Bulldozer Action: सुप्रीम कोर्ट ने दो सितंबर को इन याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए सवाल किया था कि महज आरोपी होने के चलते किसी की संपत्ति कैसे ध्वस्त की जा सकती है. कोर्ट ने कहा था, किसी व्यक्ति के महज आरोपी होने के चलते उसका मकान कैसे ध्वस्त किया जा सकता है? यदि वह दोषी भी है, तो भी कानून में निर्धारित प्रक्रिया का पालन किये बिना ऐसा नहीं किया जा सकता.
कोर्ट किसी अनधिकृत निर्माण या अतिक्रमण का बचाव नहीं करेगी
सुप्रीम कोर्ट ने बुलडोजर कार्रवाई पर सुनवाई करते हुए कहा था कि अदालत सार्वजनिक सड़कों पर किसी अनधिकृत निर्माण या अतिक्रमण का बचाव नहीं करेगी. कोर्ट की वेबसाइट पर 17 सितंबर के लिए अपलोड की गई वाद सूची के अनुसार, ये याचिकाएं सुनवाई के लिए न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति के वी विश्वनाथ की पीठ के समक्ष आएंगी.
जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने बुलडोजर कार्रवाई के खिलाफ याचिका दायर की है
सुप्रीम कोर्ट ‘जमीयत उलेमा-ए-हिंद’ और अन्य द्वारा दायर याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है, जिसमें विभिन्न राज्य सरकारों को यह सुनिश्चित करने के निर्देश देने का अनुरोध किया गया है कि दंगों और हिंसा के मामलों में आरोपियों की संपत्तियों को ध्वस्त नहीं किया जाए. ‘जमीयत उलेमा-ए-हिंद’ ने इससे पहले राष्ट्रीय राजधानी के जहांगीरपुरी इलाके में कुछ इमारतों को गिराए जाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की थी.
याचिकाकर्ता ने कोर्ट से कार्रवाई न करने का अनुरोध किया था
मुस्लिम संगठन ने शीर्ष अदालत में याचिका दायर कर उत्तर प्रदेश सरकार को यह सुनिश्चित करने का निर्देश देने का भी अनुरोध किया था कि राज्य में हिंसा के आरोपियों की संपत्तियों को नहीं ध्वस्त किया जाए. संगठन ने यह भी कहा था कि उचित प्रक्रिया का पालन किए बिना और बगैर पूर्व सूचना के इस तरह की कोई भी ध्वस्तीकरण की कार्रवाई नहीं की जानी चाहिए.