15.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

Shaheen Bagh: शाहीन बाग में फिर से शुरू होगा धरना? SC ने फैसला सुरक्षित रखा, कही ये बात

CAA कानून के खिलाफ पूरे देश में प्रदर्शन का केन्द्र रहा दिल्ली के शाहीन बाग (Shaheen Bagh)पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) विरोध प्रदर्शन के अधिकार पर फैसला जल्द ही सुनाएगा.

CAA कानून के खिलाफ पूरे देश में प्रदर्शन का केन्द्र रहा दिल्ली के शाहीन बाग (Shaheen Bagh)पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) विरोध प्रदर्शन के अधिकार पर फैसला जल्द ही सुनाएगा. शाहीन बाग नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ सड़क पर धरने पर बैठने के मामले में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने सोमवार को फैसला सुरक्षित रख लिया है. उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को कहा कि विरोध प्रकट के अधिकार के मामले में कोई सार्वभौमिक नीति नहीं हो सकती है और परिस्थितियों के अनुरूप संतुलन बनाये रखने के लिये सड़कें अवरूद्ध करने जैसी गतिविधियों पर अंकुश लगाने जैसी संतुलित कार्रवाई जरूरी है .

शीर्ष अदालत ने फैसला रखा सुरक्षित

शीर्ष अदालत ने राजधानी दिल्ली के शाहीनबाग में पिछले साल दिसंबर में नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में सड़क अवरूद्ध किये जाने के खिलाफ याचिका पर सुनवाई करते हुये ये टिप्पणी की. न्यायालय ने कहा कि इस मामले में फैसला बाद में सुनाया जायेगा. कोविड-19 महामारी की आशंका और इस वजह से निर्धारित मानदंडों के पालन के दौरान यहां पर स्थिति सामान्य हुयी थी. न्यायमूर्ति संजय किशन कौल, न्यायमूर्ति अनिरूद्ध बोस और न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी की पीठ ने कहा, कुछ आकस्मिक परिस्थितियों ने इसमें अहम भूमिका निभाई और यह किसी के हाथ में नहीं था। ईश्वर ने खुद ही इसमें हस्तक्षेप किया. शशांक देव सुधि सहित विभिन्न अधिवक्ताओं की दलीलों का संज्ञान लेते हुये पीठ ने कहा कि हमें विरोध प्रदर्शन के अधिकार और सड़कें अवरूद्ध करने में संतुलन बनाना होगा. हमें इस मुद्दे पर विचार करना होगा. इसके लिये कोई सार्वभौमिक नीति नहीं हो सकती क्योंकि मामले दर मामले स्थिति अलग-अलग हो सकती है.

लोकतंत्र में संसद और सड़कों पर विरोध प्रदर्शन हो सकता है – पीठ 

पीठ ने कहा, ‘संसदीय लोकतंत्र में संसद और सड़कों पर विरोध प्रदर्शन हो सकता है लेकिन सड़कों पर इसे शांतिपूर्ण रखना होगा.’ इस समस्या को लेकर याचिका दायर करने वाले वकीलों में से एक अमित साहनी ने कहा कि व्यापक जनहित को ध्यान में रखते हुये इस तरह के विरोध प्रदर्शनों की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए. उन्होंने कहा, ‘इसे 100 दिन से भी ज्यादा चलने दिया गया और लोगों को इससे बहुत तकलीफें हुयीं. इस तरह की घटना नहीं होनी चाहिए। हरियाणा में कल चक्का जाम था.

उन्हांने 24-25 सितंबर को भारत बंद का भी आह्वाहन किया है.’ इस मामले में हस्तक्षेप करने वाले एक व्यक्ति की ओर से अधिवक्ता महमूद प्राचा ने कहा कि शांतिपूर्ण तरीके से विरोध प्रकट करने का अधिकार है और एक राजनीतिक दल के कुछ लोग वहां गये और उन्होंने दंगा किया. उन्होंने कहा कि हमें विरोध करने का अधिकार है। राज्य सरकार की मशीनरी पाक साफ नहीं है। एक राजनीतिक दल के सदस्य पुलिस के साथ वहां पहुंचे और उन्होंने स्थिति बिगाड़ दी.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें