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खिलौनों की कार से खेलने की शौक ने हुमैरा मुश्ताक को बनाया फॉर्मूला रेसर

फॉर्मूला कार रेसिंग में अब तक पुरुष खिलाड़ियों का ही वर्चस्व रहा है. मगर अब महिलाएं भी इसमें बढ़चढ़ कर भाग ले रही हैं. एक ऐसी ही महिला हैं हुमैरा मुश्ताक, जिन्होंने ब्रिटिश एंड्योरेंस चैंपियनशिप (बीइसी) में हिस्सा लेकर इतिहास रच दिया है. इस मुकाम तक पहुंचने वाली वह पहली भारतीय महिला कार रेसर हैं.

हाल ही में लंदन में आयोजित ब्रिटिश एंड्योरेंस चैंपियनशिप (बीइसी) में हिस्सा लेकर जम्मू-कश्मीर के बठिंडी की रहने वालीं 25 वर्षीया हुमैरा मुश्ताक ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत का नाम रोशन किया. इसके साथ ही इस चैंपियनशिप में हिस्सा लेने वाली वह पहली भारतीय महिला कार रेसर बन गयी हैं. बेहद कम उम्र में सफलता की बुलंदियों पर पहुंचने वाली हुमैरा आइटीसीसीसी लाइसेंस प्राप्त करने वाली दक्षिण एशिया की पहली महिला होने का गौरव भी हासिल कर चुकी हैं. इसके चलते ही उन्हें लंदन में इस चैंपियनशिप में प्रतिस्पर्धा करने का मौका मिला. 620 एचपी एस्टन मार्टिन चलाने यह उनका पहला इंटरनेशनल रेसिंग एक्सपीरियंस था. अब वह मार्च 2024 से शुरू होने वाले बीइसी के अगले सीजन के लिए तैयारी कर रही हैं. मालूम हो कि ब्रिटिश एंड्योरेंस चैंपियनशिप ब्रिटकार द्वारा आयोजित एक एंड्योरेंस रेसिंग सीरीज है, जो कि हर साल आयोजित होती है. इस चैंपियनशिप में दुनिया भर के दिग्गज रेसर्स फेरारी, एस्टन मॉर्टिन, लेम्बोर्गिनी जैसे ब्रांड्स की कारों के साथ हिस्सा लेते हैं.

महज पांच साल की उम्र में ही दौड़ाने लगीं कस्टम-निर्मित गो-कार्ट

हुमैरा मुश्ताक की पैदाइश जन्मू-कश्मीर के बठिंड़ी में हुई थी. उनके माता-पिता, दोनों पेशे से डॉक्टर थे. हुमैरा को बचपन से ही खिलौना कारों का बेहद शौक रहा है. जब वह पांच साल की थीं, तब उनके पिता ने पहली बार उन्हें एक कस्टम-निर्मित गो-कार्ट भेंट किया. छोटी-सी उम्र में ही वह गो-कार्ट दौड़ाने लगीं. इसे देख उनके पिताजी काफी आश्चर्यचकित हुए. जल्द ही उन्हें अपनी बेटी की प्रतिभा के बारे में पता चल गया. इसके बाद उनके पिता हर सप्ताहांत उन्हें गो कार्टिंग के लिए ले जाते. हुमैरा ने भी अपने ड्राइविंग स्किल को निखारा और आखिरकार रोटैक्स कार्टिंग करना शुरू कर दिया और बाद में सिंगल सीटर फॉर्मूला रेसिंग में कदम रखा. हैरानी की बात है कि 10 साल की उम्र में वह सड़कों पर फर्राटे से गाड़ी चलाने लगीं. इस तरह बचपन में खिलौना कारों के प्रति उनके जुनून ने उन्हें रेसिंग क्षेत्र में अपने सपनों को पूरा करने के लिए काफी प्रेरित किया.

14 साल की उम्र में उठ गया पिता का साया, फिर भी हार नहीं मानीं

हुमैरा ने 14 साल की उम्र में बड़े पुरुषों के साथ डोनट्स, ड्रिफ्टिंग कार और स्ट्रीट रेसिंग का प्रदर्शन करना शुरू कर दिया. धीरे-धीरे हुमैरा का कारों के प्रति प्रेम जुनून में बदल गया. इसी दरम्यान उनके पिता का निधन हो गया, जो उनके पहले कोच और गुरु थे. इसके बावजूद उन्होंने अपना आत्मविश्वास नहीं खोया. कार रेसिंग के साथ-साथ उन्होंने अपने माता-पिता की तरह दंत चिकित्सा की पढ़ाई की. हालांकि, डेंटल की पढ़ाई करने के बाद भी हुमैरा ने कभी एक डेंटिस्ट के रूप में काम नहीं किया. इसके बजाय उन्होंने कार रेसिंग में ही अपना करियर बनाने का फैसला किया. क्योंकि, उनके पिता की भी चाहत थी कि उनकी बेटी कार रेसिंग में अपनी पहचान बनाये और देश का नाम रोशन करे. हालांकि, उनकी मां नहीं चाहती थीं कि वह मोटर स्पोर्ट्स में जाये. बाद में हुमैरा अपनी जिद्द को मनवाने में कामयाब रहीं. उनकी मां ने भी पूरा सपोर्ट किया. इस तरह वह जम्मू-कश्मीर की पहली महिला कार रेसर बनने में सफल रहीं.

साल 2019 में जेके टायर्स के साथ शुरू किया पेशेवर करियर

एक पेशेवर कार रेसर के रूप में देश का नाम रोशन करने वालीं हुमैरा को इस मुकाम तक पहुंचने में कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा है. बावजूद इसके उन्होंने कभी हार नहीं मानी. उन्हें पहली सफलता साल 2019 में जेके टायर्स और एमआरएफ से मिली. चेन्नई में एमआरएफ इंडियन नेशनल रेसिंग चैंपियनशिप में उन्होंने पहली बार हिस्सा लिया. शुरू में अपनी जीत को लेकर वह काफी डरी-सहमी थीं. फिर भी उन्हें अपनी काबिलियत पर पूरा भरोसा था. आखिरकार उनकी कड़ी मेहनत रंग लायी और वह पोडियम स्थान हासिल करने में सफल रहीं. इस शानदार जीत के साथ पहली बार उन्होंने राष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियां बटोरी.

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