कैबिनेट ने भारत, ब्रिटेन, उत्तरी आयरलैंड के बीच शैक्षणिक योग्यता पर MoU को दी मंजूरी
Union Cabinet Meeting: केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को भारत सरकार और यूनाइटेड किंगडम और उत्तरी आयरलैंड की सरकार के बीच शैक्षणिक योग्यता की पारस्परिक मान्यता पर एमओयू के लिए स्वीकृति प्रदान की है. बता दें कि यह समझौता ज्ञापन 25 अप्रैल, 2022 को ही हस्ताक्षरित हो गया था.
Cabinet Approval: केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को भारत सरकार और यूनाइटेड किंगडम और उत्तरी आयरलैंड की सरकार के बीच शैक्षणिक योग्यता की पारस्परिक मान्यता पर एमओयू के लिए स्वीकृति प्रदान की है. भारत और यूके के बीच योग्यता की पारस्परिक मान्यता का उद्देश्य अकादमिक सहयोग और छात्र की गतिशीलता को बढ़ावा देना बताया जा रहा है. बता दें कि यह समझौता ज्ञापन 25 अप्रैल, 2022 को ही हस्ताक्षरित हो गया था.
एक वर्षीय मास्टर्स प्रोग्राम को मान्यता प्रदान करने का किया था अनुरोध
बता दें कि यूनाइटेड किंगडम की ओर से एक वर्षीय मास्टर्स प्रोग्राम को मान्यता प्रदान करने का अनुरोध किया गया था. इस अनुरोध पर विचार करते हुए 16 दिसंबर 2020 को नयी दिल्ली में आयोजित दोनों देशों के शिक्षा मंत्रियों के बीच बैठक की गयी और इस दौरान एक संयुक्त टास्क फोर्स गठित करने का निर्णय लिया गया था. गठित संयुक्त टास्क फोर्स की पहली बैठक 04 फरवरी, 2021 को हुई थी और बाद में विस्तार में बातचीत के बाद दोनों पक्षों ने एमओयू पर सहमति जतायी थी.
इंजीनियरिंग, मेडिसिन जैसे प्रोफेशनल डिग्री एमओयू के दायरे से बाहर
बताया जा रहा है कि समझौता ज्ञापन का उद्देश्य दोनों देशों के बीच शैक्षणिक योग्यता, शैक्षणिक डिग्री/योग्यता से संबंधित दस्तावेजों और शैक्षणिक संस्थानों द्वारा मान्यता की पारस्परिक मान्यता की सुविधा प्रदान करना बतायी जा रही है. बता दें कि इंजीनियरिंग, मेडिसिन, नर्सिंग और पैरा-मेडिकल एजुकेशन, फार्मेसी, लॉ और आर्किटेक्चर जैसी प्रोफेशनल डिग्री इस एमओयू के दायरे से बाहर है.
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दोहरी डिग्री पाठ्यक्रमों की स्थापना की सुविधा प्रदान करेगा एमओयू
यह शिक्षा के इंटेल-राष्ट्रीयकरण के लिए एनईपी 2020 के तहत भारत के उद्देश्यों में से एक है और उच्च शिक्षा संस्थानों के बीच संयुक्त और दोहरी डिग्री पाठ्यक्रमों की स्थापना की सुविधा भी प्रदान करेगा. इस एमओयू के तहत शैक्षिक संरचना, कार्यक्रमों और मानकों के बारे में सूचनाओं के द्विपक्षीय आदान-प्रदान को बढ़ावा देगा और दोनों देशों के बीच छात्रों और पेशेवरों की गतिशीलता को बढ़ावा देने की बात कही जा रही है.