दुनिया की दूसरी सबसे ऊंची सड़क पर जमी बर्फ की चादर, BRO लगातार हटाने में जुटा, सामरिक रूप से महत्वपूर्ण
कड़ाके की सर्दियों में खरदुंगला से गुजरने वाली दुनिया की दूसरी सबसे ऊंची मोटर योग्य सड़क पर ड्राइविंग करना बेहद चुनौती पूर्ण हो जाता है. बर्फ की मोटी चादरों की वजह से यहां ब्रेक मारना खरतनाक होता है.
सामरिक रूप से महत्वपूर्ण केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख के खरदुंगला (Khardung La) से गुजरने वाली दुनिया की दूसरी सबसे ऊंची मोटर योग्य सड़क पर बर्फ की मोटी चादर जम गई है. जिसे सीमा सड़क संगठन(BRO) हटाने का काम कर रही है. कड़ाके की सर्दी और बर्फबारी के दौरान भी इसे खुला रखा जा रहा है. भारत के लिए इस रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण सड़क का उपयोग सियाचीन ग्लेशियर में आपूर्ति करने के लिए किया जाता है. पाकिस्तान और चीन सीमा दोनों के लिए रणनीतिक सड़कें इस दर्रे से होकर गुजरती हैं.
#WATCH The world’s second-highest motorable road passing through Khardung La has been kept open even during extreme winters by Border Roads Organisation through snow clearing operations. Strategic roads to both the Pakistan & China border go through this pass.
(Source: BRO) pic.twitter.com/3aMJxdKaF4
— ANI (@ANI) January 6, 2022
दरअसल कड़ाके की सर्दियों में इस सड़क पर ड्राइविंग करना बेहद चुनौती पूर्ण हो जाता है. बर्फ की मोटी चादरों की वजह से यहां ब्रेक मारना खरतनाक होता है. बता दें कि भारत चीनी सीमा से सटे लद्दाख के क्षेत्र में सड़क की देख रेख की जिम्मेदारी बीआरओ की है. सीमा सड़क संगठन भारत के सीमा के आस पास के क्षेत्रों में मित्रतापूर्ण पड़ोसी देशों में सड़क के नेटवर्क बनाता और उसका रखरखाव करता है.
बीआरओ का गठन 7 मई 1960 को भारत की सीमा को सुरक्षित रखने औऱ देश के उत्तर और उत्तर पूर्व के राज्यों के दूरवर्ती क्षेत्रों में बुनियादी संरचना को विकसित करने के लिए किया गया था. फिलहाल बीआरओ 21 राज्यों, एक केंद्र शासित प्रदेश अंडमान और निकोबार द्वीप समूह और भारत के पड़ोसी राज्यों अफगानिस्तान, भूटान, श्रीलंका, म्यांमार जैसे देशों के बीच आवाजाही की निगरानी करता है.
बता दें कि बीआरओ का कार्यकारी प्रमुख DGBR होता है जो लेफ्टिनेंट जनरल का पद पर होता है. वहीं सीमा सड़क संगठन सीमा पर संपर्क को बढ़ाने और दूसरी गतिविधियों के लिए पूरी तरह से भारत के गृह मंत्रालय के अधीन होता है. इससे पहले सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय की तरफ से बीआरओ को अनुदान दिया जाता था.