन्न प्रसाद का लिया आनंद
विश्व हिंदू परिषद ओडिशा पश्चिम के कार्यकारी अध्यक्ष अशोक कुमार गांधी और विश्व हिंदू परिषद की पूर्व जिला महिला प्रमुख मंजू नायक सहित अन्य लोग इस अवसर पर उपस्थित थे. उन्होंने समाज कल्याण विभाग के काम के विस्तार का आह्वान किया. अंत में सभी ने अन्न प्रसाद का आनंद लिया. कार्यक्रम का नेतृत्व विहिप के जिला सचिव अखिलेश साही ने किया. कार्यक्रम में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सीताराम मेहेर, प्रशांत कुमार बिशोई, राष्ट्रीय महिला संघ की अनिता मेहेर, विहिप के गोरक्षा प्रमुख संग्राम केसरी परिडा, जिला सामाजिक समरसता प्रमुख नेहरू पटनायक, प्रांत धर्म रक्षक नुआदिनी बार्ला, बजरंग दल के जिला संयोजक मुकेश साहू, सह संयोजक संकेत गुरु, नगर संयोजक सुमंत महापात्र, गजेंद्र सिंह, शास्त्र मुखी, जगा घासी, अशोक साहू, संपद कुमार साहू, दुर्गा वाहिनी की कुमारी धनवार, शशिरेखा सिंह का प्रमुख योगदान रहा. इस बैठक में विभिन्न समाजों के नेताओं, प्रतिनिधियों और विचारकों ने भाग लिया.
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