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पेट्रोल-डीजल के बढ़ते दामों के चलते हंगामे की भेंट चढ़ गई उच्च सदन की कार्यवाही, राज्यसभा मंगलवार 11 बजे तक स्थगित

Budget Session 2021-22 Second phase : देश में बेतहाशा बढ़ रही पेट्रोल-डीजल की कीमतों के बीच सोमवार को संसद के बजट सत्र 2021-22 के दूसरे चरण के पहले दिन राज्यसभा की कार्यवाही विपक्षी नेताओं के हंगामे की भेंट चढ़ गई. आलम यह कि विपक्ष के हंगामे के बीच सोमवार को राज्यसभा की कार्यवाही चार बार स्थगित करनी पड़ी.

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 8, 2021 2:36 PM

Budget Session 2021-22 Second phase : देश में बेतहाशा बढ़ रही पेट्रोल-डीजल की कीमतों के बीच सोमवार को संसद के बजट सत्र 2021-22 के दूसरे चरण के पहले दिन राज्यसभा की कार्यवाही विपक्षी नेताओं के हंगामे की भेंट चढ़ गई. आलम यह कि विपक्ष के हंगामे के बीच सोमवार को राज्यसभा की कार्यवाही चार बार स्थगित करनी पड़ी. राज्यसभा में सोमवार को कांग्रेस के नेतृत्व में विपक्षी सदस्यों ने विभिन्न पेट्रोलियम उत्पादों की कीमतों में वृद्धि को लेकर हंगामा किया, जिसके चलते उच्च सदन की बैठक एक बार के स्थगन के बाद दोपहर एक बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई.

खड़गे ने पेट्रोल-डीजल के बढ़ते दाम पर चर्चा कराने की मांग

सभापति एम वेंकैया नायडू ने शून्यकाल में कहा कि उन्हें नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे की ओर से नियम 267 के तहत कार्यस्थगन नोटिस मिला है, जिसमें उन्होंने पेट्रोलियम उत्पादों की कीमतों में वृद्धि के मुद्दे पर चर्चा का अनुरोध किया है. नियम 267 के तहत सदन का सामान्य कामकाज स्थगित कर किसी अत्यावश्यक मुद्दे पर चर्चा की जाती है. नायडू ने कहा कि उन्होंने इसे स्वीकार नहीं किया है, क्योंकि सदस्य मौजूदा सत्र में विनियोग विधेयक पर चर्चा के दौरान एवं अन्य मौकों पर इस संबंध में अपनी बात रख सकते हैं.

मांग नहीं माने जाने पर विपक्ष ने शुरू किया हंगामा

कांग्रेस नीत विपक्ष इस मुद्दे को उठाने की मांग करता रहा. खड़गे ने पिछले कुछ दिनों में पेट्रोल-डीजल और रसोई गैस की कीमतों में हुई वृद्धि का जिक्र किया. उन्होंने कहा कि लोग इस संबंध में सरकार की बात सुनना चाहते हैं, लेकिन सभापति नायडू ने इस पर चर्चा की अनुमति नहीं दी और सदन में प्रश्नकाल शुरू कराया. इस दौरान विपक्षी सदस्यों का हंगामा जारी रहा और कुछ सदस्य आसन के समीप भी आ गए.

चार बार स्थगित हुई सदन की कार्यवाही

सदन में हंगामा थमते नहीं देख सभापति ने करीब 10 बजे बैठक मंगलवार पूर्वाह्न 11 बजे तक के लिए स्थगित कर दी. एक बार के स्थगन के बाद 11 बजे बैठक शुरू होने पर भी विपक्ष ने पेट्रोलियम उत्पादों की कीमतों में वृद्धि के मुद्दे पर चर्चा की मांग दोहराई, लेकिन उपसभापति हरिवंश ने कहा कि सभापति ने पहले ही इस संबंध में अपनी व्यवस्था दे दी है और उस पर पुनर्विचार नहीं किया जा सकता.

उन्होंने कहा कि सदस्यों को विभिन्न मंत्रालयों के कामकाज और विनियोग विधेयक पर चर्चा के दौरान सदस्यों को अपनी बात रखने का अवसर मिलेगा. इस पर नेता प्रतिपक्ष खडगे ने कहा कि यह ऐसा मुद्दा है, जिसे टाला नहीं जा सकता. उपसभापति ने सदस्यों से शांत रहने और सदन का कामकाज चलने देने की अपील की, लेकिन इसका असर नहीं होते देख उन्होंने 11 बजकर करीब पांच मिनट पर बैठक दोपहर एक बजे तक के लिए स्थगित कर दी. दोपहर एक बजे कार्यवाही दोबारा शुरू होने के बाद हंगामे को देखते हुए दो बार और (15-15 मिनट के लिए दो बार) स्थगित किया गया. इसके बाद उसे अगले दिन तक के लिए स्थगित कर दिया गया.

राज्यसभा में खडगे ने उठाया पेट्रोल-डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी का मुद्दा

राज्यसभा के नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने सोमवार को सदन में पेट्रोल-डीजल और घरेलू रसोई गैस की कीमतों में खासी वृद्धि होने का मुद्दा उठाया और इसे “ज्वलंत विषय” बताते हुए इस संबंध में चर्चा कराने की मांग की. खड़गे ने सदन का सामान्य कामकाज स्थगित कर पेट्रोलियम उत्पादों की कीमतों में वृद्धि के मुद्दे पर चर्चा करने के लिए नियम 267 के तहत नोटिस दिया. खड़गे ने कहा कि यह बहुत महत्वपूर्ण मुद्दा और ज्वलंत विषय है. पूरे देश में लोग पेट्रोलियम उत्पादों की कीमतों में वृद्धि को लेकर आंदोलित हैं.

पेट्रोल 100 और डीजल 80 रुपये लीटर : खड़गे

वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने कहा कि पेट्रोल की कीमतें लगभग 100 रुपये प्रति लीटर तक हो गई हैं, जबकि डीजल की कीमत 80 रुपये प्रति लीटर से अधिक हो गई है. इसी प्रकार रसोई गैस (एलपीजी) की कीमतों में भी वृद्धि हुई है. खड़गे ने कहा कि सरकार ने पेट्रोलियम उत्पादों पर उत्पाद शुल्क और अन्य कर लगा कर 21 लाख करोड़ रुपये एकत्र किए हैं, जबकि कीमतों में वृद्धि के कारण किसान और आम लोग परेशान हैं. खड़गे ने इस मुद्दे पर चर्चा के लिए जोर दिया, लेकिन आसन ने इसकी अनुमति नहीं दी.

टीएमसी ने संसद सत्र स्थगित करने की मांग की

तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने चार राज्यों और केंद्र शासित पुडुचेरी में जारी विधानसभा चुनावों की प्रक्रिया का हवाला देते हुए संसद के बजट सत्र के दूसरे चरण को स्थगित करने की सोमवार को मांग की. राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू को लिखे एक पत्र में टीएमसी के सदस्य और प्रवक्ता डेरेक ओब्रायन ने कहा कि चुनावों के कारण उनकी पार्टी के सदस्य संसद सत्र में उपस्थित नहीं रह सकेंगे. उन्होंने कहा कि तृणमूल कांग्रेस का नेता (राज्यसभा) होने के नाते मैं आपको यह पत्र लिख रहा हूं. पांच राज्यों में चुनावों की घोषणा के कारण मैं आपसे चालू संसद सत्र को स्थगित करने पर विचार करने का आग्रह करता हूं.

उन्होंने पत्र में लिखा कि निर्वाचन आयोग ने 26 फरवरी को पश्चिम बंगाल सहित चार राज्यों और पुडुचेरी में चुनाव की घोषणा की है. राज्य में चुनाव की व्यापक तैयारियों के कारण ऑल इंडिया तृणमूल कांग्रेस के सदस्यों को आठ मार्च से आरंभ हो रहे बजट सत्र के दूसरे चरण में शामिल होने पर परेशानियां होंगी. टीएमसी के नेता सुदीप बंदोपाध्याय ने इसी विषय पर एक पत्र लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को लिखा है और चुनावों के कारण सत्र स्थगित करने का आग्रह किया है.

विधानसभा चुनावों को लेकर 25 मार्च 2011 को स्थगित किया गया था संसद का सत्र

ओब्रायन ने आठ मार्च को लिखे पत्र में यह हवाला भी दिया है कि दो ऐसे मौके आए, जब चुनावों के कारण पहले भी संसद सत्र को स्थगित कर दिया गया था. उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि संसद के 222वें सत्र के दौरान असम, केरल, पुडुचेरी, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनावों के कारण सदन की कार्यवाही 25 मार्च 2011 को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया था. उन्होंने दूसरा उदाहरण संसद के 214वें सत्र का दिया जब चुनावों के कारण सत्र स्थगित कर दिया गया था. उन्होंने अपने पत्र में लिखा कि मुझे उम्मीद है कि आप हमारे इस प्रस्ताव पर विचार करेंगे. बजट सत्र का दूसरा चरण आठ मार्च से आरंभ हो गया. हालांकि, इसके जल्द स्थगित होने की संभावना जताई जा रही है. निर्धारित कार्यक्रम के मुताबिक यह सत्र आठ अप्रैल तक चलना है.

दिल्ली में रहने पर संसद नहीं आने वाले सांसदों से उपराष्ट्रपति नाराज

राज्यसभा में सोमवार को सभापति एम वेंकैया नायडू ने कुछ सदस्यों के दिल्ली में रहते हुए भी सदन में नहीं आने और विभिन्न संसदीय समिति की बैठकों में भाग नहीं लेने पर हैरानी जताई. इसके साथ ही, उन्होंने सदस्यों को सदन में अपनी पार्टी के चिह्न का प्रयोग नहीं करने की नसीहत दी. बजट सत्र के दूसरे चरण के पहले दिन नायडू ने कहा कि उच्च सदन में सदस्य विभिन्न तरह की पगड़ी और अंगवस्त्रम पहन कर आते हैं. उन्होंने कहा कि किंतु सदस्यों को अपनी पार्टी के चिह्न का सदन में प्रयोग नहीं करना चाहिए. उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि उन्होंने किसी सदस्य विशेष को इंगित करते हुए यह बात नहीं कही है.

उन्होंने कहा कि कभी कभी मुझे यह जानकर आश्चर्य होता है कि कोई सदस्य दिल्ली में है, किंतु वह सदन में नहीं आया. उन्होंने कहा कि वह यह बात किसी सदस्य या पार्टी विशेष के लिए नहीं कह रहे हैं. उन्होंने सभी सदस्यों से यह सुनिश्चित करने की अपील की कि वे सदन में उपस्थित हों. सदन की चर्चा को देखें और अपने ज्ञान में वृद्धि करें. सभापति ने कहा कि चुनौतीपूर्ण समय के बावजूद उच्च सदन में पिछले पांच सत्रों से काफी अधिक मात्रा में कामकाज हुआ है.

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Posted by : Vishwat Sen

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