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Cabinet Meeting: बैटरी एनर्जी स्टोरेज सिस्टम के लिए मोदी मंत्रिमंडल ने 3,760 करोड़ रुपये की मंजूर दी

अनुराग ठाकुर ने कहा कि बैटरी ऊर्जा भंडारण प्रणाली की स्थापना से संबंधित 3,760 करोड़ रुपये की समूची राशि का बोझ केंद्र सरकार उठाएगी. उन्होंने कहा कि यह कोष वर्ष 2030-31 तक पांच किस्तों में जारी किया जाएगा.

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने देश में बैटरी ऊर्जा भंडारण प्रणाली की स्थापना के लिए बुधवार को 3,760 करोड़ रुपये के व्यवहार्यता अंतर कोष (वीजीएफ) को मंजूरी दी. सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक के बाद संवाददाताओं को इस फैसले की जानकारी दी.

बैटरी ऊर्जा भंडारण प्रणाली की स्थापना से ऊर्जा भंडार होगा तैयार

अनुराग ठाकुर ने कहा कि बैटरी ऊर्जा भंडारण प्रणाली की स्थापना से संबंधित 3,760 करोड़ रुपये की समूची राशि का बोझ केंद्र सरकार उठाएगी. उन्होंने कहा कि यह कोष वर्ष 2030-31 तक पांच किस्तों में जारी किया जाएगा. इससे 4,000 मेगावाट घंटे का ऊर्जा भंडार तैयार करने में मदद मिलेगी. ठाकुर ने कहा कि व्यवहार्यता अंतर वित्तपोषण से 9,500 करोड़ रुपये का निवेश होने की उम्मीद है. भारत ने अगले कुछ वर्षों में अपनी आधी ऊर्जा जरूरतों को नवीकरणीय ऊर्जा और गैर-जीवाश्म ऊर्जा स्रोतों के माध्यम से पूरा करने का लक्ष्य रखा है. भंडारण प्रणाली की स्थापना इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है.

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हिमाचल, उत्तराखंड की औद्योगिक विकास योजना के लिए 1,164 करोड़ रुपये के अतिरिक्त कोष की मंजूरी

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के लिए औद्योगिक विकास योजना-2017 के वास्ते 1,164.53 करोड़ रुपये के अतिरिक्त आवंटन को बुधवार को मंजूरी दी. वर्ष 2028-29 तक योजना के तहत प्रतिबद्ध देनदारियों को पूरा करने के लिए अतिरिक्त कोष की जरूरत है. केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने यहां पत्रकारों से कहा कि इस योजना के तहत कुल वित्तीय परिव्यय 131.90 करोड़ रुपये है. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में इस संबंध में फैसला किया गया. मंत्रिमंडल ने 2028-29 तक योजना के तहत प्रतिबद्ध देनदारियों को पूरा करने को हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के लिए केंद्रीय क्षेत्र औद्योगिक विकास योजना-2017 (आईडीएस-2017) को मंजूरी दे दी है.

2028-2029 तक अतिरिक्त 1,164.53 करोड़ रुपये के कोष की आवश्यकता

वर्ष 2028-2029 तक प्रतिबद्ध देनदारियों को पूरा करने के लिए अतिरिक्त 1,164.53 करोड़ रुपये के कोष की आवश्यकता है. ठाकुर ने कहा कि योजना के तहत 774 इकाइयां पंजीकृत की गईं और अतिरिक्त धनराशि उन्हें मिलेगी. सरकार इन दोनों राज्यों में निवेश के लिए कंपनियों को योजना के तहत प्रोत्साहन प्रदान करती है. इन प्रोत्साहनों में ऋण और बीमा तक पहुंच शामिल है. हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के लिए आईडीएस-2017 का वित्तीय परिव्यय केवल 131.90 करोड़ रुपये था. यह 2021-2022 के दौरान जारी किया गया था.

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