‘दो गज जमीन भी न मिली कू-ए-यार में’ मुगल बादशाह बहादुर शाह जफर द्वारा लिखी हुई इस शायरी की याद आज इसलिए आ रही है क्योंकि हमारे देश में कोरोना की दूसरी लहर ने मौत का आंकड़ा कुछ इस कदर बढ़ा दिया है कि कब्रिस्तानों में दफनाने करने के लिए जगह नहीं मिल रही है.
हिंदुस्तान टाइम्स में छपी खबर के अनुसार दिल्ली के रहने वाले अब्दुल वाहिद अपनी 55 वर्षीय पड़ोसी महिला के लिए मुल्ला काॅलोनी के कब्रिस्तानों में जगह खोज रहे थे, लेकिन स्थिति इतनी बुरी है कि उन्हें जगह ही नहीं मिली. अब्दुल वाहिद की पड़ोसी महिला की मौत जीटीबी अस्पताल में करोना से हुई थी.
मौत के बाद अस्पताल प्रबंधन ने उन्हें तीन कब्रिस्तान का आॅप्शन दिया- मुल्ला काॅलोनी, शास्त्री पार्क और आईटीओ दिल्ली गेट. लेकिन पहले दो कब्रिस्तान ने जगह की कमी बताकर पहले ही मना कर दिया. तब जाकर अब्दुल वाहिद ने आईटीओ दिल्ली गेट में दफनाने की व्यवस्था करवाई जो कि पहले से ही भरा हुआ था. कब्रिस्तानों की यह स्थिति कोविड 19 बीमारी से होने वाली मौत के कारण है.
पूरे देश में कोरोना की दूसरी लहर भयावह होती जा रही है. दिल्ली में पिछले छह दिन से प्रतिदिन औसतन 23 हजार से अधिक मामले आ रहे हैं और 375 मौत हो चुकी है. दिल्ली में मौत का आंकड़ा जिस तरह से बढ़ रहा है उसे देखते हुए छोटे कब्रिस्तान में जगह की कमी हो गयी है और यही वजह है कि वे लाशों को दफनाने से मना कर दे रहे हैं.
एक एकड़ में फैले शास्त्री पार्क कब्रिस्तान की देखभाल करने वाले ने बताया कि वे पिछले 15 दिनों से लाशों को दफन करने से मना कर रहे हैं. इस कब्रिस्तान की क्षमता प्रति माह 25 शव की है, लेकिन अप्रैल में वे 100 से अधिक दफन कर चुके हैं. उन्होंने बताया कि वे प्रबंधन से इस संबंध में बात कर रहे हैं कि कैसे इस संकट से निपटा जाये.
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गौरतलब है कि प्रशासन की ओर से पांच कब्रिस्तानों को कोविड से होने वाली मौत के लिए सुरक्षित किया गया है, लेकिन मौत इतनी ज्यादा हो रही है कि कब्रिस्तानों में जगह नहीं है. यही वजह है कि लाशों को दफन करना भी एक चुनौती बन गयी है.
Posted By : Rajneesh Anand